चुनाव आयोग के तीन विशेष पर्यवेक्षकों ने मंगलवार को त्रिपुरा के अधिकारियों से 16 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव को स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराने के लिए पुख्ता कदम उठाने को कहा गया है। दरअसल कुछ दिनों पहले चुनाव की तरीखों की घोषणा के बाद त्रिपुरा राज्य में हिंसा की घटना देखी गई थी, जिसके बाद चुनाव आयोग ने होने वाले चुनावों में शांतिपूर्ण तरीके से मतदान किया जाए इसको लेकर तैयारियां शुरु कर दी है।
पुलिस और अधिकारियों की हुई बैठक
सोमवार को अगरतला पहुंचे पर्यवेक्षकों ने मंगलवार को वरिष्ठ नागरिक और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। वे मंगलवार दोपहर को राज्य के आठ जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक करेंगे। मुख्य विपक्षी सीपीआई-एम के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे सहित कुछ राजनीतिक दल पर्यवेक्षकों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उन्हें चुनाव पूर्व परि²श्य के बारे में बताया जा सके।
त्रिपुरा में कब होंगे चुनाव?
पर्यवेक्षकों में कर्नाटक कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी योगेंद्र त्रिपाठी, मध्य प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी और आईआरएस अधिकारी बी मुरली कुमार, जो गुजरात (2022) और पश्चिम बंगाल (2021) के विधानसभा चुनावों में विशेष पर्यवेक्षक थे, शामिल हैं। त्रिपुरा के बाद पर्यवेक्षक दूसरे चुनावी राज्य मेघालय जाएंगे, जहां 27 फरवरी को चुनाव होंगे।
पुलिस बल होंगे तैनात
पोल पैनल ने अब तक त्रिपुरा में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की लगभग 200 कंपनियों को तैनात किया है। असम राइफल्स, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की कंपनियों सहित अधिक सीएपीएफ के राज्य में आने की उम्मीद है।
चुनाव प्रचार अभियान जारी
ईसी के एक अधिकारी ने कहा, सीएपीएफ द्वारा फ्लैग मार्च इस महीने के दूसरे सप्ताह से पहले ही शुरू हो चुका है, ताकि चुनाव प्रचार के लिए राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच और नागरिकों के बीच बिना किसी डर के वोट डालने के लिए विश्वास को सुनिश्चित किया जा सके। सुरक्षा बलों को चुनाव प्रक्रिया से पहले अच्छी तरह से तैनात किया गया है। ताकि वे इलाके से परिचित हों सके।
कांग्रेस बाइक रैली के दौरान क्या हुआ था?
चुनाव आयोग ने 19 जनवरी को पश्चिम त्रिपुरा जिले के मजलिशपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की बाइक रैली पर हुए हमले की जांच का आदेश दिया और अगले दिन राज्य सरकार से एक उप-विभागीय पुलिस अधिकारी को निलंबित करने और दो पुलिस स्टेशनों के दो प्रभारी को हटाने के लिए कहा।