स्कूल तो विद्या का वो मंदिर जिसकी छत्र-छाया में हर बच्चे को पालना चाहिए अगर भगवान् इंसान को शरीर देते हैं तो विद्या एक व्यक्ति को इंसान बनाती हैं। लोगो के बीच में बैठना-उठना सिखाती हैं। विद्या के दरबार और छाया से जो इंसान वांछित रह गया उसका कोई भविष्य नहीं हो सकता हैं। लेकिन शायद बिहार के इस स्कूल में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा हैं।
इन दिनों बिहार में सुशासन बाबू की सरकार शिक्षा के क्षेत्र में कितना मेंहनत कर रही है लेकिन फलस्वरुप उसमे कुछ ज़्यादा देखने को मिल नहीं पा रहा हैं। इसका सहज अंदाजा कैमूर की इस घटना से लगाया जा सकता है जहा बच्चो की शिक्षा कितनी खतरे में हैं ये देखा ही जा सकता हैं। कैमूर केदुल्लीपुर पंचायत स्थित मध्य विद्यालय बहुआरा के छात्रों को देश का नाम नहीं पता नहीं है. बात सिर्फ इतना ही होता तो इस बात पर चर्चा नहीं होती. मध्य विद्यालय के बाद जब डीएम उसी गांव के उच्च विद्यालय का निरीक्षण किया . जहां 9 वीं कक्षा के छात्रों को देश के प्रधानमंत्री का नाम मालूम नहीं है. इस स्कूल की घटना ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर एक गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है.
एक दौर था जब पांचवीं कक्षा तक आते-आते बच्चों को राज्य और राजधानी याद कराया जाता था, लेकिन अब ऐसा शायद नहीं होता. चौंकिए मत, हम ऐसा नहीं कह रहे बल्कि कैमूर में एक ऐसा वाक्या सामने आया जिसके बाद यह बातें अब चर्चा शुरू हो गई . दरअसल, कैमूर के डीएम सावन कुमार स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे थे. इस दौरान ऐसा वाक्या सामने आया, जिसके बाद डीएम भी भौचक्का रह गए. मामला कैमूर जिले के चांद प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत दुल्लीपुर पंचायत स्थित मध्य विद्यालय बहुआरा का है. जहां डीएम सावन कुमार स्कूल निरीक्षण करने पहुंचे थे, और जब पांचवीं कक्षा के बच्चों से उन्होंने अपने देश का नाम पूछा तो बच्चे अपने देश का नाम नहीं बता पाए. वहीं जब नवमी कक्षा के छात्रों से पीएम का नाम पूछा तब वह भी इसका जवाब नहीं दे पाए. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्कूलों में बच्चों को किस प्रकार की शिक्षा दी जा रही है.
डीएम सावन कुमार पर पूरी क्लास नज़र आती हैं क्लीन बोल्ड
गौरतलब है कि डीएम सावन कुमार अपने पदस्थापन के बाद से ही लगातार जिले भर में निरीक्षण कर रहे हैं. इसी क्रम में डीएम श्री कुमार मध्य विद्यालय बहुअरा पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने पहले प्रधानाध्यापक और शिक्षकों से बात की और कई तरह की जानकारी ली. इसके बाद वह पांचवी कक्षा में पहुंचे. वहां पहुंचकर उन्होंने बच्चों से बातचीत शुरू की और उनसे अपने देश का नाम पूछा. लेकिन सवाल पूछते ही कुछ ऐसा हुआ जिसकी उम्मीद शायद डीएम साहब को भी नहीं होगी. उनके सवाल का पूरी कक्षा में से कोई भी छात्र जवाब नहीं से सका.जबाव नहीं मिलने के बाद डीएम सावन कुमार वहीं बच्चों के साथ बैठकर शैक्षणिक गुणवत्ता को परखने लगे.
9 वीं क्लास के छात्रों से नहीं बना इसका जवाब
वहीं मध्य विद्यालय के बाद जब डीएम उसी गांव के उच्च विद्यालय का निरीक्षण करने गए तब वहां भी वैसी ही हालत देखने को मिली. डीएम ने जब कक्षा 9 के छात्रों से देश के प्रधानमंत्री का नाम पूछा, तब छात्र इसका जवाब नहीं दे पाए. डीएम ने इस मामले के बाद विद्यालय प्रधान को स्पष्ट निर्देश दिया कि बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार किया जाए.