नई दिल्ली : दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा राजधानी में जलापूर्ति की शिकातयों में वर्ष 2015 के मुकाबले वर्ष 2018 में शिकायतें 151 तक वृद्धि दर्ज हुई है। वर्ष 2018 में डीजेबी को 86637 शिकायतें मिली हैं। दरअसल प्रजा फाउंडेशन ने गुरुवार को दिल्ली के विधायक और पार्षदों द्वारा उठाए गए नागरिक मुद्दों तथा किए गए विचार-विमर्श पर अपना श्वेत पत्र जारी किया।
प्रजा फाउंडेशन के निदेशक मिलिंद म्हस्के ने बताया कि सरकार ने डीजेबी के माध्यम से जलापूर्ति सेवाओं को बेहतर बनाने का वादा किया था, लेकिन नगर निगम को मिली शिकातयों के मुकाबले डीजेबी को ज्यादा शिकायतें मिली। उन्होंने कहा कि दिल्ली में स्थानीय निकाय कचरा प्रबंधन में फेल हुई है। प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी, श्री निताई मेहता ने बताया कि वर्ष 2015 से 2018 के दौरान एमसीडी के पास कचरा एकत्र नहीं किये जाने से संबंधित शिकायतों में 316 फीसदी की वृद्धि हुई है।
सार्वजनिक शौचालयों में पुरुषों एवं महिलाओं के बीच बड़ी असमानता है। सार्वजनिक शौचालयों में 4 में से केवल 1 सीट महिलाओं के लिए है। वहीं जनसंख्या के आधार पर स्वच्छ भारत के मानदंडों के अनुसार 100-400 पुरुषों के लिए सार्वजनिक शौचालय की 1 सीट और 100-200 महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय की 1 सीट की व्यवस्था होनी चाहिए।
निराशाजनक रहा निर्वाचित प्रतिनिधियों का प्रदर्शन
दिल्ली में विधायकों की उपस्थिति वर्ष 2017 की 87 फीसदी से घटकर वर्ष 2018 में 82 फीसदी हो गई है तथा निगम पार्षदों की उपस्थिति वर्ष 2017 की 74 फीसदी से घटकर वर्ष 2018 में 68 फीसदी हो गई है। म्हस्के ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों का ध्यान सामान्य नागरिक शिकायतों और शहर के मुद्दों के अनुरूप नहीं है।
वर्ष 2018 में विधायकों ने वायु प्रदूषण से जुड़े केवल 11 मुद्दों को उठाया। एमसीडी को एक नागरिक अधिकार-पत्र विकसित करने की आवश्यकता है, जिसमें शिकायतों का निपटान करने वाले अधिकारियों का विवरण मौजूद हो तथा समाधान हेतु समय-सीमा भी निर्धारित की गई हो।