चंडीगढ़ : हरियाणा में मिशन-75 से काफी दूर रह चुकी भाजपा अब जिलों में जाकर इसके कारणों पर मंथन करेगी। पूर्व मंत्रियों से प्रदेश स्तर पर हुई हार के कारण जानने के बाद भाजपा ने अब निचले स्तर पर हार की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला दोनों हर जिले में जाएंगे तथा पार्टी वर्करों के साथ-साथ चुनाव हारे उम्मीदवारों के साथ बैठकें करेंगे।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल बदली परिस्थितियों में कार्यकर्ताओं को भी एकजुट करने तथा उनका हौसला बढ़ाने के लिए हरियाणा का दौरा करेंगे। चार से छह नवंबर तक चलने वाले विधानसभा के विशेष सत्र के बाद मुख्यमंत्री के जिलास्तरीय दौरे शुरू होंगे। मुख्यमंत्री चंडीगढ़ में अपने निवास पर अपनी पुरानी कैबिनेट के आठ मंत्रियों से चुनाव हारने के कारणों की जानकारी हासिल कर चुके हैं।
अधिकतर पूर्व मंत्रियों ने जाटों व दलितों की एकजुटता के साथ ही कर्मचारियों की नाराजगी को हार का बड़ा कारण बताया है। शहरी मतदाता इसलिए अपने घरों से नहीं निकले, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि भाजपा तो चुनाव जीत ही रही है। इस आत्मविश्वास के चलते कार्यकर्ता भी अपने घरों से बाहर नहीं निकला। खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विधानसभा क्षेत्र करनाल में कांग्रेस उम्मीदवार त्रिलोचन सिंह को मिले 35 हजार वोट कार्यकर्ताओं की कथित मेहनत की ओर इशारा कर रहे हैं।
भाजपा जहां सत्ता विरोधी लहर का शिकार हुई, वहीं कार्यकर्ताओं व सरकार का अति आत्मविश्वास मिशन 75 की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बना है। राज्य में भाजपा अब गठबंधन की सरकार बनाने में तो कामयाब हो गई है, लेकिन कार्यकर्ताओं को टिकाए रखना और उसमें भरोसा लौटाना सबसे बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री हर जिले में जाकर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के साथ ही उन्हें मोटिवेट (उत्साहित) करने का काम करेंगे।
भाजपा हाईकमान ने खुद मनोहर लाल को फील्ड में उतरने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री हालांकि नए मंत्रिमंडल के गठन की कवायद में भी जुटे हुए हैं, लेकिन संगठन के काम में तेजी लाने को लेकर भी खासे गंभीर दिखाई दे रहे हैं।