क्या बिगड़ैल बच्चा सुधर गया? - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

क्या बिगड़ैल बच्चा सुधर गया?

NULL

क्या बिगड़ैल बच्चा सुधर रहा है? क्या सनकी तानाशाह किम जोंग सही राह पर लौट रहा है? कहीं यह उसका कोई नया पैंतरा तो नहीं? यह सवाल पूरी दुनिया के राजनीतिज्ञ सोच रहे हैं। उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग द्वारा दो महत्वपूर्ण राजनयिक बैठकों के लिए तैयार होते हुए परमाणु और मिसाइल परीक्षणों को बन्द करने की घोषणा से समूचे विश्व ने राहत की सांस ली है।

विश्वभर में उत्तर कोरिया की घोषणा का स्वागत हो रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी काफी खुश हैं और वह किम जोंग से होने वाली ​मुलाकात को लेकर काफी आशावान हैं। परमाणु हथियार कार्यक्रम चलाने के कारण उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध लगा रखे हैं।

उत्तर कोरिया ने घोषणा की है कि किम जोंग उन स्वेच्छा से परमाणु परीक्षणों पर विराम लगा रहे हैं, इसके साथ ही उत्तर कोरिया साल 2006 से सभी परीक्षणों के गवाह रहे पुंगेरी परमाणु परीक्षण केन्द्र को भी खत्म कर रहा है। ऐसा इसलिए है कि क्योंकि किम जोंग उन मानते हैं कि उनके देश ने परमाणु हथियारों की डिजाइन पर महारत हासिल कर ली है।

पिछले दो वर्षों में उत्तर कोरिया ने परीक्षण में एक कॉम्पैक्ट न्यूक्लियर डिवाइस का इस्तेमाल किया था जिसे कम, मध्यम, इंटरमीडियम और इंटरकांटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल पर लगाया जा सकता है। इन मिसाइलों की मारक क्षमता दूसरे विश्व युद्ध के आखिरी दिनों में अमेरिका द्वारा नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम से दो-तीन गुणा ज्यादा है।

एक के बाद एक परीक्षणों के चलते अमेरिका-उत्तर कोरिया में तनाव काफी बढ़ गया था और समूची दुनिया नए युद्ध की आशंका से घिर गई थी। तीखी बयानबाजी के बाद अचानक किम जोंग ने पैंतरा बदल लिया। सनकी तानाशाह अपनी मांद से बाहर निकला और बख्तरबन्द ट्रेन से चीन पहुंच गया।

चीन ने उसका जोरदार स्वागत किया, जैसे किसी का बच्चा सुबह का भटका हो आैर शाम को घर वापस आ गया हो। पूरे का पूरा चीनी नेतृत्व किम की अगवानी के लिए एकत्र हो गया था। चीन उत्तर कोरिया के काफी करीब रहा लेकिन भीतर ही भीतर चीन किम जोंग की शैतानियों से भयभीत भी था।

सनक में आकर उत्तर कोरिया लगातार मिसाइल परीक्षण कर रहा था लेकिन चीन तानाशाह किम जोंग की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं से परेशान था। इसी बीच अचानक माहौल में परिवर्तन आ गया जब किम जोंग ने अपनी बहन को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के पास भेजा और वह भी शिखर वार्ता का संदेश लेकर।

दक्षिण कोरिया एक लोकतांत्रिक देश है, उसके राष्ट्रपति ने भी वार्ता के लिए तुरन्त हां कर दी। इसके बाद तानाशाह ने अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने की इच्छा भी व्यक्त कर दी। अब दोनों में बातचीत मई में होनी तय है और तैयारियों के लिए दोनों देशों के अधिकारियों की गोपनीय मुलाकातें भी हो रही हैं। क्या किम जोंग अपनी बहन की सलाह पर काम कर रहे हैं या उनका हृदय परिवर्तन हो गया है।

चीन भीतर से परेशान हो उठा कि उसके खेमे का एक बदमाश नेता दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति से मिलने जा रहा है और फिर उसकी ट्रंप से मुलाकात होगी। उसने आनन-फानन में किम जोंग को अपने देश आमंत्रित किया। डर इस बात का है कि सनकी किम जोंग ने अगर कोई समझौता कर लिया तो चीन शांति प्रक्रिया से एकदम अलग हो जाएगा।

चीन के नेतृत्व ने निश्चित रूप से उस पर परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए दबाव बनाया होगा आैर साथ ही यह भी कहा होगा कि दक्षिण कोरिया और ट्रंप से मुलाकात के नतीजे पर पहुंचने से पहले वह उसको विश्वास में जरूर ले। हैरानी की बात तो यह है कि किम जोंग उन ने हाल ही में मूल राष्ट्रीय रणनीतिक परियोजना की सफलता का बखान किया है।

इसका अर्थ यह है कि शक्तिशाली राष्ट्रीय परमाणु क्षमता के विकास के साथ एक समृद्ध अर्थव्यवस्था का विकास शामिल है। किम जोंग ने संकेत दिया है कि अब वह शक्तिशाली समाजवादी अर्थव्यवस्था बनाने के काम पर लगेंगे जिसमें लोगों के जीवनस्तर को सुधारने पर काम किया जाएगा।

किम जोंग ने परमाणु परीक्षण रोककर वार्ताओं के लिए एक सुखद वातावरण सृजित करने की ओर कदम बढ़ा दिया है। अभी बहुत कुछ भविष्य के गर्भ में है। किम जोंग को ट्रंप से बैठक करके इतनी लोकप्रियता हासिल होगी जो कभी उसके पूर्वजों को नहीं मिली।

किम जोंग का असली मकसद क्या है? इस बारे में निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता, उन्हें वार्ता करके ट्रंप से क्या हासिल होगा, इस पर भी चीन और शेष विश्व की नजरें लगी हुई हैं। अगर दोनों में वार्ता सफल होती है तो पूरी दुनिया सुख की सांस लेगी। जब बर्लिन की दीवार टूट सकती है तो उत्तर कोरिया आैर दक्षिण कोरिया के रिश्ते क्यों नहीं सुधर सकते? आओ-आगे देखिये होता है क्या?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twenty − 18 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।