पाकिस्तान की दोस्ती चीन के साथ के साथ किस कदर बढ़ती जा रही है। इसका अंदाजा लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है। दोनों देशों के बीच काफी गहरा आर्थिक रिश्ता बन गया है, तो चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों के चलते पाकिस्तान पर खासा दबाव बना रहा है। ताकि उसकी पहुंच मध्य एशिया तक आसानी से हो सके। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) प्राधिकरण के प्रमुख ने अमेरिका पर अरबों डॉलर की इस परियोजना को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। परियोजना को पाकिस्तान की आर्थिक जीवनरेखा करार दिया गया है।
दोनों देशों की महत्वाकांक्षी सीपीईसी परियोजना 2015 में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पाकिस्तान यात्रा के दौरान शुरू की गयी थी। इसका उद्देश्य पश्चिमी चीन को सड़कों, रेलवे, और बुनियादी ढांचे एवं विकास की अन्य परियोजनाओं के नेटवर्क के माध्यम से दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ना है।
दोनों देशों की महत्वाकांक्षी सीपीईसी परियोजना 2015 में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पाकिस्तान यात्रा के दौरान शुरू की गयी थी। इसका उद्देश्य पश्चिमी चीन को सड़कों, रेलवे, और बुनियादी ढांचे एवं विकास की अन्य परियोजनाओं के नेटवर्क के माध्यम से दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ना है।
भारत द्वारा समर्थित अमेरिका सीपीईसी का विरोधी है
सीपीईसी मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष सहायक खालिद मंसूर ने शनिवार को कराची में सीपीईसी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “उभरती हुई भू-रणनीतिक स्थिति के दृष्टिकोण से एक बात साफ है कि भारत द्वारा समर्थित अमेरिका सीपीईसी का विरोधी है। वह इसे सफल नहीं होने देगा। इसे लेकर हमें एक रुख तय करना होगा।
सीपीईसी चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) का हिस्सा है। बीआरआई के तहत चीन सरकार करीब 70 देशों में भारी निवेश कर रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत द्वारा पाकिस्तान को चीन के बीआरआई से बाहर रखने के लिए चालें चली जा रही हैं।’’