जन सांत्वना का बजट - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

जन सांत्वना का बजट

बाजार मूलक अर्थव्यवस्था के दौर में सीधे उपभोक्ता कर लगाने का अधिकार माल व सेवाकर परिषद (जीएसटी कौंसिल) को मिल जाने के बाद केन्द्र सरकार की वित्तीय भूमिका यही रह जाती है

बाजार मूलक अर्थव्यवस्था के दौर में सीधे उपभोक्ता कर लगाने का अधिकार माल व सेवाकर परिषद (जीएसटी कौंसिल) को मिल जाने के बाद केन्द्र सरकार की वित्तीय भूमिका यही रह जाती है कि वह देश में अधिकाधिक व्यापार व वाणिज्य मूलक वातावरण बनाने के लिए अपनी उत्पाद व तट कर (एक्साइज व कस्टम शुल्क) प्रणाली में इस प्रकार संशोधन करे ताकि देश में उत्पादन के माहौल को बढ़ावा मिले जिससे अर्थव्यवस्था में चहुंमुखी विस्तार हो और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो। साथ ही प्रत्यक्ष करों अर्थात व्यक्तिगत व कार्पोरेट आय कर की दरों का निर्धारण इस प्रकार हो कि लोग अधिकाधिक आय कमाने के लिए प्रेरित हों। इस मोटे पैमाने पर मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अन्तिम वर्ष का यह बजट खरा उतरता है और समाज के हर आर्थिक वर्ग को कुछ न कुछ राहत देता लगता है। सबसे बड़ी राहत मध्यम आय वर्ग के नौकरीपेशा लोगों के साथ स्वरोजगार में लगे लोगों को दी गई है क्योंकि व्यक्तिगत आय पर कर लगाने की सीमा को बढ़ा दिया गया है। पहले पांच लाख रुपए वार्षिक तक कमाने वाले व्यक्ति को विभिन्न राहत व छूट के साथ शून्य कर देना पड़ता था। अब इसकी सीमा सात लाख रुपए कर दी गई है और आयकर निर्धारण की श्रेणियों को भी छह से पांच करके सात लाख रुपए से ऊपर वार्षिक करने वाले लोगों को कर में छूट प्रदान की गई है। 
बदलती टैक्नोलॉजी के युग में अब सामान्य व्यक्ति व उसके घर में उपयोग की जानी वाली वस्तुओं यथा मोबाइल फोन व एलईडी टीवी को शुल्क में रियायत देकर सस्ता बनाया गया है जबकि सिगरेट व शराब जैसी वस्तुओं को महंगा कर दिया गया है। सरकार ने इस बजट के जरिये अपनी जिन वरीयताओं की तरफ इशारा किया है वे आधारभूत ढांचागत क्षेत्र के विकास से लेकर प्रदूषण मुक्त ऊर्जा या ईंधन के क्षेत्र हैं। इन क्षेत्राें में निवेश बढ़ाकर सरकार भविष्य की मुश्किलें आसान करना चाहती है और नई पीढ़ी को सुन्दर व सुरक्षित ऊर्जा स्रोतों के हवाले करना चाहती है। सरकार ने 45 लाख करोड़ रुपए के खर्च का बजट प्रस्तुत किया है जिसमें उसकी पावतियां 23.3 लाख करोड़ रुपए की होंगी। जाहिर है इस घाटे को पूरा करने के लिए उसे बाजार से ऋण लेने पड़ेंगे। इन ऋणों की धनराशि 15 लाख करोड़ रुपए से अधिक की होगी जबकि विनिवेश के जरिये वह 51 हजार करोड़ रुपए जुटायेगी। शेष कमी को लघु बचतों से पूरा किया जायेगा। इस धनराशि की व्यवस्था कम ब्याज दरों पर करने के लिए उसे देश में महंगाई की रफ्तार को एक सुनिश्चित सीमा के भीतर रखना होगा। परन्तु दस लाख रुपए करोड़ की धनराशि पूंजीगत खाते से करके सरकार पूरे देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ ही औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा भी देना चाहती है जिससे सकल विकास वृद्धि में इजाफा हो। इसके साथ ही मध्यम व छोटे उद्योग धंधों को शुल्क ढांचे में रियायत देकर सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि यह क्षेत्र न केवल अपने उत्पादन को बढ़ाये बल्कि रोजगार उपलब्ध कराने में भी आगे आकर अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाये। 
हम देख रहे हैं कि कोरोना काल के दौरान अर्थव्यवस्था में जो गिरावट आयी थी उसे अब दूर कर लिया गया है और बाजार में मांग धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है। इस मांग की आपूर्ति के लिए उत्पादन का चक्का तेज घूमेगा और सरकार की मंशा यही है कि विभिन्न मंझोले व छोटे उद्योगों का जो चक्का सुस्त हो गया था उसमें गति आये। इसको गति देने के लिए ही इस क्षेत्र को विभिन्न शुल्क रियायतें दी गई हैं, परन्तु शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र ऐसे हैं जिन पर विकास की धुरी टिकी होती है। अतः वित्त मन्त्री श्रीमती सीतारमण ने इन दोनों क्षेत्रों को मजबूत बनाने के लिए समुचित धन का आवंटन किया है। जहां तक भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले कृषि क्षेत्र का सम्बन्ध है तो किसानों को अधिक धन उपलब्ध कराने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए का ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। यह सवाल अपनी जगह है, हालांकि खड़ा किया जा रहा है कि किसानों की फसल खरीदने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का बजट भाषा में जिक्र नहीं है परन्तु मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना घोषित करके वित्त मन्त्री ने कृषि क्षेत्र को विविधीकरण के रास्ते अधिक आय अर्जित करने के लिए उद्यत किया है और किसानों की नई पीढ़ी के सामने खेती में नई टैक्नोलॉजी अपनाने के लिए प्रेरित किया है। गरीबों व गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को लगभग दो लाख करोड़ रुपए की खाद्य मदद देकर भी सरकार ने सुविधाओं के अभाव में रहने वाले लोगों को सहारा देने का प्रयास किया है। हालांकि खाद्य गारंटी कानून के तहत इस वर्ग के लोगों को भरपेट अनाज उनकी जेब के हिसाब से उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सरकार की ही होती है मगर इसके ऊपर उन्हें मुफ्त अनाज वितरित करने का फैसला करके सरकार ने अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी  को वरीयता दी है। कुल मिलाकर यह बजट जन सामान्य को सांत्वना देने वाला है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fourteen − 5 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।