नई दिल्ली : रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। यह कहावत कांग्रेस पार्टी पर फिट बैठती है। एक तरफ कांग्रेस अपने वजूद को बचाने कवायद में लगी है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस के भीतर गुटबाजी थमने का नाम ही नहीं ले रही है। आगामी 23 अक्टूबर को दिल्ली में किसान आंदोलन की तारीख मुकर्रर की गई है, इसकी रणनीति के लिए गत बुधवार को 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय में एक बैठक का आयोजन हुआ। इस बैठक में ही गुटबाजी देखने को मिली है। यह बैठक राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला की अगुवाई में हुई थी। इसमें बाहरी दिल्ली के किसानों को शामिल किए जाने तथा उत्तर प्रदेश और हरियाणा से धरने में पहुंचने वाले किसानों के लिए तमाम व्यवस्थाएं करने के दिशा-निर्देश तय होने थे, लेकिन जिन लोगों को दिल्ली में किसानों को जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, पहली बात तो यह कि उनमें से कोई भी किसान नेता नहीं हैं और दूसरे इस बैठक में दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन को भी नहीं बुलाया गया।
जबकि उनके विरोधी गुट के लोगों के साथ सुरजेवाला ने बैठक की। सूत्रों का कहना है किसान आंदोलन को सफल बनाने के लिए दिल्ली के पूर्व सांसद महाबल मिश्रा के अलावा पूर्व विधायक नसीब सिंह, कमलकांत शर्मा, जयकिशन, अनिल भारद्वाज, अनिल चौधरी आदि नेताओं को किसानों को जंतर-मंतर लाने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन जिन लोगों को जिम्मेदारी दी गई है, उनका किसानों से कोई सरोकार नहीं है। दिल्ली कांग्रेस के सज्जन कुमार और योगानंद शास्त्री को किसान नेता माना जाता है। वैसे भी दिल्ली में किसान की संख्या बहुत ही कम है। ऐसे में दिल्ली के जिन कांग्रेसी नेताओं को भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी दी गई है, वह कहां से किसानों को लाएंगे? गौरतलब है कि हाल ही में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) द्वारा संचालित किसानों की पद यात्रा और दिल्ली सीमा पर पुलिस-प्रशासन के साथ हुई झड़प से किसानों को फायदा हुआ हो या नहीं भाकियू को राजनीतिक स्तर पर खासा फायदा पहुंचा।
कांग्रेस को भी किसानों के मुद्दे में फायदा दिख रहा है, तभी 23 तारीख को दिल्ली में किसान खेत मजदूर कांग्रेस के बैनर तले किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है, लेकिन जिस तरह की गुटबाजी देखने को मिल रही है, उससे साफ है कि इस रैली में किसान और खेतिहर मजदूर तो नहीं बल्कि भीड़ जुटाने के लिए अन्य लोगों को इसमें जरूर शामिल कराया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में रैली होनी है, भले ही वह एआईसीसी का कार्यक्रम हो, लेकिन दिल्ली में हो रहा है तो अजय माकन को दरकिनार नहीं किया जा सकता है, लेकिन इस रैली में उन नेताओं को सफल बनाने के लिए कहा गया जो कि माकन के विरोधी गुट के कहे जाते हैं।
– सुरेन्द्र पंडित