चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने के बेहद ही महत्वपूर्ण फैसले में हरियाणा सरकार को बड़ा झटका देते हुए सरकार द्वारा वर्ष 2016 में 4 मुख्य संसदीय सचिवों की जो नियुक्तियां की थी उसे रद्द कर दिया है। जस्टिस एस.एस. सारों एवं जस्टिस दर्शन सिंह की खंडपीठ ने बुधवार को इन नियुक्तियों के खिलाफ एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी दायर जनहित याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा की यह नियुक्तियां असंवैधानिक और अवैध तरीकों से और प्रावधानों का उलंघन कर की गई हैं, इसी आधार पर हाईकोर्ट ने यह नियुक्तियां रद्द कर दी है।
हाई कोर्ट द्वारा इन नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाते ही हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट से आग्रह किया की वो इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करना चाहते हैं लिहाजा इसके लिए उन्हें तीन सप्ताह का समय दिया जाये हाई कोर्ट ने सरकार को समय देते हुए अपने फैसले को लागु करने पर तीन सप्ताह की अंतरिम रोक लगा दी है लेकिन ये साफ कर दिया है कि, यह नियुक्तियां अवैध और असंवैधानिक हैं।
बता दें की हाईकोर्ट ने गत वर्ष 12 अगस्त को हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार द्वारा वर्ष 2012 में नियुक्त 19 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियां भी इसी आधार पर रद्द कर कर दी थी लेकिन इस मामले में हरियाणा सरकार ने अपने चार मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों का बचाव करते हुए दलील दी थी की उन्होंने एक प्रावधान के तहत ही यह नियुक्तियां की हैं, अब हाईकोर्ट हरियाणा सरकार सरकार की सभी दलीलें खारिज करते हुए बुधवार को अपने अंतिम फैसले में श्याम सिंह राणा, बख्शीश सिंह विर्क, सीमा त्रिखा और डॉ. कमल गुप्ता की मुख्य संसदीय सचिव के पद पर की गई नियुक्ति को रद्द कर दिया है।
(आहूजा)