उन्नाव पीड़िता के पिता की हत्या मामला, कुलदीप और उसके भाई का नाम CBI ने जानबूझकर नहीं लिया : वकील - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

उन्नाव पीड़िता के पिता की हत्या मामला, कुलदीप और उसके भाई का नाम CBI ने जानबूझकर नहीं लिया : वकील

परिवार के वकीलों धर्मेन्द्र मिश्रा और पूनम कौशिक ने आरोप लगाया कि जांच अधिकारी ने मामले की जांच समुचित ढंग से नहीं की।

उन्नाव बलात्कार पीड़िता के वकील ने यहां की एक अदालत को शनिवार को बताया कि पीड़िता के पिता की हत्या मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ‘‘जान-बूझकर’ भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उसके भाई का नाम आरोपियों के रूप में नहीं लिया। 
उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई पूरी किये जाने की समय सीमा 45 दिन तय की थी और इसी के अनुपालन में दिल्ली उच्च न्यायालय की अनुमति से अदालत के अवकाश पर जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने विशेष सुनवाई की और इस दौरान यह दलील दी गई। 
सीबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ लोक अभियोजक अशोक भारतेन्दु ने इस आरोप से इनकार किया और कहा कि जांच अधिकारी (आईओ) ने मामले में पूरी ‘‘निष्पक्षता’’ के साथ सबूत इकट्टा किये है और उनकी ओर से कोई ‘‘दुर्भावनापूर्ण’’ इरादा नहीं था। 
अदालत ने 2018 में कथित हमला और शस्त्र अधिनियम मामले में बलात्कार पीड़िता के पिता को फंसाने के मामले में आरोप तय करने के विषय पर 13 अगस्त के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। सीबीआई के आरोप पत्र में सेंगर और उसके भाई अतुल सिंह सेंगर और उत्तर प्रदेश पुलिस के तीन अधिकारियों समेत 10 लोगों के नाम आरोपियों के रूप में है। 
आज की सुनवाई के दौरान पीड़िता के पिता का हत्या मामला भी अदालत के समक्ष आया। सीबीआई ने इस मामले में सेंगर और उसके भाई के नाम आरोपियों के रूप में शामिल नहीं किये है। सीबीआई ने कहा कि हत्या मामले में हालांकि आरोपपत्र दायर किया जा चुका है और जांच जारी है। 
भारतेन्दु ने कहा, ‘‘यह नहीं कहा जा सकता है कि आईओ ने जानबूझकर मामले में आरोपी के रूप में विधायक और उनके भाई अतुल सिंह सेंगर का नाम नहीं लिये और आरोपियों का समर्थन किया। पूरी निष्पक्षता के साथ साक्ष्य एकत्र किए गए थे। उनकी ओर से कोई ‘‘दुर्भावनापूर्ण’’ इरादा नहीं था।’’ 
लोक अभियोजक ने कहा, ‘‘अब तक, सीबीआई को विधायक के खिलाफ एक आरोपी के रूप में कुछ भी नहीं मिला है। यदि सुनवाई के दौरान एजेंसी को इन दोनों के खिलाफ कोई सबूत मिलता है तो एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया जायेगा।’’ 
बलात्कार पीड़िता और उसके परिवार के वकीलों धर्मेन्द्र मिश्रा और पूनम कौशिक ने आरोप लगाया कि जांच अधिकारी ने मामले की जांच समुचित ढंग से नहीं की। 
मिश्रा ने कहा, ‘‘पिता को कथित तौर पर बुरी तरह से पीटा गया और इस कारण वह घायल हो गये और न्यायिक हिरासत में उनकी मौत हो गई। आईओ ने जानबूझकर दो अलग-अलग आरोपपत्र दाखिल किये जिसमें से एक आरोप पत्र में हमला और झूठे आरोप तय करने का मामला था और एक अन्य में हत्या मामला था।’’ 
उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक और उसके भाई ने अपने ‘‘साथियों’’ के साथ मिलकर 19 वर्षीय पीड़िता के पिता पर हमला किया था और उसके खिलाफ एक झूठी प्राथमिकी दर्ज कराई थी। सुनवाई के दौरान न्यायालय को आईओ द्वारा बताया गया कि बलात्कार पीड़िता की मां और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए ठहरने की समुचित व्यवस्था की गई थी। 
मामले में केन्द्रीय एजेंसी ने जिन तीन पुलिस अधिकारियों के नाम आरोपियों के रूप में लिये है उनमें माखी के तत्कालीन थाना प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया, उप निरीक्षक कामता प्रसाद और कॉन्स्टेबल आमिर खान शामिल हैं। वे अभी जमानत पर है। अन्य आरोपियों में शैलेन्द्र सिंह, विनीत मिश्रा, वीरेंद्र सिंह, शशि प्रताप सिंह और राम शरण सिंह शामिल हैं। बलात्कार पीड़िता के पिता की नौ अप्रैल, 2018 को न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

16 + eighteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।