रायपुर : छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता टेंडर गड़बड़ी मामला सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है। इससे पहले ये मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में भी खारिज हो चुका है। मामले में याचिकाकर्ता संतकुमार नेताम ने तेंदुपत्ता की टेंडर में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए करीब 400 करोड़ की हानि का आरोप लगाया था। इस मामले में हाईकोर्ट में दायर याचिका पहले ही खारिज कर दी गयी थी, जिसके बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी। आज सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने प्रकरण को खारिज कर दिया और मामले की शिकायत कंपीटिशन कमीशन आफ इंडिया में करने को कहा। संतकुमार नेताम की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने पैरवी की, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल ने पक्ष करा।
दोनों तरफ से सुनी गयी दलील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टेंडर संबंधी मामलों में शिकायत के लिए टेंडर की प्रक्रिया अब पूर्ण हो चुकी है वहीं टेंडर की गड़बड़ी संबंधी मामले की शिकायत का हाईकोर्ट उचित फार्म नहीं है, हाईकोर्ट में ये प्रकरण खारिज हो गया है, तो फिर सुप्रीम कोर्ट में दोबारा से इस प्रकरण को सुने जाने का कोई औचित्य नहीं है, लिहाजा इस मामले को याचिकाकर्ता कंपीटिशन कमीशन आफ इंडिया में ले जायें, और वहां अपनी शिकायतों को रखेंगे। ज्ञात हो कि संतकुमार नेताम ने तेंदुपत्ता टेंडर में गड़बड़ी मामले में सरकार पर करीब 400 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप लगाया ता।
आरोप ये भी था कि कम कीमत पर तेंदुपत्ता की खरीदी की गयी है, जाहिर है, जब तेंदुपत्ता बोनस का वितरण किया जायेगा, तो इस वनवासियों को इसके एवज में मिलने वाला तेंदुपत्ता बोनस भी कम मिलेगा। हाईकोर्ट मेंसंतकुमार नेताम ने एक याचिका लगाकर कहा था, कि प्रदेश सरकार ने तेंदूपत्ता खरीदी में गड़बड़ी कर एसे लोगों को खरीदी का टेंडर दे दिया, जिनके रेट बोली में 10वें व 20वें नंबर पर थे। इसमें सबसे ज्यादा राशि वाले लोगों को टेंडर देना था, लेकिन अपने लोगों को टेंडर देने के लिए शासन ने ऐसा नहीं किया। याचिकाकर्ता ने कहा कि इससे शासन को तीन सौ करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ और तेंदूपत्ता एकत्र करने वाले हजारों आदिवासियों को बोनस की राशि भी कम मिलेगी।