वैसे इस बात में कोई दोराय नहीं कि एक मां अपनी औलाद के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।इसीलिए मां के प्रेम की तुलना किसी और से कभी नहीं की जा सकती। हाल ही में एक मां ने अपने बेटे के लिए कुछ ऐसा ही किया जिसके बारे में सुनकर हर कोई इस महिला की बहादुरी की तारीफ कर रहा है। यह मामला लॉकडाउन के वक्त का है। दरअसल महिला का बेटा दूसरे राज्य में फस गया था,जब इस बात की खबर उसकी मां को हुई तो वह बहुत ज्यादा परेशान हो गयी। तभी महिला अपने बेटे को वापस लाने का फैसला किया और अधिकारियों की अनुमति लेकर सोलो राइड के लिए आंध्रप्रदेश के नेल्लौर के लिए निकलीं जो करीब 700 किलोमीटर दूर है।
यह वाकया तेलंगाना के निजामाबाद का है। जहां पर एक मां ने अपने बेटे को वापस लाने की जिद ठानी और लॉकडाउन की परवाह किये बिना स्कूटी पर 1400 किलोमीटर का सफर तय किया और अपने बेटे को 3 दिन में घर वापस लेकर आई। 48 वर्षीय इस महिला का नाम रजिया बेगम है। महिला 6 अप्रैल की सुबह स्कूटी से अकेले नेल्लोर के लिए निकलीं और लगातार स्कूटी चलाते हुए वह अगले दिन दोपहर में पहुंच गईं।
रजिया सरकारी स्कूल में टीचर हैं। 15 साल पहले उनके पति की मौत हो गई थी। उनके दो बेटे और एक बेटी है,जिनकी देख भाल वहीं करती है। बड़ा बेटा इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है और दूसरा बेटा 19 साल का निजामुद्दीन पढ़ाई कर रहा है और वह डॉक्टर बनना चाहता है।
लॉकडाउन में मां ने ऐसे किया हिम्मत भरा काम
रजिया बेगम ने बताया कि स्कूटी पर उनके लिए यह सफर करना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन बेटे को घर वापस लाना मेरी इच्छाशक्ति के आगे यह डर भी खत्म हो गया और मैंने रोटी पैक करी और मैं घर से निकल पड़ी। रात को सुनसान सड़कों पर एक भी व्यक्ति नजर नहीं आ रहा था और ना ही सड़क पर रात में कोई ट्रैफिक था। एक फेर को यह सब कुछ डराता जरूर था, लेकिन मैं अपने रुख पर कायम थी।
रजिया बेगम के छोटे बेटे निजामुद्दीन ने 12वीं की परीक्षा पास की है और वह एमबीबीएस एंट्रेस के लिए कोचिंग कर रहा है। 12 मार्च वह अपने दोस्त को नेल्लोर के रहमताबाद छोड़ने गया था और कुछ दिनों के लिए वो वहां रुका भी था। लेकिन कुछ दिनों बाद ही कोरोना के चलते देशभर में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया और निजामुद्दीन वहीं फंस गया।
वह घर लौटना चाहता था, लेकिन घर वापस आने का कोई जरिया नहीं था जिसके बाद रजिया ने तय किया की वो अपने बेटे को कैसे भी करके घर वापस लेकर आएगी। रजिया ने अपने बड़े बेटे को पुलिस के डर की वजह से नहीं भेजा और कार की बजाए स्कूटी से जाना तय किया। उन्होंने बताया रास्ते में वह पेट्रोल पंप से पेट्रोल भराती रहीं और अपनी मंजिल की ओर बढ़ती रहीं। जिसके बाद बेटे को स्कूटी पर बिठाकर वापस रवाना हुई और बुधवार की शाम बेटे को बोधन पहुंची।