ना सिर्फ एक्टिंग बल्कि राजनीति में अपना दम दिखाने वाले रवि किशन किसी पहचान के मोहताज नहीं है। भोजपुरी से लेकर हिंदी सिनेमा में अपनी दमदार एक्टिंग से लोगों को अपना फैन बनाने वाले रवि किशन आज अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। भोजपुरी सिनेमा से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले रवि किशन के चाहने वालों की देशभर में कमी नहीं है।
रवि किशन बर्थडे
17 जुलाई 1969 में जौनपुर जिले की केराकट तहसील में रवि किशन का जन्म हुआ था। इनके पिता पंडित श्याम नारायण शुक्ला पुजारी थे। वो रवि को भी एक पंडित ही बनाना चाहते थे लेकिन रवि के जेहन में बचपन से ही एक्टिंग का जुनून सवार था। अपने इसी जुनून के दम पर उन्होंने ना सिर्फ भोजपुरी बल्कि बॉलीवुड में भी अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया।
सीता का रोल निभाने पर हुई पिटाई
रामलीला में सीता का किरदार निभाने वाले रवि किशन के पिता का उनका एक्टिंग करना बिल्कुल पसंद नहीं था। इसी वजह से उनकी कई बार पिटाई भी हुई थी। मगर रवि की मां ने हमेशा उनके एक्टर बनने के सपने का समर्थन किया। मां के दिए 500 रूपये लेकर ही रवि अपना घर छोड़कर मुंबई आए थे। जहां कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने उनका पहला सीरियल हेलो इंस्पेक्टर मिला।
पहली भोजपुरी फिल्म
इसके बाद रवि किशन को सलमान खान स्टारर तेरे नाम में अहम रोल मिला था। इसी फिल्म ने उनकी किस्मत के तारे पलट दिए थे। उसके बाद जल्द ही उन्होंने भोजपुरी इंडस्ट्री में दस्तक दे दी और पंडित जी बताई न बियाह कब होई फिल्म में काम किया। इस फिल्म ने 12 करोड़ रुपये कमाए थे। इसके बाद रवि किशन ने कभी मुड़कर नहीं देखा। आज उन्हें भोजपुरी सिनेमा का अमिताभ बच्चन कहा जाता है।
राजनीति में एंट्री
भोजपुरी और बॉलीवुड दोनों में ही अपने अभिनय का जादू चलाने वाले रवि किशन ने साल 2014 में राजनीति का रुख किया था। भले ही उन्होंने साल 2014 में राजनीति में एंट्री ली थी, मगर उन्हें पहचान साल 2019 में मिली। कांग्रेस से निराश हो चुके रवि किशन पीएम मोदी, सीएम योगी से काफी प्रभावित होकर बीजेपी का दामन थाम लिया।
बीजेपी का हाथ थामना
बीजेपी ने उन्हें गोरखपुर सीट से सांसद का उम्मीदवार बना दिया। हालांकि यहां रवि की मुश्किलें कम नहीं हुई थी। इतनी खास सीट को एक फिल्मी सितारें को सौंपे जाने से लोग काफी निराश थे। मगर गोरखपुर की जनता ने रवि किशन को भारी मतो से जीत दिलाकर अपना सांसद चुना। जबकि साल 2014 में रवि ने जौनपुर से चुनाव लड़ा था। इस सीट पर उन्हें शिकस्त मिली।