आजादी के बाद से ही भारतीय सेना एक विशाल लोकतंत्र में शानदार संस्थान के रूप में विकसित हुई है। आज भारतीय सेना भारतीय लोकतंत्र के विश्व शक्ति ध्वजवाहकों के रूप में उभर चुकी है। हर वर्ष होने वाले संयुक्त थलसेना, वायुसेना और नौसेना अभ्यास और आतंकवाद विरोधी अभ्यासों से पता चलता है कि अमेरिका, रूस जैसी विश्व सैन्य शक्तियों की नजरों में भारतीय सेना का कितना सम्मान है। भारतीय सेना अब आधुनिक हो गई है और आधुनिकीकरण की यह प्रक्रिया जारी है। थल सेना, नौसेना और वायुसेना तालमेल से काम कर रही हैं और रक्षा मंत्रालय में एक समन्वित मुख्यालय काम कर रहा है। जल, थल और नभ में भारतीय सेना तेजस्वी हुई है।
किसी भी सेना को आधुनिक हथियारों और उपकरणों की जरूरत पड़ती है क्योंकि अब युद्धों का स्वरूप बदल चुका है। भविष्य के युद्ध परम्परागत ढंग से नहीं लड़े जाएंगे बल्कि आधुनिकतम अस्त्र-शस्त्रों से लड़े जाएंगे। अगर 1962 में भारतीय सेना को चीन के अचानक हमले का मुकाबला बिना पर्याप्त मात्रा में हथियारों, जूतों और जुराबों से करना पड़ा था। यह नीति निर्माताओं की कमजोरी और विफलता थी अन्यथा भारतीय सेना ने पाकिस्तान को तीन-तीन युद्धों में पराजित किया है। आधुनिकतम और घातक हथियार ही किसी भी सेना का भरोसा होते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार जहां सेना को आधुनिकतम हथियारों से लैस कर रही है वहीं भारतीय वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिल रही है।
ओडिशा में बालासौर में सुखोई 30 एमकेआई युद्धक विमान से हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र के 5 सफल परीक्षण किए गए आधुनिक प्रौद्योगिकी और नौवहन तकनीकों से लैस अस्त्र दृश्य सीमा से आगे हवा से हवा में मार करने में सक्षम मिसाइल है और सौ किलोमीटर से अधिक तक मार कर सकती है। भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित ‘अस्त्र’ का निशाना बहुत ही सटीक है। अब तक भारत रूस और इस्राइल से ऐसी मिसाइलें आयात करता रहा है। डीआरडीओ ने अस्त्र मिसाइल को मिराज, मिग-29, मिग-21 बायसन, एलसीए तेजस और सुखोई एसयू 30 आदि विमानों में लगाने के लिए खासतौर पर विकसित किया है। मिसाइल से ठोस ईंधन का प्रयोग किया गया है।
केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तेजस में उड़ान भर कर पड़ोसी देशों को संदेश दे दिया है कि भारतीय सेनाएं किसी से कम नहीं हैं। निश्चित रूप से भारत 1962 वाला भारत नहीं है,बल्कि 2019 वाला भारत है। भारत का पूर्णतयः स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस चीन और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों को टक्कर दे रहा है। इसके अलावा भारत रूस से एस-400 रक्षा प्रणाली भी खरीद रहा है। सेना की हर जरूरत काे पूरा करने के लिए अमेरिका, फ्रांस और इस्राइल से रक्षा सौदे किए गए हैं।
बेहद संवेदनशील पूर्वी लद्दाख में भारत की सेना ने चीन सीमा के निकट युद्धाभ्यास करके दुश्मन देशों को चेतावनी दे दी है कि हमारी तैयारी पूरी है। पाकिस्तान के साथ हालिया तनाव के दृष्टिगत भारत की सेना के तीनों अंगों ने लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में जोरदार युद्धाभ्यास करके दिखा दिया है कि अब उसे कम करके आंकना बड़ी भूल होगी। युद्धाभ्यास के दौरान बर्फीली नदी को चीरते हुए भारतीय टैंकों काे आगे बढ़ते देख दुश्मन के होश फाख्ता हो गए होंगे।
मेक इन इंडिया के तहत अगर हम स्वदेशी हथियारों, विमानों पर आत्मनिर्भर होते हैं तो इससे न केवल सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि हमारा रक्षा व्यय भी कम होगा। हथियारों का आयात कम होगा तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। हर भारतीय को सेना के शौर्य पर गर्व है। भारतीय सेना हर प्रौद्योगिकी से लैस हो, यही हर भारतीय की इच्छा है। याद रखना होगा-
‘‘जहां शस्त्र बल नहीं,
वहां शास्त्र पछताते और रोते हैं,
ऋषियों को भी तप में सिद्धि तब मिलती है
जब पहरे में स्वयं धनुर्धर राम खड़े होते हैं।’’