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यदि मानसिक तनाव रहता है तो करें भगवान नृसिंह की पूजा और देखें चमत्कार

आमतौर पर जब चन्द्रमा पक्षबलहीन होकर पाप प्रभाव में हो और लग्न और द्वितीय भाव पर भी विध्वंसकारी मंगल और राहु जैसे ग्रहों का प्रभाव हो तो जातक को एक निश्चित आयु में मानसिक तनाव, मतिभ्रम, डिप्रेशन, उन्माद या पागलपन का शिकार होने की शंका रहेगी। यहां यह ध्यान में रखने की बात है कि चन्द्रमा का पक्षबलहीन होना पूरी तरह से चन्द्रमा को कमजोर नहीं करता है। चन्द्रमा यदि पक्षबलहीन है तो भी वह अशुभ नहीं होता है। लेकिन जब चन्द्रमा पक्षबलहीन होकर पाप ग्रहों से पीड़ित हो, तो ही उसे मानसिक तनाव का कारक समझना चाहिए। ग्रहों के प्रभाव के अनुसार रोग का असर कम या ज्यादा हो सकता है। हालांकि ज्योतिष अत्यन्त कलिष्ट विषय है इसलिए विषयों को समझने के लिए अच्छा खासा अनुभव चाहिए होता है।

दूसरी बात यह भी है कि ज्योतिष में हार्ड एण्ड फास्ट कुछ भी नहीं होता है, फिर भी किसी भी योग के प्रति कभी भी निश्चित धारणा नहीं बनानी चाहिए। दूसरे योगों को भी ध्यान में रखना चाहिए। इसके साथ ही विंशोत्तरी दशा क्रम का भी विषेष महत्त्व है। बहुत से मामलों में देखा जाता है कि कुण्डली में साधारण से दिखने वाले योग भी जीवन में फलित नहीं होते हैं। इसका कारण विंशोत्तरी दशा क्रम भी है। इसलिए समग्र जन्मांग चक्र के विश्लेषण से ही किसी नतीजे पर पहुंच सकते हैं। तथापि मैं अपने सुविज्ञ पाठकों को बहुत ही सरल भाषा में जानकारी देने का प्रयास करता हूं।

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चन्द्रमा पक्षबलहीन कब और कैसे होता है

आमतौर पर अमावस्या तिथि से पंचमी तिथि तक और पूर्णिमा के बाद दशमी तिथि से अमावस्या तक चन्द्रमा की न्यूनतम कलाएं होती हैं जिसके कारण चन्द्रमा का पक्षबलहीन माना जाता है। इसका एक सरल तरीका यह भी है कि जब आपको आसमान में चन्द्रमा बहुत सूक्ष्म रूप में दिखाई दे तो चन्द्रमा को पक्षबलहीन समझना चाहिए।

चन्द्रमा को बलहीन करने वाले दूसरे योग

चन्द्रमा मन का कारक है। स्वभाविक तौर पर यदि चन्द्रमा कमजोर होगा तो मानसिक तनाव या मानसिक रोग के रूप में उसका प्रभाव जीवन में दिखाई देगा। लेकिन चन्द्रमा का पक्षबलहीन होना तो एक पक्ष है ही, दूसरे भी कुछ योग हैं जिनके आधार पर चन्द्रमा को बलहीन समझा जा सकता है। इस स्थिति में भी मानसिक तनाव की अधिकता रह सकती है। जैसे जब चन्द्रमा राहु या केतु के साथ हो या जब चन्द्रमा शनि के साथ हो। राहु या केतु की चन्द्रमा के साथ युति होने से ग्रहण दोष बनता है। इसी प्रकार से शनि-चन्द्रमा की युति होने से विष योग बनता है जो कि गंभीर मानसिक परेशानी का कारण बन सकता है। जिसकी कुंडली में विष योग होता है वह व्यक्ति हमेशा गलत डिसिजन लेता है। संभव है कि ऐसा व्यक्ति आजीवन कर्जदार बना रहे। लेकिन किसी निश्चित निर्णय पर पहुंचने से पहले यह देखें कि वास्तव में चन्द्रमा पीड़ित है या नहीं। क्योंकि किसी एक योग के पूर्ण फल देने या नहीं देने में जन्म कुंडली के बहुत से दूसरे योगों की भी अपनी भूमिका होती है।

क्या करें

चन्द्रमा के दूषित होने से मानसिक तनाव के साथ ही यह भी संभव है कि कोई मानसिक रोग हो जाए। आमतौर पर इस प्रकार के रोगों में चिकित्सा बहुत समय तक चला करती है उसके बाद भी ज्यादातर में मामलों में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते हैं। अब प्रिय पाठकों के मन में शंका उठती है कि यदि यह तय हो जाए कि जन्म कुंडली में वास्तव में ही चन्द्रमा न केवल कमजोर है बल्कि वह पीड़ित भी है तो इसके क्या उपया करने चाहिए। जब इस समस्या को ज्योतिषीय संदर्भों में देखा जाए तो भगवान नृसिंह की पूजा बहुत ही चमत्कारी उपाय माना गया है। जिन लोगों के परिवार में इस प्रकार की समस्या से पीड़ित यदि कोई रोगी है तो उन लोगों को घर के मंदिर में भगवान नृसिंह की मूर्ति या चित्र अवश्य रखना चाहिए। अच्छे परिणाम पाने के लिए भगवान नृसिंह के एक चित्र को पीड़ित के कक्ष में लगाने से भी लाभ प्राप्त होता है। भगवान नृसिंह के दो चित्र प्रचलित हैं एक में वे अपने भक्त प्रह्लाद को गोद में लिए हुए हैं तो दूसरे चित्र में वे हिरण्यकश्यप का वध कर रहे हैं। भक्त प्रह्लाद को गोद में लिए हुए चित्र को अधिक प्रभावी समझा गया है। हालांकि यह चित्र आसानी से मिलता नहीं है, इसलिए इन्टरनेट से डाउनलोड करके प्रिन्टर से तैयार करवा लेना चाहिए।

कुछ दूसरे उपाय भी कर सकते हैं

चन्द्रमा को ठीक करने के लिए हाथ की सबसे छोटी अंगुली यानि किनिष्ठिका में चांदी में, कम से कम 8 कैरेट का मोती धारण करना चाहिए। हमेशा ध्यान रखें कि मोती पूरी तरह से गोल होना चहिए। चपटा मोती कोई काम नहीं करता है। यदि आप मोती नहीं धारण कर सकते हैं तो लगभग 33 ग्राम का चांदी का कड़ा दायंे हाथ की कलाई में पहनना चाहिए। मोती या कड़े दोनों को ही धारण करने से पूर्व चन्द्रमा के 11000 बीज मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाना आवश्यक है। तभी इनकी प्राण प्रतिष्ठा होती है और इनका पूरा प्रभाव जीवन में दिखाई देता है।

Astrologer Satyanarayan Jangid
Email- writer.jangid@gmail.com

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