नई दिल्ली : माल ढुलाई में भारतीय रेलवे की हिस्सेदारी घट रही है और आर्थिक समीक्षा के अनुसार इसका एक बड़ा कारण अप्रतिस्पर्धी भाड़ा दरें हैं। इसके अनुसार बीते कुछ वर्षों में जहां यात्री किराए की दरें करीब करीब स्थिर रही है वहीं माल भाड़े में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली ने आर्थिक समीक्षा 2017 18 आज संसद में पेश की। इसमें कहा गया है कि मुख्य रूप से अप्रतिस्पर्धी भाड़ा दर ढांचे के कारण बीते कुछ समय में माल ढुलाई में भारतीय रेलवे की हिस्सेदारी घटी है।
रेलवे से माल ढुलाई को अधिक आकर्षक बनाने तथा माल ढुलाई में रेलवे के हिस्से में गिरावट को थामने के लिए अनेक पहलें की गयी हैं इनमें शुल्क दरों को युक्तिसंगत बनाया जाना व स्टेशन से स्टेशन दरों के लिए नये नीतिगत निर्देश लाना शामिल है। इसके अनुसार 2017-18 (सितम्बर 2017 तक) के दौरान भारतीय रेल ने 55.81 करोड़ टन माल ढुलाई की जबकि पूर्व वर्ष की समान अवधि में यह 53.123 करोड़ टन था जो 5.06 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है। इसमें कहा गया है कि माल ढुलाई के अन्य माध्यमों से कड़ी प्रतिस्पर्धा को देखते हुए सरकार ने अनेक क्रांतिकारी कदम उठाए हैं ताकि रेलवे को पुन: पटरी पर लाया जा सके।
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