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जश्न-ए-आजादी पर सैकड़ों दलितों ने किया धर्म परिवर्तन

लघु सचिवालय के बाहर दलित ज्वाइंट एक्शन कमेटी के बैनर तले सैकड़ों दलितों ने धर्म परिवर्तन करते हुए बौद्ध भिक्षुओं की हाजिरी में बौद्ध धर्म को ग्रहण किया।

जींद : जश्न-ए-आजादी के दिन जींद में लघु सचिवालय के बाहर दलित ज्वाइंट एक्शन कमेटी के बैनर तले सैकड़ों दलितों ने धर्म परिवर्तन करते हुए बौद्ध भिक्षुओं की हाजिरी में बौद्ध धर्म को ग्रहण किया। बौद्ध धर्म ग्रहण करने की प्रक्र्रिया को पूर्ण करने के लिए पांच बौद्ध भिक्षु बुलाए गए थे। जिन्होंने विधिवत रूप से सैकड़ों दलितों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दिलाई। इस दौरान बौद्ध धर्म ग्रहण करने वाले दलितों को प्रमाण पत्र भी जारी किए गए। दीक्षा कार्यक्रम से पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दलित ज्वाइंट एक्शन कमेटी के संयोजक दिनेश खापड़ ने कहा लघु सचिवालय जींद के बाहर उनका धरना पिछले 187 दिनों से चल रहा है।

इस धरने के मार्फत दलितों पर अत्याचार से संबंधित कुछ मांगे सरकार के समक्ष रखी गई थी। परंतु इतना समय बीत जाने के बावजूद भी सरकार ने किन मांगों पर जानबूझकर कोई ध्यान ना दिया। दिनेश खापड़ ने बताया कि 2 साल पहले कॉन्फेड में कार्यरत ईश्वर सिंह ने अपने अधिकारियों की प्रताडऩा से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद उनके शव के साथ जीन्द के सिविल अस्पताल में 6 दिन तक प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन के आखरी दिन हरियाणा सरकार के मंत्री कृष्ण पंवार मौके पर आए थे। उन्होंने सभी मांगें मानने का आश्वासन दिया था परंतु आज तक इस मामले में सीबीआई जांच व पीडि़त के परिवार को सरकारी नौकरी नहीं दी गई है। इसके अतिरिक्त झांसा गांव में दलित छात्रा के साथ सामुहिक रेप व मर्डर के मामले में भी आज तक सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए गए हैं।

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इसके साथ ही जीन्द के शहीद सिपाही सतीश जो बॉर्डर पर आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी व गांव में उनकी शहादत के स्मारक के तौर पर कोई स्मारक नहीं बनाया गया है। गांव भाटला के दलितों का पिछले 1 साल से सामाजिक बहिष्कार हो रहा है। परंतु सामाजिक बहिष्कार करने वालों व उनकी मदद करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। गांव भाटला के दलित आज भी सामाजिक बहिष्कार की पीड़ा में जीने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा और भी अनेको मांगे हैं जिनके बारे में सरकार को सैकड़ों बार ज्ञापन दिए जा चुके हैं। इन मांगों के बारे में डिप्टी कमीश्नर के अलावा मुख्यमंत्री से भी कई बार मुलाकात हो चुकी है।

परंतु दलित समाज से होने के चलते इन मांगों को जानबूझकर भेदभाव के चलते पूरा नहीं किया जा रहा है दिनेश खापड़ ने बताया कि एक तरफ तो सरकार चिल्ला-चिल्लाकर कहती है कि वह हिंदू धर्म की ठेकेदार है तथा हिंदू होने पर उनको गर्व है। परंतु हिंदू धर्म के ही दलित समाज को जानबूझकर उत्पीडऩ व प्रताडि़त किया जा रहा है। इसलिए अब दलितों का भाजपा सरकार तथा हिंदू धर्म में कोई विश्वास नही रहा है। हिंदू धर्म में रहते हुए वह और उत्पीडऩ बर्दास्त नहीं कर सकते हैं । इसलिए सर्व दलित समाज ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला लिया जिसके मार्फत यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। दलित ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्य एडवोकेट रजत कल्सन ने बताया कि इस सरकार ने यह जता दिया है कि हिंदू धर्म में दलितों के लिए कोई जगह नहीं है। हिंदू धर्म में रहते हुए दलितों को जलालत व उत्पीडऩ तथा शोषण झेलना पड़ रहा है।

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उन्होंने कहा कि यह साफ नजर आ रहा है कि जब तक दलित हिंदू धर्म में रहेगा उनकी उन्नति संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में गायों के लिए आयोग है, परंतु दलितों के लिए कोई आयोग नही है। इसलिए अत्याचार से पीडि़त दलितों ने हिंदू धर्म को त्याग कर बौद्ध धर्म का रुख किया है। रजत कल्सन ने बताया कि आगामी 20 अगस्त को बड़े स्तर पर गांव भाटला में सामाजिक बहिष्कार जेल रहे दलित समाज के लोग अन्य गांवों के दलित अत्याचारों से पीडि़त परिवारों के साथ सैकड़ों की संख्या में बौद्ध धर्म ग्रहण को करने का काम करेंगे इस मौके पर भाटला गांव से आए हुए दलितों ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह सामाजिक बहिष्कार से पीडि़त हैं तथा सरकार उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही है। इसलिए उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला किया है। उन्होंने मौके पर आए लोगों को भाटला में दलितों के बौद्ध धर्म ग्रहण कार्यक्रम में आने के लिए आमंत्रित भी किया।

– संजय शर्मा

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