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जामिया के छात्रों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और पुलिस से जवाब मांगा

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस कार्रवाई में कथित रूप से घायल एक छात्र की मुआवजे की मांग वाली याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र, आप सरकार और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस कार्रवाई में कथित रूप से घायल एक छात्र की मुआवजे की मांग वाली याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र, आप सरकार और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है। 
मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ का शुरूआत में विचार था कि याचिकाकर्ता अगर मुआवजा मांग रहा है तो उसे दीवानी मुकदमा दायर करना चाहिए क्योंकि उसे अपने दावों को सबूतों से साबित करना होगा जो रिट याचिका से नहीं हो सकता। 
अदालत ने कहा, ‘‘ये साक्ष्य के मामले हैं। आप क्षतिपूर्ति के लिए मुकदमा क्यों नहीं दायर कर रहे? किसी रिट के अनुलग्नक के आधार पर दावे साबित नहीं हो सकते।’’ पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली में हर चीज के लिए रिट दायर करना फैशन हो गया है।’’ 
हालांकि पीठ ने गृह मंत्रालय, विश्वविद्यालय, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किये तथा छात्र की याचिका पर उनका रुख पूछा जिसमें आरोप लगाया गया है कि पुलिस की नृशंस कार्रवाई में उसकी दोनों टांगें टूट गयीं। उसका कहना है कि 15 दिसंबर, 2019 को पुलिस की कार्रवाई के वक्त वह विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में पढ़ रहा था। 
शायान मुजीब ने अधिवक्ता नबीला हसन के माध्यम से यह याचिका दायर की है। हसन ने पीठ को बताया कि उपलब्ध सीसीटीवी फुटेज दिखाती हैं कि पुलिस पुस्तकालय में घुस रही है और छात्रों की पिटाई कर रही है। 
चोटिल होने पर दो करोड़ रुपये का मुआवजा मांगने के साथ ही मुजीब ने पुलिस की कथित कार्रवाई के ममले में प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की है। उसने कहा है कि हिंसा में घायल होने के बाद से उपचार में वह अब तक दो लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुका है, वो भी उसे दिलाये जाएं। 
इससे पहले एक अन्य छात्र मोहम्मद मिन्हाजुद्दीन ने याचिका दायर कर घटना की जांच करवाने और घटना में घायल होने के बाद उपचार में आए खर्च के एवज में मुआवजे की मांग की थी। 
मिन्हाजुद्दीन ने याचिका में कहा कि घटना में उसकी एक आंख की रोशनी चली गई। पिछले वर्ष 15 दिसंबर को जामिया के निकट सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गया था। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया था और सरकारी बसों तथा निजी वाहनों को आग लगा दी थी। 
बाद में पुलिस जामिया परिसर में घुसी, आंसू गैस के गोले छोड़े तथा छात्रों पर लाठीचार्ज किया था। पुलिस की कार्रवाई में याचिकाकर्ताओं समेत कई छात्र घायल हो गए थे। 

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