बिहार के आदर्श कुमार को गूगल ने एक करोड़ बीस लाख रुपये सालाना वेतन पर नौकरी दी है। दिलचस्प यह है कि पटना के आदर्श के पास आईआईटी रूड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है लेकिन वह अपना करियर बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुरू कर रहे हैं। आदर्श को बारहवीं के मैथ्स और कैमिस्ट्री के पेपर में पूरे 100 अंक मिले थे।
आपको बता दे कि आदर्श आईआईटी, रुड़की में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र हैं। वह अगस्त में जर्मनी के म्यूनिख स्थित गूगल के ऑफिस में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर योगदान देंगे। आदर्श के पिता वीरेंद्र शर्मा वकील हैं, जबकि मां अनीता शर्मा गृहिणी हैं।
छोटा भाई अमनदीप आईआईटी, पटना से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। आदर्श ने बारहवीं तक की पढ़ाई पटना के बीडी पब्लिक स्कूल से की है। आदर्श कहते हैं, शुरू से उनकी रुचि मैथ्स और प्रोग्रामिंग में थी। लगभग दो माह तक गूगल ने ऑनलाइन और ऑफलाइन इंटरव्यू के बाद आदर्श का सेलेक्शन किया है।
आदर्श ने आगे बताया, ‘मैथ्स मुझे बचपन से ही बहुत पसंद आने लगा था। गणित के अलग-अलग तरह के मुश्किल सवालों को हल करने के लिए अलग-अलग तरीके से सोचना पड़ता है, ऐसा करना मुझे हाई स्कूल के दिनों से ही पसंद है। और इसी ने आगे चलकर मुझे सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर बनने में बहुत मदद की। यह रोजमर्रा की जिंदगी में भी सही फैसले लेने में मेरी मदद करता है।
आदर्श के मुताबिक, इंजीनियरिंग के चौथे साल तक आते-आते प्रोग्रामिंग पर उनकी अच्छी पकड़ हो गई थी। उनमें आत्मविश्वास आ गया था। इस बीच कैंपस सेलेक्शन से वे एक कंपनी के लिए चुन भी लिए गए थे। लेकिन इस बीच गूगल में ही काम कर रहे उनके एक सीनियर हर्षिल शाह ने उनसे कहा कि अगर वह गूगल में नौकरी के लिए कोशिश करना चाहते हैं तो वो उन्हें रेफर कर सकते हैं।
आदर्श ने कहा, ‘उन्होंने यह कह कर मेरा हौसला बढ़ाया कि मेरे प्रोग्रामिंग स्किल्स इंटरव्यू पास करने के लिए काफी हैं। फिर मैंने गूगल में अप्लाई किया। इसके बाद लगभग दो महीने तक चले कई ऑनलाइन और हैदराबाद में हुए ऑन-साइट स्टेज टेस्ट से गुजरने के बाद मेरा चयन हुआ।’ आदर्श पहली अगस्त से गूगल के म्यूनिख (जर्मनी) ऑफिस में काम करना शुरू करेंगे।
इस साल अप्रैल में चीन के बीजिंग में हुए प्रोग्रामिंग कॉन्टेस्ट एसीएम-आईसीपीसी कॉम्पटिशन में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। इसमें दुनिया भर की टीमें आती हैं। इस प्रतियोगता में प्रोग्रामिंग से जुड़े प्रॉबल्म्स के कोड लिखने होते हैं। भारत की आठ टीमों में उनकी टीम को दूसरा स्थान मिला जबकि दुनिया भर की 140 टीमों में उन्हें 56वां स्थान मिला।
आदर्श के लिए उनका संस्थान ही रोल मॉडल रहा है क्योंकि इंजीनियरिंग कॉलेज का माहौल, वहां के कई सीनियर ऊर्जा से लबरेज़ थे. ये सब बहुत प्रेरित करने वाला था।
इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए उनकी ये सलाह है, ‘नौवीं-दसवीं के दौरान ही तैयारी शुरु कर देनी चाहिए। इस दौरान सिलेबस का बोझ थोड़ा कम रहता है तो इसका फायदा उठाते हुए ग्यारहवीं-बारहवीं की पढ़ाई शुरु कर देनी चाहिए. बाकी सफलता के लिए फ़ोकस करके पढ़ना तो सबसे ज़रूरी है ही।
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