तुमने बोये थे जमीं में इन्सानों के सर,
अब जमीन खून उगलती है तो रंज क्यों है?
पाकिस्तान की हालत ऐसी ही है। अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के लगातार प्रहारों से घबराये पाकिस्तान को अब स्वीकार करना पड़ा कि लश्कर-ए-तैयबा (जमात-उद-दावा) के संस्थापक हाफिज मोहम्मद सईद उनके लिए बोझ है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने न्यूयार्क में एशिया सोसायटी सेमीनार के दौरान हाफिज सईद को बोझ माना लेकिन साथ ही यह भी कहा कि ऐसे लोगों से छुटकारा पाने में अभी वक्त लगेगा। मुम्बई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद भारत की मोस्टवांटेड लिस्ट में शामिल है। तमाम सबूत देने के बावजूद पाकिस्तान हाफिज सईद को दण्डित करने का साहस न जुटा सका क्योंकि पाकिस्तान के हुक्मरान आधे-अधूरे लोकतंत्र में सत्ता चलाते हैं। असली कमान तो पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथ में है। जिस देश की सेना और खुफिया एजेंसी आतंकी तंजीमों के साथ मिली हुई हों और उसका एकमात्र इरादा निर्दोषों का खून बहाना हो, उस देश के हुक्मरानों से क्या उम्मीद की जा सकती है।
अमरीका की विदेश मंत्री रहीं हिलेरी क्लिंटन ने कभी पाकिस्तान को चेताया था कि ”अगर आपने घर के पिछवाड़े में सांप पाल रखे हैं तो निश्चित रूप से वे पड़ोसी को तो काट खाएंगे ही, साथ ही एक दिन वे आपको भी डस लेंगे।” पाकिस्तान ने आजादी के बाद से सांप पालने का पेशा शुरू कर दिया था। एक के बाद एक तानाशाह आते गए और जिया-उल-हक के शासन में आतंक की खेती होनी शुरू हो गई। आतंकियों के ट्रनिंग कैम्प शुरू हो गए। देखते ही देखते हिज्बुल, लश्कर और अन्य तंजीमों ने भयानक रूप ले लिया। जिन राक्षसों को पाकिस्तान ने पाला, आज वे ही भस्मासुर साबित हो रहे हैं।
भस्मासुर नामक राक्षस दुनिया का ताकतवर असुर बनना चाहता था। उसने भगवान शिव की आराधना की और उसके तप से शिव प्रसन्न हो गए। शिव अपने भक्त के पास पहुंचे। तब भस्मासुर ने ऐसा वरदान मांगा जो स्वयं शिव के लिए असम्भव था। भस्मासुर ने शिव से कहा कि उसे अमरता का वरदान चाहिए अर्थात वह हमेशा इस पृथ्वी पर रहे और मौत भी उसका कुछ बिगाड़ न सके। भगवान शिव को प्रक्रियाहीन देख उसने अपनी मांग बदल दी। उसने कहा-भगवान उसे वरदान दे कि जब भी वह किसी के सिर पर हाथ रखे वह व्यक्ति भस्म हो जाए। शिव ने उसे वरदान तो दे दिया लेकिन उस असुर ने भगवान शिव को ही अपना शिकार बनाना चाहा। भगवान शिव भाग खड़े हुए, उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी। तब भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर के सामने आए। भस्मासुर मोहिनी रूप देखकर लालायित हो उठा और उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। अन्तत: मोहिनी ने उसे अपने जाल में फंसाया और उससे नृत्य करवाया। भस्मासुर भूल गया कि नृत्य करते समय वह स्वयं अपने सिर पर हाथ रखते ही भस्म हो जाएगा और हुआ भी ऐसी ही। भस्मासुर भस्म हो गया।
ऐसे ही पाकिस्तान का आतंक उसके लिए भस्मासुर बन बैठा है। पिछले दिनों भारत की महिला शक्ति ने पाक को संयुक्त राष्ट्र में पूरी तरह बेनकाब कर दिया। यह त्रि-महिला शक्ति रहीं एनम गंभीर, विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और पॉलोमी त्रिपाठी। पहले एनम गंभीर ने पाक को टेररिस्तान करार दिया। फिर अपने शब्दभेदी बाणों से सुषमा स्वराज ने पूरी दुनिया को भारत और पाक का फर्क समझाया। दुनिया जान गई कि भारत विकास के पथ पर है और पाकिस्तान आतंक के पथ पर चलकर विनाश के कगार पर है। पाकिस्तान होश-हवास खो बैठा और उनकी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने फलस्तीनी बच्ची की तस्वीर दिखाकर कश्मीर के सम्बन्ध में झूठ फैलाने का प्रयास किया। इसी प्रयास में पाक पूरी तरह नग्न हो गया।
‘राइट टू आंसर’ के तहत भारत की पॉलोमी त्रिपाठी ने जवाब दिया और संयुक्त राष्ट्र सभा में आतंकवादियों के हाथों मारे गए सेना के जवान फैय्याज की फोटो दिखाते हुए पाक को बेनकाब किया। संयुक्त राष्ट्र ने भी पाक के झूठ को गंभीरता से लिया। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान अलग-थलग पड़ चुका है। उसके अभिन्न मित्र चीन की स्थिति यह है कि वह चाहकर भी उसका साथ नहीं दे सकता। अब पाकिस्तान हाफिज सईद को बोझ बताकर उससे मुक्ति पाने के लिए मोहलत की दरकरार कर अमेरिका के रुख को नरम कर देना चाहता है। यह उसकी नई नौटंकी है। पाकिस्तान को तीन-तीन युद्धों में पराजय तो याद होगी। क्या उसे याद नहीं जब 1971 के युद्ध में उसके 90 हजार फौजियों को रस्से से बांधकर घुमाया था तब जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी इज्जत का वास्ता देकर अपने युद्धबंदी सैनिक छुड़ाए थे। पाक के दो टुकड़े हो गए थे। अफसोस कि पाक को शिमला समझौता याद नहीं। लाहौर घोषणा पत्र याद नहीं, उसे याद है तो बस आतंक ही आतंक। अगर अब भी वह नहीं संभला तो उसे विनाश से कोई नहीं बचा सकता।
बहुत उड़ा चुके कबूतर शांति के,
अब चलो कुछ हथगोले चलाएं।
बात करता है, पड़ोसी जिसमें,
उसे उसी भाषा में समझाएं।
सुनामी या आया आतंक,
लेकर हाथों में स्टेनगन।
किये शहीद अनगिनत पर,
हिम्मत हमारी न डिगा पाए।
न ही हौसले से टूटेंगे,
न ही बर्बाद यूं होंगे।
अगर वो रात फिर आई,
तो सरहदें हम बदल देंगे।