खस्ता हाल पाकिस्तान की नई नौटंकी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

खस्ता हाल पाकिस्तान की नई नौटंकी

मुम्बई में 26/11 आतंकी हमले के मास्टर माइंड और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोइबा के आपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी को पाकिस्तान में टैरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।

मुम्बई में 26/11 आतंकी हमले के मास्टर माइंड और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोइबा के आपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी को पाकिस्तान में टैरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। लखवी ने ही मुम्बई को दहलाने वाले आतंकी हमले की साजिश हाफिज सईद से मिलकर रची थी। तब आटोमैटिक हथियारों से लैस दस आतंकी 26 जनवरी, 2008 को मुम्बई में घुसे थे। इन आतंकियों ने महानगर के प्रमुख स्थानों को निशाना बनाते हुए अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस हमले से पूरा देश हिल गया था। भारत के प्रयासों से ही संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने जकीउर रहमान लखवी का नाम वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल किया था, तब भी उसे पाकिस्तान की सरकार ने गिरफ्तार किया था लेकिन 6 वर्ष बाद उसे रिहा कर दिया गया। लखवी जेल में रहते हुए खुलेआम घूमता था और शाम को जेल में आ जाता था। आईएसआई के अधिकारी जेल में ही उससे मिलने आते थे और भारत में हमलों का षड्यंत्र रचते थे। टैरर फंडिंग में लखवी की गिरफ्तारी दुनिया की आंखों में धूल झोंकना है। प्रतिबंधित संगठन जमात उल दावा का नेता हाफिज मोहम्मद सईद इस वक्त जेल में है। भारत के खिलाफ लगातार जहर उगलने वाले हाफिज सईद पर पंजाब प्रांत के अलग-अलग शहरों में 7 केस दर्ज हैं और अब तक 4 मामलों में सजा मिल चुकी है। उसे 21 वर्ष तक की सजा सुनाई जा चुकी है। पिछले 20 वर्षों के दौरान उसे कई बार हिरासत में लेकर नजरबंद रखा गया लेकिन कभी मुकदमा नहीं चलाया गया। हर बार उसे छोड़ दिया गया। अमेरिका के 9/11 हमलों के बाद पाकिस्तान सरकार ने उसे कई बार गिरफ्तार किया। भारत ने 2001 में उसे संसद पर हमले की साजिश रचने का जिम्मेदार करार दिया। फिर 2006 में मुम्बई में हुए ट्रेन बम विस्फोट का मास्टर माइंड भी हाफिज काे माना गया था। दोनाें के हाथ भारतीयों के खून से रंगे हुए हैं। लखवी और हाफिज की गिरफ्तारी के लिए अमेरिका का काफी दबाव था। अमेरिका ने हाल ही में यह सवाल उठाया था कि मुम्बई हमले के दोषियों को अभी तक कोई सजा नहीं मिली है। पाकिस्तान की सत्ता से जुड़े प्रतिष्ठान खुद टैरर फंडिंग के जनक हैं। कौन नहीं जानता कि कश्मीर में आतंकवाद पाकिस्तान की टैरर फंडिंग का ही परिणाम है। पाक की सेना और खुफिया एजैंसी ने टैरर फंडिंग कर जितना कश्मीर घाटी की वादियों में जहर फैलाया है उतना किसी ने नहीं फैलाया। सवाल यह है कि पाकिस्तान की इमरान सरकार और अदालतें अब हाफिज और लखवी के खिलाफ कार्रवाई क्यों कर रही हैं। दरअसल पाकिस्तान पर इस वक्त फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ का काफी दबाव है। उसकी बात मानने के अलावा पाकिस्तान के पास कोई और चारा नहीं है। जून 2018 में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। जो देश कालेधन और टैरर फाइनेंसिंग को रोकने के ​एफएटीएफ के मानक नहीं अपनाते, उन्हें ग्रे-लिस्ट में डाल दिया जाता है। इसके बाद पाकिस्तान ने अपने ऊपर सम्भावित अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने के लिए ही कट्टरपंथी गतिविधियों में लिप्त कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया। साथ ही प्रतिबंधित संगठनों की सैकड़ों सम्पत्तियों को अपने कब्जे में लिया या फिर उन्हें सील किया गया। लखवी की गिरफ्तारी और हाफिज को सजा सुनाना पाकिस्तान की रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तान इस वक्त गहरे आर्थिक संकट में फंस गया है। वह अरबों रुपए के कर्ज जाल में फंसा हुआ है। उसका मित्र ​चीन भी उसे और कर्ज देने के लिए गारंटी मांग रहा है। चीन ने पहले ही पाकिस्तान में निवेश कर रखा है और पाकिस्तान की जनता चीन की दखलंदाजी के विरुद्ध आवाज उठा रही है। दुबई और अन्य मित्र देश भी पाकिस्तान से दूर हो चुके हैं। पाक प्रधानमंत्री ने दुबई से भी मदद मांगी थी लेकिन दुबई ने भी उसे ठेंगा दिखा दिया है। उसने तो तीन अरब डालर के कर्ज में से एक अरब डालर वसूल लिए हैं।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को कहा है कि अगर ग्रे-लिस्ट से हटना है तो टैरर फंडिंग और काले धन के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। पा​किस्तान को फरवरी तक का वक्त दिया गया है। अब फरवरी माह नजदीक आ रहा है तो पाकिस्तान कार्रवाई की नौटंकी करने लगा है। पिछले वर्ष 18 अगस्त को पाकिस्तान ने स्वीकार किया था कि भारत के मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम का घर कराची में है और उसने दाऊद पर आर्थिक प्रतिबंध लागू किए हुए हैं। उसने एक अधिसूचना जारी की थी जिसमें 88 चरमपंथी संगठनों और लोगों पर आर्थिक प्रतिबंधों की जानकारी दी थी। इसमें हाफिज और जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर का नाम भी शामिल है। एफएटीएफ एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है, जिसकी स्थापना जी-7 देशों की पहल पर 1989 में की गई थी। यह संस्था दुनिया भर में मनी लांड्रिंग से निपटने के​ लिए नीतियां बनाती है। पाकिस्तान  पूरी दुनिया में नग्न हो चुका है। कौन नहीं जानता कि वह आतंक की खेती करता है। पाकिस्तान मनी लांड्रिंग और टैरर फंडिंग पर निगरानी रखने वाली संस्थाओं के राडार पर है। 38 सदस्यीय देशों वाले एफएटीएफ के नियमों के अनुसार ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए किसी भी देश को तीन सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। पाकिस्तान अपने लिए तीन सदस्य देशाें का समर्थन जुटा लेता है तो वह ब्लैक लिस्ट से बच जाएगा। ग्रे-लिस्ट से बाहर आने के लिए पाकिस्तान को 15 वोटों की जरूरत है। ग्रेट-लिस्ट में होने के कारण पाक को हर वर्ष दस बिलियन डालर का नुक्सान हो रहा है। ग्रेट​-लिस्ट में रहते पा​किस्तान की अन्तर्राष्ट्रीय रेटिंग काफी कम हो चुकी है। अन्तर्राष्ट्रीय​ ​वित्त संस्थान भी उसे कर्ज देने से परहेज कर रहे हैं। अगर वे ऋण देते भी हैं तो कड़ी पाबंदियां लागू करते हैं। पहले से ही गिरती अर्थव्यवस्था के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को इस समय बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और इमरान सरकार के सामने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को चलाना एक चुनौती है। उसके भीख के कटोरे में कोई पैसा नहीं डाल रहा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

17 + eleven =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।