नयी दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज कहा कि हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओँ का विकास करना वर्तमान सरकार की प्राथमिकता है । उन्होंने उच्च शिक्षा में पर्याप्त हिंदी पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल दिया । हिंदी सलाहकार समिति की बैठक को संबोधित करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि आज के दौर में अंग्रेजी का प्रचलन बढ़ रहा है। इसका सीधा संबंध तरक्की से जोड़ा जाने लगा है। यह सोच भारतीय भाषाओँ के विकास में सबसे बड़ी बाधक है । उन्होंने सलाहकार समिति के समक्ष इस मुद्दे को भी उठाया कि विद्यालय स्तर पर तो हिंदी भाषा में किताबें आसानी से उपलब्ध हैं लेकिन उच्च तकनीकी शिक्षा के लिए गुणवत्तापूर्ण पुस्तकों का अभाव है । मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, ‘‘हमें उच्च शिक्षा में भी पर्याप्त हिंदी पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करानी चाहिए ताकि हिंदी भाषी छात्र भी अपनी भाषा में उच्च शिक्षा ग्रहण कर सके ।
उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार के प्रयासों से उच्च शिक्षा प्रवेश परीक्षाओं में हिंदी भाषी छात्रों का प्रतिशत जरूर बढेगा । जावड़ेकर ने इस बात पर भी बल दिया कि तकनीक के इस दौर में हिंदी भाषा की सबसे बड़ी कमी ये है कि अब हिंदी में नए शब्दों का सृजन नहीं हो रहा है । उन्होंने देश भर से एकत्रित हुए हिंदी के विद्वानों को आह्वान किया कि उन्हें रोज अधिक से अधिक हिंदी शब्दों का सृजन करके उन्हें लोकप्रिय बनाना चाहिए, खासकर के तकनीक से जुड़े हुए शब्द जिससे हिंदी और अधिक लोकप्रिय हो सके । मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा “एक भारत श्रेष्ठ भारत” नामक कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके माध्यम से विभिन्न राज्यों के मध्य भाषाई एवं सांस्कृतिक सम्बन्ध मजबूत हो रहे हैं एवं भारतीय भाषाओँ का विकास हो रहा है ।
बैठक में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह भी उपस्थित थे । सत्यपाल सिंह ने कहा कि भारत में यह धारणा बन चुकी है कि जिसे अंग्रेजी नहीं आती उसे विद्वान् नहीं माना जाता । आज हमें इस हीन भावना को दूर करने कि आवश्यकता है । सिंह ने कहा कि हमें प्रादेशिक भाषाओं को लेकर ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिससे लोग हिंदी अथवा प्रादेशिक भाषाओं को बोलने में गर्व महसूस करे ना कि हीन भाव से ग्रसित हों ।
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