जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अलगाववादियों से भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार द्वारा एकतरफा संघर्ष विराम और संवाद प्रस्ताव का इस्तेमाल एक अवसर के रूप में करने की अपील करते हुए कहा कि राज्य को खून-खराबे से बचाने के लिए वे बातचीत में शामिल हों।
महबूबा मुफ्ती ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) के अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, ‘ कश्मीर की जनता और स्थानीय नेतृत्व को यह निर्णय लेना है कि वे केंद, सरकार द्वारा एकतरफा संघर्ष विराम और संवाद प्रस्ताव के अवसर का इस्तेमाल कैसे करते हैं।’ उन्होंने कहा कि ऐसे अवसर‘रोज-रोज नहीं आते‘।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एकतरफा संघर्ष विराम और संवाद प्रस्ताव अलगाववादियों के लिए राज्य में खून खराबा रोकने के लिए एक अवसर है। उन्होंने कहा, ‘ कई ऐसे दल हैं जो मुख्यधारा में शामिल नहीं है, और यदि उनके पास कोई अलग एजेंडा है, तो अब उनके लिए भी अवसर है, यदि वे जम्मू कश्मीर में खून खराबा खत्म करना चाहते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘ हम हमेशा कहते रहे हैं कि जम्मू कश्मीर की समस्या का राजनीतिक समाधान ही संभव है और सेना और सीआरपीएफ इस समस्या का समाधान नहीं कर सकते।’ उन्होंने आगे कहा कि इसे केवल राजनीतिक रूप से और बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है।’
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि, ‘ मैं सभी पक्षों से आग्रह करती हूँ कि वे आगे आयें और जम्मू कश्मीर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए केंद, सरकार द्वारा दिये गये बातचीत के इस अवसर का इस्तेमाल करें।’ रमजान के पवित्र महीने में केंद, सरकार द्वारा एकतरफा संघर्ष विराम की घोषणा के बाद हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यदि अलगाववादी बातचीत करना चाहते हैं तो केंद, इसके लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि, ‘ वह अलगाववादियों पर दबाव नहीं बना सकतीं, पर यह उन्हें तय करना है कि वे कश्मीर के युवाओं को पत्थरबाजी और गोली बंदूक की संस्कृति से बाहर आने का रास्ता दिखाना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा,’दो दिन पहले ही एक युवक पथराव के दौरान गाड़ की चपेट में आकर मारा गया, वह अनाथ था, आखिर वह पत्थर बाजी में कैसे शामिल हो गया? युवाओं को पत्थरबाजी और गोली बंदूक की संस्कृति और इस दुष्चक्र से बाहर आने का रास्ता क्यों नहीं दें।’
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि राज्य की मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने उन्हें (अलगाववादियों) बातचीत का माहौल बनाकर एक अवसर दिया है और अब यह उनपर निर्भर है कि वे कैसे इस अवसर का फायदा उठाते हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरे द्वारा बुलाये गये सर्वदलिय बैठक और केन्द्र सरकार से राज्य में युद्ध विराम का आग्रह के पीछे बातचीत का बेहतर माहौल था। इसके साथ हमने एक शुरूआत की है और मैं उन सभी दलों को धन्यवाद देती हूं जिन्होंने इस प्रक्रिया में मेरा साथ दिया। अब गेंद आपके (अलगाववादियों) पाले में है। इस शांति प्रक्रिया में सकारात्मक सहयोग दें। ‘ राज्य के युवाओं द्वारा ज्यादा संख्या में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के सवाल पर सुश्री महबूबा ने कहा कि आतंकवाद में बढ़तरी कश्मीर में सुरक्षा बलों के मौजूदगी को ही बढ़वा देगी। उन्होंने कहा, ‘ जितनी ज्यादा संख्या में राज्य के युवा आतंकवादियों के साथ जुड़गे उतनी ही ज्यादा सेना, सीआरपीएफ और पुलिस की मौजूदगी यहां बढ़गी।’
महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘स्थिती में जितना ज्यादा सुधार होगा, उतना ही हम सेना, सीआरपीएफ और पुलिस से कह सकते हैं कि आपकी भूमिका खत्म हो गयी है और अपनी तैनाती में कमी लाएं।’ इस बात पर जोर देते हुए सीमा के दोनों तरफ के लोग संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए मारे जा रहे हैं, महबूबा मुफ्ती ने भारत और पाकिस्तान दोनों सेनाओं से बातचीत फिर से बहाल करने की अपील की ताकि खून खराबा रूक सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाज्ञपूर्ण है कि (संघर्ष विराम का उल्लंघन) यह तब भी हो रहा है जब महानिदेशक सैन्य अभियान (डीजीएमओ) के स्तर पर बातचीत हुई थी। उन्होंने कहा,’ सीमा के दोनों तरफ के लोग मारे जा रहे हैं। डीजीएमओ के बीच फिर से बातचीत होना चाहिए। यह खून खराबा किसी भी हालत में खत्म होना चाहिए।
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