भारत के करीब श्रीलंका - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

भारत के करीब श्रीलंका

भारत और श्रीलंका दो अलग-अलग देश होते हुए भी कई पौराणिक कथाओं के आधार पर जुड़े हुए हैं। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक आधार पर रिश्ते सदियों पुराने हैं। श्रीलंका के इतिहास पर नजर डालें तो इस देश का लगभग 3,000 वर्षों का लिखित इतिहास है। मान्यता है कि श्रीलंका को भगवान शिव ने बसाया था। श्रीलंका को शिव के पांच निवास स्थानों का घर माना जाता है। शिव के पुत्र कार्तिकेय यानि मुरुगन यहां के सबसे लोकप्रिय हिन्दू देवताओं में से एक हैं। मुरुगन की पूजा यहां के न सिर्फ तमिल हिन्दू करते हैं, बल्कि बौद्ध, सिंहली और आदिवासी भी करते हैं। श्रीलंका के अलग-अलग स्थानों पर ऐसे कई मंदिर हैं जो हिन्दू और बौद्धों की साझा संस्कृति को दर्शाते हैं। बाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि लंका समुद्र के पार द्वीप के बीच स्थित है। 700 ई. पूर्व में श्रीलंका में श्रीराम के जीवन से जुड़ी कहानियां घर-घर में प्रचलित रही हैं। इन्हें सिंहली भाषा में सुनाया जाता था। जिसे मलेराज की कथा कहते हैं। दोनों देशों के संबंध काफी उतार-चढ़ाव वाले रहे लेकिन भारत ने श्रीलंका के साथ हमेशा पड़ोसी धर्म ही निभाया है।
दोनों देशों के संबंध तमिल मसले से बंधे हुए हैं। तमिल मसले पर दोनों देशों के मजबूत रिश्तों के बावजूद इतिहास ने अतीत में इन रिश्तों में खलल डाला है। हजारों भारतीय श्रीलंका जाकर धार्मिक स्थलों के दर्शन करते हैं। भारतीय पर्यटकों के ​लिए अब एक अच्छी खबर यह है कि श्रीलंका ने उनके लिए फ्री वीजा की घोषणा कर दी है। भारत के पर्यटक अब बिना वीजा के श्रीलंका के पर्यटन स्थलों पर जा सकेंगे। भारतीय पासपोर्ट धारक बिना वीजा के 57 देशों की यात्रा कर सकते हैं। ​जिनमें अब श्रीलंका भी शामिल हो गया है। श्रीलंका का यह फैसला देश को आर्थिक संकट से उबारने के लिए लगातार की जा रही कोशिशों का एक हिस्सा है। वर्ष 2019 में ईस्टर के दिन हुए बम विस्फोटों के बाद श्रीलंका में पर्यटकों का आगमन कम हो गया था। विस्फोटों में 11 भारतीयों सहित 270 लोग मारे गए थे और 500 से अधिक घायल हो गए थे। कोरोना महामारी के दौरान श्रीलंका में पर्यटन और अन्य काम धंधे बिल्कुल ठप्प होकर रह गए थे। जिसके चलते श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी। लोगों को रोटी के लाले पड़ गए थे। हजारों लोगों ने सत्ता के प्रतिष्ठानों को घेरकर सत्ता की चूलें हिला दी थीं।
भारत ने ही श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने के लिए आर्थिक मदद और अन्य सहायता दी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पड़ोस प्रथम नीति के चलते भारत ने कोरोना टीकों की मुफ्त खेप भी श्रीलंका भेजी थी। श्रीलंका में चीन ने अपना बहुत ही गंदा खेल खेला। चीन ने अपनी विस्तारवादी नीतियों पर चलते हुए श्रीलंका काे भारी-भरकम ऋण देकर फंसाया। श्रीलंका की सत्ता में बैठे लोगों ने ऋण लेकर घी पीना शुरू कर दिया। कर्ज न चुकाने के चलते चीन ने श्रीलंका के बंदरगाह पर कब्जा भी कर लिया। श्रीलंका ने अपने आर्थिक संसाधनों का कोई विकास ही नहीं किया। श्रीलंका पर चीन का लगभग 5 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज चढ़ गया। कर्ज का बोझ, खाली सरकारी खजाना और महंगाई का कोहराम। देश के हालात इतने खराब हो गए कि राष्ट्रपति काे भी देश छोड़ना पड़ा। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने श्रीलंका के हालात ठीक करने के लिए श्रीलंका को तीन अरब डॉलर का बेल आऊट पैकेज दिया था और इसकी पहली किश्त भी जारी कर दी थी। आईएमएफ की मदद के बाद से देश के हालात कुछ सुधरे, महंगाई भी कुछ कम हुई। पिछले महीने आईएमएफ अधिकारियों ने श्रीलंका की यात्रा की और बेल आउट पैकेज की पहली समीक्षा में उसे असफल करार दिया।
चीन ने श्रीलंका को मिलने वाले बेल आऊट पैकेज में अड़ंगा लगा दिया जिस कारण उसे अब दूसरी किश्त नहीं मिल रही। कर्ज का बोझ डालने के बाद अब श्रीलंका में सुधर रहे हालात चीन काे अब रास नहीं आ रहे। श्रीलंका के नेताओं का भी चीन से मोह भंग हो चुका है। श्रीलंका को समझ आ चुका है कि उसका सुख-दुख का साथी भारत ही है। श्रीलंका के संकट काल में भारत ने ही ईंधन, गैस और खाद्य संकट दूर करने में तथा अन्य जरूरी चीजों की श्रीलंका काे समय पर सप्लाई करके मदद की थी। भारत की तरफ से श्रीलंका को करीब 4 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता दी गई थी जो अपने आप में बहुत बड़ी सहायता थी। राजपक्षे भाइयों के शासनकाल में तो श्रीलंका चीन का बहुत बड़ा हिमायती बन गया था लेकिन आर्थिक संकट के समय चीन ने श्रीलंका को ठेंगा दिखा दिया। अमेरिका और ब्रिटेन के बाद भारत श्रीलंका का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गन्तव्य है। श्रीलंका अपने 60 प्रतिशत से अधिक के निर्यात के ​लिए भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते का लाभ भी उठाता है। साथ ही भारत श्रीलंका का एक प्रमुख निवेशक भी है। जुलाई माह में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे भारत आए थे तो दोनों देशों में आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने के ​िलए ऊर्जा, बिजली, सम्पर्क समेत कई क्षेत्रों में समझौते हुए थे। श्रीलंका पर्यटन के क्षेत्र में भारत से मिलकर काम करने काे काफी उत्सुक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति के सामने तमिल हितों का मुद्दा उठाया था। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने आश्वासन दिया ​था कि वह तमिलों के हितों का पूरा ध्यान रखेंगे। श्रीलंका को समझ आ चुका है कि भारत के साथ रहने में ही उसकी भलाई है। वैसे भी चीन की नीति यही रही है कि जिस देश में वह निवेश करता है उस देश को अपने कर्जजाल में फंसा कर अपने हितों को साधता है। चीन हिन्द महासागर में लगातार अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है ताकि भारत को दबाव में रखा जा सके। श्रीलंका द्वारा भारतीयों के लिए वीजा मुक्त करना एक अच्छा कदम है। इससे पर्यटन बढ़ेगा और श्रीलंका को आर्थिक लाभ होगा।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

19 − 2 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।