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जयशंकर ने Indian community से कहा – Modi सरकार लोगों तक सेवाएं पहुंचाने वाली सरकार है

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रवांडा में भारतीय समुदाय से कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार वादों की सरकार नहीं है, बल्कि लोगों तक सेवाएं पहुंचाने वाली सरकार है, जिसने ‘लोकतांत्रिक क्रांति’ का मार्ग प्रशस्त किया है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रवांडा में भारतीय समुदाय से कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार वादों की सरकार नहीं है, बल्कि लोगों तक सेवाएं पहुंचाने वाली सरकार है, जिसने ‘लोकतांत्रिक क्रांति’ का मार्ग प्रशस्त किया है।
जयशंकर राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की 26वीं बैठक (चोगम) में भाग लेने के लिए चार दिवसीय यात्रा पर 22 से 25 जून तक रवांडा में हैं। वह 24-25 जून को राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रतिनिधित्व करेंगे।
वह चोगम में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसे पहले कोविड-19 महामारी के कारण दो बार स्थगित कर दिया गया था।
जयशंकर ने यहां बुधवार को भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं आपको बता सकता हूं कि मैंने अपने जीवन में परिवर्तन की ऐसी गति नहीं देखी है। एक तरह से, मैं यहां तक ​​कह सकता हूं, एक क्रांति है, एक लोकतांत्रिक क्रांति हो रही है- आज लोगों तक सेवाएं पहुंचाने के साथ। लोगों के घरों तक सेवाएं पहुंचाना।’’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘यह वादों की सरकार नहीं है, यह वास्तव में लोगों तक सेवाएं पहुंचाने की सरकार है।’’
जयशंकर ने याद किया कि जब एक सदी से भी अधिक समय पहले स्पेनिश फ्लू आया था, तो भारत में फ्लू से ज्यादा लोग भूख से मर गए थे।
उन्होंने कहा कि लेकिन कोविड-19 के दौरान, भारत की मजबूत खाद्य सहायता प्रणाली की वजह से समाज के सबसे कमजोर वर्गों को भी नुकसान नहीं पहुंचा, केंद्र सरकार के 28 महीने पहले शुरू किए गए उस कार्यक्रम के लिए धन्यवाद, जो 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान कर रहा है।
उन्होंने बृहस्पतिवार को एक ट्वीट में कहा, ‘कल शाम किगाली में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करके अच्छा लगा। भारत में प्रगति के बारे में उनसे बात की। भारत-रवांडा संबंधों में उनके योगदान की सराहना की। किगाली में राष्ट्रमंडल कार्यक्रमों के लिए भारतीय प्रतिभागियों से भी मुलाकात की।’
बुधवार को, जयशंकर ने केन्या के विदेश मामलों के कैबिनेट सचिव रेशेल ओमामो से मुलाकात की और यूक्रेन में संघर्ष के प्रभाव एवं द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।
जयशंकर ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘केन्या के मेरे दोस्त रेशेल ओमामो से मिलकर बहुत अच्छा लगा। हमारी चर्चा खाद्य, ईंधन और उर्वरक सुरक्षा पर यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव पर केंद्रित रही। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जारी हमारे सहयोग की पुन: पुष्टि की।’
जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रवांडा की ऐतिहासिक यात्रा की थी क्योंकि यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पूर्वी अफ्रीकी देश की पहली यात्रा थी।
रवांडा में भारतीय उच्चायोग की वेबसाइट के अनुसार, रवांडा में लगभग 3,000 भारतीय नागरिक और पीआईओ (भारतीय मूल के व्यक्ति) हैं। रवांडा की एकमात्र चीनी रिफाइनरी, देश की एकमात्र आधुनिक कपड़ा मिल के साथ-साथ एक साबुन एवं कॉस्मेटिक फैक्टरी के मालिक भारतीय मूल के व्यक्ति हैं।
वेबसाइट के अनुसार, रवांडा में चाय उत्पादन क्षेत्र में भारत की कोलकाता स्थित असम लक्ष्मी टी कंपनी द्वारा निवेश किया जाता है। टीवीएस मोटरबाइक रवांडा में काफी लोकप्रिय हैं। एयरटेल रवांडा, रवांडा में दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों में से एक है। सहस्र लाइटिंग भी एलईडी लाइटिंग और सौर पैनल की आपूर्ति में प्रमुख भूमिका निभा रही है।
वेबसाइट पर कहा गया है कि रवांडा सरकार का भारतीय समुदाय के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है और 1994 के जनसंहार के दौरान कोई भी भारतीय नागरिक हताहत नहीं हुआ था। वेबसाइट के मुताबिक, रवांडा की अर्थव्यवस्था में भारतीय समुदाय की सकारात्मक भूमिका की रवांडा सरकार ने सराहना की है।
छब्बीसवें चोगम शिखर सम्मेलन का विषय ‘एक साझा भविष्य प्रदान करना: जुड़ाव, सुधार, परिवर्तन’ है।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा था कि राष्ट्रमंडल सदस्य देशों के नेता जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य मुद्दों जैसी वैश्विक चुनौतियों सहित मौजूदा प्रासंगिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। इसने कहा था कि इसके अलावा बैठक में बाल देखभाल और संरक्षण सुधार पर किगाली घोषणा, सतत शहरीकरण पर घोषणा सहित कई दस्तावेजों को अपनाए जाने की भी संभावना है।
बयान में कहा गया था कि अपनी इस यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री के राष्ट्रमंडल सदस्य देशों के अपने समकक्षों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद है।
भारत भी राष्ट्रमंडल में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है और उसने तकनीकी सहायता एवं क्षमता निर्माण के माध्यम से संगठन की सहायता की है।
वर्ष 2018 में भारत ने ‘राष्ट्रमंडल विंडो’ स्थापित करने की घोषणा की थी जो राष्ट्रमंडल के विकासशील देशों को विकास परियोजनाओं और सहायता के लिए पांच करोड़ डॉलर समर्पित करती है।

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