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कॉन्सेंट्रेटर कालाबाज़ारी : पुलिस ने कोर्ट में कहा-कालरा ने ‘सफेदपोश अपराध’ को दिया अंजाम

दिल्ली पुलिस की तरफ से पैरवी कर रहे अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत को बताया, “नवनीत कालरा की मंशा लोगों को ठगने और मुनाफा कमाने की थी।”

दिल्ली की एक अदालत ने कोरोना काल में ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर की कथित जमाखोरी करने और उन्हें ऊंचे दामों पर बेचने के लिए 17 मई को गिरफ्तार किए गए नवनीत कालरा की जमानत अर्जी पर सुनवाई की। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने अदालत में कहा कि कालरा ने ‘सफेदपोश अपराध’ को अंजाम दिया है। उसने मृत्यु शैय्या पर लेटे मरीजों को अत्यधिक दामों पर चिकित्सा उपकरण बेचकर मुनाफा कमाया है।
मामले में दिल्ली पुलिस की तरफ से पैरवी कर रहे अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत को बताया, ‘‘उसकी मंशा लोगों को ठगने और मुनाफा कमाने की थी। यह सफेदपोश अपराध है। उसने मृत्यु शैय्या पर पड़े जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर बेचे।’’ 
श्रीवास्तव ने कालरा की जमानत याचिका खारिज करने का अनुरोध किया। दिल्ली पुलिस ने यह टिप्पणियां तब की है जब एक दिन पहले कालरा ने वरिष्ठ वकील विकास पहवा के जरिए अदालत को बताया कि उसकी लोगों को ठगने की आपराधिक मंशा नहीं थी और उसे मुकदमे की सुनवाई से पहले हिरासत में नहीं रखा जा सकता। शनिवार को सुनवाई के दौरान लोक अभियोजक ने अदालत को कालरा के ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर विवरण पुस्तिका दिखाई और कहा कि ये जर्मनी से नहीं लाए गए थे जैसा कि आरोपी ने दावा किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसका ऑक्सीजन का प्रवाह 35 प्रतिशत से कम का था और उसने 27,999 की एमआरपी के बजाय 70,000 रुपये से अधिक कीमत पर इसे बेचा।’’ कालरा की इस दलील पर कि वह केवल जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहा था, इस पर लोक अभियोजक ने कहा, ‘‘वह कोई परमार्थ नहीं कर रहा था। अगर वह लागत जितने दाम पर ही इन्हें बेचता तो यह परोपकार होता लेकिन उसने मुनाफा कमाया।’’ 
श्रीवास्तव ने कहा कि डॉक्टरों की राय है कि ये ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर कम क्षमता के कारण कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए उपयुक्त नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘‘ये बेकार था और महज एक डिब्बा था। यहां तक कि हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों के लिए इनका इस्तेमाल करने से नुकसान पहुंच सकता था। इससे मौत होने की आशंका है।’’ 
उन्होंने अदालत को अपराध की गंभीरता के बारे में बताया और इस आधार पर जमानत रद्द करने का अनुरोध किया कि कारोबारी ने सबूतों से छेड़छाड़ की और उपकरण से सामग्री हटायी। पुलिस ने दावा किया कि ये सांद्रक चीन से आयात किए गए और इन्हें 16,000 से 22,000 रुपये प्रति कॉन्सेंट्रेटर की कीमत के बजाय 50,000 रुपये से 70,000 रुपये के अत्यधिक दाम पर बेचा गया।

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