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आखिर कैसे 7 महीने की बच्ची हो सकती हैं प्रेग्नेंट? ऑपरेशन के दौरान निकला 2 किलो का भ्रूण!

हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर से एक चौका देने वाला किस्सा सामने आया जिसमे एक 7 महीने की बच्ची के पेट में पूरे 2 किलो का भ्रूण पल रहा था लेकिन वह ज़िंदा नहीं था पर सबसे अनोखी बात तो ये थी कि ये आखिर संभव हुआ कैसे?

आपने कई बार ऐसा खुद भी देखा या सुना होगा कि विज्ञानं या चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ ऐसा अनोखा हुआ जिसे सुनकर आपके भी होश उड़े के उड़े रह गए हो। क्योकि आज भी कुछ ऐसी चीज़े बातें हैं जो इंसानी समझ के बिलकुल परे हैं। जिन्हे हम सिर्फ कुदरत का करिश्मा कहकर छोड़ सकते हैं। उन्ही में से कुछ होते हैं ये करिश्मे। जिसका एक ताज़ा मामला आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं जोकि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का है। 
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जहां एक मात्र 7 महीने के बच्चे के पेट से ऑपरेशन के जरिए 2 किलो का दूसरा बच्चा निकाला गया। जी हाँ! कानो पर विशवास करना मुश्किल तो होगा लेकिन ये सच हैं कि पूरे 2 किलो का बच्चा। हालांकि इस भ्रूण में कोई जान नहीं थी। लेकिन खास बात ये है कि बच्चे के पेट में ये भ्रूण जन्म के बाद बड़ा होना शुरू हुआ था। 
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अस्पताल के आस-पास मौजूदा इलाको में इस बात को सुनते ही हल्ला मच गया क्योकि ऐसा होना वाकई बेहद बड़े चमत्कार से कम नहीं हैं। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि चिकित्सा विज्ञान में कभी-कभार ही ऐसे केस देखने को मिलते हैं। बच्चे का पिता प्रयागराज से लगे प्रतापगढ़ जिले के कुंडा का रहने वाला एक व्यक्ति हैं। वह कपड़ा सिलने का काम करते हैं। 
अबतक ऐसे 200 केस आ चुके हैं सामने 
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ऐसा पहली बार नहीं जब ऐसा ही कोई केस सामने आया हो अबतक पूरी दुनिया में ऐसे 200 केस सामने आ चुके हैं। खुद बच्चे का सफल ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर डी कुमार ने बताया कि सात माह का बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है साथ ही उन्होंने कहा, ‘मेडिकल की भाषा में हम इसे ‘फीटस इन फीटू’ कहते हैं यानी बच्चे के अंदर बच्चा. इस तरह के मामले बहुत रेजर कंडीशन में ही देखने को मिलते हैं. दुनिया में लगभग 200 केस अब तक देखे गए हैं’.
माँ के ही गर्भ में होता हैं ऐसा प्रकरण 
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ऐसा होना किसी चमत्कार से तो कम नहीं लेकिन फिर भी साइंस की दुनिया में ऐसा हो चुके हैं जिसके बारे में विस्तार से बताते हुए डॉक्टर डी कुमार ने बताया कि, “यह प्रक्रिया गर्भ के दौरान ही शुरू होती है. जहां गर्भ में पल रहे बच्चे के अंदर, दूसरे भ्रूण पलने लगता है. विज्ञान की भाषा में इसे दो स्पर्म और दो ओवम के आपस से मिलकर दो जाईगोट बनाने से यह स्थिति बनती है. अभी चिल्ड्रन अस्पताल में बच्चे का इलाज चल रहा है, जो की पूरी तरह स्वस्थ है.”

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