जापान के नए प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने मंगलवार को अमेरिका और अन्य राजनयिकों के साथ एक मुलाकात में कहा कि चीन की बढ़ती हठधर्मिता को रोकने के लिये उनकी पहल “मुक्त और खुला हिंद-प्रशांत” (एफओआईपी), कोरोना वायरस महामारी से उपजी चुनौतियों के बीच अब पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
क्वाड समूह- अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया – के तौर पर प्रख्यात हिंद-प्रशांत राष्ट्रों के विदेश मंत्री कोरोना वायरस महामारी के बाद से पहली बार तोक्यों में आमने-सामने की वार्ता के लिए एकत्र हो रहे हैं। सुगा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय महामारी के समाधान में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और “इसलिये अब यही समय है जब हमें अपने नजरिये से इत्तेफाक रखने वाले ज्यादा से ज्यादा देशों के साथ अपने समन्वय को और बढ़ाना चाहिए।”
उन्होंने 16 अप्रैल को पदभार संभाला था और अपने पूर्ववर्ती शिंजो आबे की तरह ही सुरक्षा और कूटनीतिक मामलों को लेकर उनके रुख पर कायम रहने का संकल्प व्यक्त किया था। एफओआईपी को बढ़ावा देने में आबे का अहम योगदान था जिसे सुगा “ इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता का दृष्टिकोण” करार देते हैं और इस दिशा में प्रयास जारी रखने का संकल्प व्यक्त करते हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने, भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर और उनके जापानी समकक्ष तोशीमित्सु मोटेगी के बीच क्वाड की विदेश मंत्री स्तरीय बैठक होनी है।
इससे पहले पोम्पिओ ने अलग-अलग अपने तीनों समकक्षों से मुलाकात की और क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव पर अपनी चिंता जाहिर की और साथ ही इन चिंताओं को साझा करने वाले देशों के बीच सहयोग के महत्व को भी रेखांकित किया। पोम्पिओ के साथ अपने दोपहर के भोज में मोटेगी ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि जापान और अमेरिका मुक्त व खुले हिंद-प्रशांत के लिये अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का नेतृत्व करेंगे।”
उन्होंने कहा कि जापान के नए प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा के नेतृत्व में जापान-अमेरिका गठजोड़ क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिये अहम बना रहेगा। सुगा ने अपने पूर्ववर्ती शिंजे आबे के सुरक्षा और कूटनीतिक रुख को बरकरार रखने की प्रतिबद्धता जाहिर की थी। पोम्पिओ ने सुगा के स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की नींव बताने का भी स्वागत किया और कहा कि “मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूं।”