समय के साथ राजनीति बहुत ही आकर्षण का क्षेत्र बनता जा रहा है। राजनीति में आप जीवन को सार्थक और सफल बनाने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही आप ईमानदारी से काम करें तो समाज सेवा का पुण्य भी मिलता है। प्रायः देखा जाता है कि बहुत से लोगों को राजनीति में आसानी से सफलता नहीं मिलती है। बहुत प्रयासों के उपरान्त भी आंशिक सफलता ही मिल पाती है। ऐसा क्यों होता है?
दरअसल राजनीति में अच्छी सफलता के लिए हमारे जन्मकालीन ग्रहों का बलवान होना जरूरी है। यदि ऐसा नहीं होगा तो राजनीति में सफलता नहीं मिल पायेगी। ना ही कोई सामाजिक उच्च पद प्राप्त होगा। आपसे निम्न स्तर के लोग राजनीतिक पदों पर आसीन हो जायेंगे, और समुचित योग्यता के बावजूद भी आप विफल रह सकते हैं। दरअसल राजनीति में सफलता के संदर्भ में जन्म कुंडली के ग्रहों की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। मैं कुंडली और हस्तरेखाओं से बनने वाले साधारण योगों के बारे में यहां बताने का प्रयास करूंगा। जिससे प्रिय जागरूक पाठक लाभ हो सके।
जन्मांग चक्र और राजनीति में सफलता
जन्म कुंडली में जनता का भाव चौथा होता है। और राजयोग दशम स्थान से बनता है। इन दोनों भावों का लग्न से संबंध स्थापित होना जरूरी है। इसके अलावा सूर्य और बृहस्पति का बलवान होना भी परम आवश्यक है। इन सब के साथ ही यह भी अनुभव में आता है कि जीवन में ठीक समय पर कारक ग्रहों की दशाएं भी आनी चाहिए। कुछ विद्वान राहु को भी राजनीति से जोड़ कर देखते हैं। लेकिन राहु कभी भी उच्च स्तर की सफलता नहीं दे सकता है। वैसे भी राहु के पास सुख भोगने के लिए शरीर है ही नहीं। उसके पास तो केवल सिर ही है।
हस्तरेखा और राजनीति में सफलता के योग
लगभग सभी रेखाओं का सरल और पूर्ण होना जरूरी है। रेखाओं का कटना सफलता में अचानक बाधा उत्पन्न करता है। रेखाएं गहरी और लाल कलर की होनी चाहिए। प्रमुख रेखाओं के अलावा अन्य अनावश्यक रेखाओं का होना शुभ नहीं है। ग्रहों में सूर्य और बृहस्पति और शनि का प्रमुख रूप से उठा होना जरूरी है। हथेली गहरी नहीं होनी चाहिए। यदि हथेली गहरी है तो राजनीति में बहुत प्रयासों के बावजूद भी व्यक्ति अन्ततः निराशा में डूब जाता है।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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