सीएए (Amended citizenship law) के खिलाफ राजधानी में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने के आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता एवं संस्कृतिकर्मी दीपक कबीर ने रिकवरी नोटिस (Recovery notice) को लेकर गुरूवार को (यानी आज) कहा कि हमें उल्टे योगी सरकार से मुआवजा चाहिए क्योंकि हमारी छवि खराब की गयी है। कबीर ने कहा, ”रिकवरी नोटिस बेबुनियाद है।
आदेश अभी नहीं मिला है। जब मिलेगा तो अदालत में चुनौती देंगे। प्रशासन को भी सोचना चाहिए कि यह नागरिकों का उत्पीड़न है।” उन्होंने कहा, ”सामाजिक रूप से सक्रिय जागरूक लोगों और बेगुनाहों को क्यों पकड़ेंगे ? हमें उल्टे सरकार से मुआवजा चाहिए। हमारी छवि खराब की गई।
हम पुलिस के खिलाफ भी अदालत में जाएंगे। हमारा नुकसान हुआ है। पुलिस और प्रशासन की इस तरह की दमनपूर्ण कार्रवाई से सरकार की छवि भी खराब हो रही है ।” कबीर ने बताया कि जेल में पिछले साल 30 दिसंबर को शाम छह बजे नोटिस आया था कि सात दिन के अंदर एडीएम वैभव मिश्रा के यहां पेश होना है और जवाब दाखिल करना है।
उन्होंने बताया ‘‘जेल के अंदर रहते हुए जेल अधीक्षक के माध्यम से हमने एक पत्र भेजा था कि हम जेल में, न्यायिक हिरासत में हैं। ऐसे में आपको हमें हाजिर करवाना है तो उचित आदेश कराइये या फिर हमें वक्त दीजिए ताकि हम अपने वकील से बात कर जवाब तैयार करवा पायें । उसके बाद हमें इसका कोई फीडबैक प्रशासन की ओर से नहीं मिला कि इस पत्र को उन्होंने कैसे संज्ञान में लिया।
जमानत मिलने के बाद हम इंतजार करते रहे।’’ उन्होंने कहा, ”अचानक रिकवरी नोटिस भेज दिया गया। हम खुद प्रदर्शन में गये थे और हमें गिरफ्तार कर लिया। थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया । सामाजिक छवि धूमिल की गयी। हम पर संगीन धाराएं लगाई गईं और फिर जब अदालत ने पूछा तो एक भी साक्ष्य नहीं था । 18 धाराएं लगायी थीं लेकिन एक भी साक्ष्य नहीं था, जिसकी वजह से जज ने एक ही बार में जमानत दे दी । एक भी सबूत नहीं पेश कर पाये ।”