केंटकी में एक न्यायाधीश ने बृहस्पतिवार को गर्भपात पर प्रांत के लगभग पूर्ण प्रतिबंध पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी, जिससे वहां प्रक्रिया के फिर से शुरू होने का रास्ता साफ हो गया। वहीं, फ्लोरिडा में एक न्यायाधीश ने कहा कि वह उस प्रांत में 15 सप्ताह के गर्भपात प्रतिबंध को प्रभावी होने से रोकेंगे।केंटकी में इस फैसले से प्रांत के उस कानून पर रोक लग गई, जिसे देश के सर्वोच्च न्यायालय के गर्भपात संबंधी संघीय संवैधानिक सुरक्षा को समाप्त करने के फैसले के बाद लाया गया था।यह मामला देश भर की अदालतों में लड़ी जा रही कानूनी लड़ाई को दर्शाता है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने यह तय करना प्रांतों पर छोड़ दिया कि गर्भपात उनकी सीमाओं के भीतर कानूनी है या नहीं। इसके बाद गर्भपात अधिकार समूहों को सुरक्षा के लिए प्रांतों के कानून की ओर रुख करना पड़ा।
फ्लोरिडा में, न्यायाधीश जॉन सी. कूपर ने कहा कि वह 15-सप्ताह के गर्भपात प्रतिबंध को अस्थायी रूप से प्रभावी होने से रोकेंगे। न्यायाधीश ने यह बात तब कही जब प्रजनन स्वास्थ्य प्रदाताओं ने इसे अदालत में चुनौती दी और कहा कि प्रांत का कानून इस प्रक्रिया के लिए अधिकार की गारंटी देता है। कूपर ने कहा कि फ्लोरिडा का प्रतिबंध असंवैधानिक है क्योंकि यह फ्लोरिडा संविधान के निजता प्रावधान का उल्लंघन करता है।
जानिए किस कारण लिया गया यह फैसला
अमेरिका में गर्भपात कराने के मामलों में तेजी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए गर्भपात के अधिकार को समाप्त कर दिया था। यह विवाद 1973 में सुप्रीम कोर्ट में पंहुचा था जिसे रो बनाम वेड केस के नाम से जाना जाता है। कोर्ट ने इसी के साथ रो वी वेड” के फैसले को पलट दिया, जिसने महिला के गर्भपात के अधिकार को सुनिश्चित किया और कहा था कि अलग-अलग राज्य स्वयं प्रक्रिया को अनुमति दे सकते हैं या प्रतिबंधित कर सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गर्भपात के कानून पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कहा था कि इस फैसले से गरीब महिलाओं को सबसे ज्यादा नुकसान होगा । साथ ही उन्होंने इस फैसले का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने की अपील करी थी।