आज सभी देशवासियों को बहुत-बहुत मुबारक। नए संसद भवन का उद्घाटन होने जा रहा है। आज हम आधुनिक भारत के नए आधुनिक संसद भवन जो अत्याधुनिक तरीके से बन है, तमाम आधुनिक सुविधाओं और संसाधनों से युक्त नया और स्मार्ट संसद भवन है। यह संसद भवन अधिक सांसदों के लिए आरामदायक और लेटेस्ट आडियो विजुअल कम्युनिकेशन सिस्टम के साथ है। क्योंकि पहला संसद भवन 1927 में बना था जिसमें समय-समय पर काफी फेरबदल हुआ परन्तु फिर भी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। सबसे अधिक मुझे तो खुशी है कि हम अंग्रेजों के बनाए संसद भवन में नहीं अपने आजाद भारत के संसद में जो भारतीयों की सोच के साथ बना है, में उन लोगों को देखेंगे जिन्हें आजाद भारत के लोग चुनकर भेजेंगे।
हां यह बात अलग है कि हम भारत के लोग अपने रीति-रिवाज को हमेशा कायम रखते हैं, चाहे कुछ भी हो। क्योंकि हमारे रिवाजों में यह आम है कि जब भी घर में कोई शादी हो, खुशी का मौका हो तो अपने रिश्तेदार रुठे न तो हो नहीं सकता या वो कोई अपने कमेंट्स न दें तो हो ही नहीं सकता। पंजाबी में कहते हैं कि ‘आटा गुन्ने ते हिले क्यों’ यानी आटा गुथने के समय हिल-डूल क्यों। या कोई अच्छा काम करे तो सगे-संबंधी कोई नुक्स न निकाले तो क्या बात है। हमने बहुत सी शादियां मुंडन, फंक्शन देखे हैं जहां बुआ, फुफड़, मासी, मासड़, चाचा, भतीजे नाराज होते हैं। कई तो बारात जाने से पहले इतने नाराज होते हैं कि बारात में ही नहीं जाते। अभी भी वह विशेषकर शादी में जाने के लिए पूरी तैयारी से नए कपड़े सिलवा कर तैयार होते हैं, कई अंत तक इंतजार करते हंै कि हमसे मिन्नतें करेंगे तो चल पड़ेंगे।
ऐसा ही कुछ सीन आजकल हमारी राजनीति में भी है। अभी की राजनीति मेरा विषय नहीं है परन्तु इतने दिनों से अखबारों, टी.वी. चैनल पर रोज नई-नई टिप्पणियां देख-सुन पड़ रही हैं तो मेरी कलम नहीं रुक रही। क्योंकि जैसे ही संसद भवन निर्माण की बात शुरू हुई तभी से चर्चा शुरू हो गई कि क्या जरूरत है इतने खर्चे की, नए निर्माण की, शायद यह अपना घर बना रहे आदि-आदि परन्तु सब भूल गए कि यह सब पार्टियों के सांसदों के लिए बन रहा और 100 साल पुराना संसद भवन जर्जर हो चुका है। जिसके कई विस्तार भी हुए। नए रूप के अनुसार नए गेज्ट्स के लिए काम किए गए, जिसके लिए कई तारें बिछाईं, छेद हुए और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि दिल्ली भूकम्प सम्भावित संवेदनशील क्षेत्र है, में तो हमारे देश के चुने हुए एमपी चाहे वो किसी भी पार्टी के हैं, उनके लिए सुरक्षित संसद भवन बनाना जरूरी है। इसके लिए विभिन्न पार्टियों के लोगों ने इसको बनाने के लिए विभिन्न प्रतिक्रिया दी थी।
बहुत से लोग विरोध भले ही कर रहे हैं परन्तु कुछ लोगों की प्रतिक्रिया बहुत ही अच्छी लगी, जैसे कि बहुजन समाजवादी पार्टी की मायावती जी उन्होंने इसे देश और जन हित का मुद्दा बताकर स्वागत किया और यही नहीं उन्होंने कहा कि अगर सबको लगता है कि आदिवासी क्षेत्र की राष्ट्रपति जो अब पूरे देश की हैं उद्घाटन करें अगर सबको उनका इतना सम्मान है तो उन्हें निर्विरोध चुनना चाहिए था। यही नहीं कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णम जो एक बहुत बड़े बुद्धिजीवी हैं, उनके अनुसार देश की संसद का उद्घाटन देश का प्रधानमंत्री नहीं करेगा तो क्या पाकिस्तान का प्रधानमंत्री करेगा। रामगोपाल यादव जी ने भी बहुत अच्छा पहले कहा, फिर अपना ही स्टैंड बदल दिया। चलो यह सब राजनीति पर चलता है।
आज मेरा सभी देशवासियों और सभी पार्टियों से अनुरोध है कि वो अपनी सारी नाराजगी, क्रोध भूल कर इस खुशी के मौके पर दलगत राजनीति से उठकर इस खुशी में शामिल हों। हमारा देश एक लोकतंत्र देश है, सबको बोलने का, लिखने का अधिकार है परन्तु इस लोकतंत्र में विपक्ष का भी अपना महत्वपूर्ण रोल है, अब वो निभा लिया। आज तो सब इकट्ठे होकर देश की पािर्लयामेंट जो सबका स्वाभिमान है, के उद्घाटन में शामिल हों, क्याेंकि सारी दुनिया की नजर आप पर है। मुझे देश-विदेशों से मित्रों-रिश्तेदाराें के फोन आ रहे हैं, मुबारकबाद मिल रही है कि दुनिया में भारत का नाम बहुत सम्मानजनक तरीके से लिया जा रहा है और अंग्रेजाें के काले इतिहास को भी हमें याद रखते हुए हमें गरिमा महसूस करनी चाहिए िक हम अपने आजाद भारत की आजाद, आधुनिक सोच की बनाई पार्लियोमेंट का उद्घाटन करेंगे। आओ मिलकर आजाद भारत के नए स्ट्रक्चर को सलाम करें जिसमें हर पार्टी का अपना-अपना योगदान है।
पहली सरकारों और पीएम ने भी बहुत सी इमारतों का उद्घाटन किया होगा, बहुत नए स्थान बने होंगे। सबकी मेहनत से आज हम यहां पहुंचे हैं। आज हम अपने पीएम को सैल्यूट करते हैं क्योंकि वह किसी पार्टी के नहीं देश के प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने 9 साल में देश के लिए बहुत बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं और देश का गौरव, नाम बढ़ाया है। पिछले दिनों आस्ट्रेलिया के मेन न्यूज पेपर के मेन पेज पर उनकी बड़ी-बड़ी फोटो और खबर देखकर भी एक अखबार की सी.एम.डी. होने के नाते दिल खुश हुआ कि हमारे पीएम हमारे देश के मीडिया में ही नहीं बाहर के मीडिया में भी छाये हुए हैं।