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ड्रोन बना घातक हथियार

दुनियाभर में जटिल कार्यों को सरल बनाने के लिए लगभग सभी क्षेत्रों में ड्रोन टैक्नोलोजी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

दुनियाभर में जटिल कार्यों को सरल बनाने के लिए लगभग सभी क्षेत्रों में ड्रोन टैक्नोलोजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। मानव ने विज्ञान को अपनी सुविधाओं के लिए अपनाया है, लेकिन इसका सदुपयोग और दुरुपयोग करना मानव के हाथ में ही है। सीमाओं की निगरानी, पुरातात्विक सर्वेक्षण, पुलिस और सेना के लिए निगरानी, ऊंचे टावरों और गहरी सुरंगों के भीतर जाकर हालात का पता लगाना, फोटोग्राफी और फिल्मों की शूटिंग, लोगों के घरों तक दवाइयों का पहुंचाना, लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण, चट्टानों के भीतर जाकर विषाक्त गैस आदि का पता लगाने और अन्य कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए ड्रोन तकनीक काफी उपयोगी सा​बित हो रही है। दुनिया में सबसे ज्यादा ड्रोन का उपयोग सैन्य गतिविधियों को अंजाम देने में होता है। सैन्य उपयोग के​ लिए ड्रोन का कारोबार अरबों डॉलर का है। ड्रोन का प्रयोग टोह लेने या रेकी करने, खुफिया जानकारी जुटाने के लिए किया जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में दुर्गम इलाकों, समुद्र या सीमांत क्षेत्रों में जहां सेना की कोई टुकड़ी या सैनिक नहीं पहुंच सकते वहां ड्रोन बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। इसीलिए केन्द्र सरकार ड्रोन के विकास पर बल दे रही है। एक समय संदिग्ध निगाह से देखे जाने वाले ड्रोन बेहद तेजी से भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण ​हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं।
दूसरी तरफ ड्रोन जेहादियों और आतंकवादियों का एक घातक हथियार बन चुका है। जिससे दु​निया चिंतित हो चुकी है। रूस ने अपने कामीकाजे ड्रोन्स की मदद से यूक्रेन की राजधानी कीव में कई हमले कर तबाही मचाई है। ऐसे ड्रोन्स आत्मघाती होते हैं। मतलब खुद तो मरेंगे ही दुश्मनों को भी मारेंगे। दुश्मन के इलाके, टारगेट, दुश्मन सैनिक, टैंक आदि किसी पर गिरते ही ​विस्फोट कर देते हैं। इन ड्रोन्स को नेवीगेट करना आसान होता है। एक बार लोकेशन और टारगेट फीड कर दीजिए यह मौत की खबर भेज देते हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहा। सीमांत इलाकों में ड्रोन भेजकर अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने में जुटा हुआ है। लेकिन सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अपनी चौकसी से लगातार पाकिस्तानी साजिशों को विफल बना रहा है। पिछले चार दिनों में पाकिस्तान का तीसरा ड्रोन सीमा सुरक्षा बल ने अमृतसर क्षेत्र में मार गिराया। ड्रोन के साथ ही ड्रग्स और हथियार बरामद किए जा रहे हैं। पिछले 9 महीनों में पाकिस्तान से ड्रोन आने की घटनाएं बढ़ रही हैं। सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान से कुल 193 ड्रोनों के अवैध घुसपैठ को देखा है। 193 ड्रोनों में से 173 पंजाब सैक्टर के साथ भारत-पाकिस्तान सीमा के माध्यम से भारतीय सीमा में दाखिल हुए थे। इन ड्रोनों के माध्यम से ड्रग्स के पैकेट और हथियार गिराए गए। ड्यूटी पर तैनात हमारे सैनिक लगातार निपुणता, फायरिंग, कौशल और साहस का परिचय देते हुए ड्रोनों को नाकाम कर रहे हैं। गोलाबारी के अलावा, आकाश को रोशन करने के लिए इस्तेमाल करने वाले रोशन बम भी हमारे सैनिकों द्वारा दागे जा रहे हैं।  जिस तरह से ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह मानवता के लिए काफी खतरनाक है। 
अब महत्वपूर्ण सवाल यह है कि ड्रोन की काट क्या है? संसद की एक समिति ने सिफारिश की थी कि गृह मंत्रालय जल्द ही ड्रोन रोधी तकनीक का एक केन्द्रीय पूल बनाए। साथ ही सभी राज्यों को ड्रोन के अवैध उपयोग के खतरे से निपटने के लिए तकनीक की पहुंच भी प्रदान की जाए। गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ड्रोन की चुनौती से निपटने के लिए लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कम्पनियां ड्रोन से निपटने की तकनीक का विकास करने में जुटी हैं। पाकिस्तान को चीन की मदद से अत्याधुनिक ड्रोन मिल रहे हैं। इसके अलावा पा​किस्तान को तुर्की से भी ड्रोन मिल रहे हैं। ड्रोन की खबरों को देखते हुए भारतीय सेना के लिए इस्राइल में बने अति आधुनिक हेरॉन ड्रोन खरीदे गए थे। इन ड्रोनों की जरूरत जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन से किए गए दो धमाकों के बाद महसूस की गई थी। इस्राइल से मिले ड्रोनों को लद्दाख सैक्टर के दुर्गम इलाकों में तैनात किया गया, जिससे चीनी सेना की हरकतों पर नजर रखी जा रही है। भारतीय सेना के लिए स्वदेशी कम्पनियों से भी कई छोटे और मध्यम आकार के ड्राेन खरीदे गए हैं। इसी तरह पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर भी ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है। क्योंकि पाकिस्तान से ड्रोन रात के अंधेरे में भेजे जाते हैं, इसलिए रात के अंधेरे में इनकी पहचान करना मुश्किल होता है। 
तकनीक के विकास के साथ युद्ध में आगे रहने के लिए भी ऐसे नए हथियार आ रहे हैं जिससे बिना जंग के मैदान में कदम रखे दुश्मन पर हमला किया जा सकता है और उसके बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा की जा सकती है। रूस-यूूक्रेन युद्ध में देखा जा रहा है कि रूसी सेना को आगे बढ़ने से रोकने के लिए यूक्रेन शक्तिशाली ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है और उसे इसमें कामयाबी भी मिल रही है। रक्षा क्षेत्र में निवेश, लड़ाकू विमानों, टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के उत्पादन और हथियारों की संख्या के मामले में रूसी सेना यूक्रेनी सेना के मुकाबले कहीं बड़ी है, लेकिन यूक्रेन के लिए ड्रोन इस युद्ध में अहम साबित हो रहे हैं।
अब यह तय है कि भविष्य में युद्ध ड्रोन और आर्टिफिसयल इंटेलिजेंसी से लड़े जाएंगे। ड्रोन के जरिये हमला कब किस समय होगा इसका पता लगाना भी आसान नहीं है। अमेरिका जैसे देश के​ लिए सुरक्षा अब महंगा सौदा बनता जा रहा है। उसने भी ड्रोन हमलों से निपटने के लिए अलग-अलग यूनिट बनाएं हैं। केवल बड़ी सेनाएं ही नहीं इस्लामिक स्टेट जैसे चरमपंथी गुट भी ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। सवाल यह भी है कि ड्रोन के इस्तेमाल का भविष्य के संघर्षों पर क्या असर पड़ेगा? हो सकता है भविष्य की जंग ड्रोनों, मिसाइलों और कुछ मशीनों से ही लड़ी जाए। भारतीय सेना को अति आधुनिक बनाए जाने की जरूरत है। जिसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

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