पिछले वर्ष 24 फरवरी को रूस ने जब यूक्रेन पर हमला किया था तब यही लग रहा था कि युद्ध जल्दी खत्म हो जाएगा। अब युद्ध को एक साल से भी ज्यादा समय हो चुका है। यूक्रेन को अमेरिका और नाटो देशों से लगातार मदद मिल रही है, जिसके बल पर यूक्रेन अभी भी डटा हुआ है। अब लड़ाई मुख्य रूप से यूक्रेन के उन्हीं इलाकों में चल रही है जहां अधिकतर रूसी मूल के और रूसी भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। रूस पहले ही यूक्रेन के क्रीमिया और कुछ हिस्सों को अपने में मिला चुका है। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की जीत की जिद अब चरम पर पहुंच चुकी है। ब्रिटेन, अमेरिका और नाटो देशों की यूक्रेन को लगातार मदद दिए जाने से पुतिन का गुस्सा आसमान पर है और उन्होंने बेलारूस की सीमा पर सामरिक परमाणु हथियार तैनात करने की घोषणा कर हलचल मचा दी है। बेलारूस की सीमा पोलैंड से लगती है जो नाटो का सदस्य है। बेलारूस के राष्ट्रपति ए. लुकाशेंको पहले से ही नाटो देशों का मुकाबला करने के लिए परमाणु हथियारों को तैनात करने की मांग करते आ रहे हैं। भले ही अमेरिका और नाटो देश पुतिन के ऐलान को परमाणु अप्रसार समझौते का उल्लंघन करार दे लेकिन पुतिन का कहना है कि अमेरिका कई दशकों से अपने सहयोगी देशों की सीमाओं पर परमाणु हथियार तैनात करता आया है।
बेलारूस में परमाणु हथियार तैनात करने की घोषणा कर एक तरह से चेतावनी दे दी है कि वह परमाणु युद्ध की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अगर अमेरिका का इतिहास देखा जाए तो शांति की स्थापना के नाम पर उसने विध्वंस का खेल खेला है। अफगानिस्तान, ईराक और लीबिया की तबाही के लिए अमेरिका ही जिम्मेदार है। अमेरिका के दुनिया में 800 सैन्य अड्डे हैं इनमें से सौ से अधिक सैन्य अड्डे खाड़ी देशों में हैं। तुर्की, सऊदी अरब, ईराक, जॉर्डन, कुवैत, कतर, यूएई, ओमान, आस्ट्रेलिया, जिबूती, कजाकिस्तान, बैल्जियम, इटली, जर्मनी, यूनान, ब्रिटेन में अमेरिका के सैन्य अड्डे हैं, जहां से अमेरिकी सेनाएं किसी भी हमले से निपटने के लिए तैयार रहती हैं। अमेरिका को पहले अपने भीतर झांकना चाहिए फिर दूसरों पर सवाल उठाना चाहिए। रूस टैक्टिकल परमाणु हथियारों को ले जाने के लिए पहले ही 10 विमानों काे बेलारूस में तैनात कर चुका है। इसके साथ ही वह ईस्कंदर टैक्टिकल मिजाइल सिस्टम भी बेलारूस भेज चुका है। जिसका इस्तेमाल परमाणु हथियार को लांच करने के लिए किया जा सकता है।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या दुनिया परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। पुतिन अमेरिका के साथ परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाले न्यू स्टार्ट समझौते को तोड़ने के बाद अपने खतरनाक इरादों को प्रदर्शित कर चुका है। बीते दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के यूक्रेन के अचानक दौरे पर पहुंचने और साथ ही पश्चिमी देशों के लगातार यूक्रेन की मदद करने से साफ है कि युद्ध अब रूस बनाम यूक्रेन नहीं बल्कि रूस बनाम अमेरिका और नाटो हो चुका है।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन के गुरु अलेक्जेंडर दुगिन ने अभी कुछ माह पहले दावा किया था कि रूस यह युद्ध कभी नहीं हारेगा। उन्होंने कहा था कि ‘‘रूस यूक्रेन का युद्ध जीतेगा या फिर दुनिया खत्म होगी।’’ उनके इस बयान से साफ है कि रूस जीत के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। मगर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने मिलकर यूक्रेन पर रूस की जीत को अब मुश्किल बना दिया है लेकिन रूस कतई हार मानने को तैयार नहीं है। पुतिन को हार कतई मंजूर नहीं है। इसलिए उन्होंने एटमी जंग का संकेत देकर विश्व में खलबली मचा दी है। पुतिन ने 32 वर्षों से बंद पड़ी रूस की ‘‘नोवाया जेमल्या’’ परमाणु परीक्षण साइट को खोलकर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। राष्ट्रपति पुतिन ने इस साइट पर शीघ्र ही परमाणु परीक्षण करने का भी निर्देश दे दिया है। इससे दुनिया में महाविनाश तय माना जाने लगा है।
एक तरफ दुनियाभर में आर्थिक असुरक्षा का वातावरण बना हुआ है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनियाभर में आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है। महंगाई बढ़ती जा रही है। आम लोगों का जीवन चरमरा गया है। साफ है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों के रूस पर प्रतिबंधों की राजनीति से युद्ध नहीं रुकने वाला। रूस का धंधा चल रहा है लेकिन यूराेप की जनता तबाह हो रही है। दुनियाभर में आर्थिक मंदी की आशंका से चिंता बढ़ गई है। अगर परमाणु युद्ध हुआ तो दस करोड़ लोग मारे जा सकते हैं। दुनिया पहले ही जापान पर परमाणुु हमले का महाविनाश देख चुकी है। अगस्त 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला किया था तो चंद मिनटों में ही लाखों लोग मारे गए थे और उसके बाद कई सालों तक लोग मरते रहे और रोते-बिलखते लोगों की आवाजें गूंजती रहीं। दुनिया इस समय ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रही है लेकिन परमाणु युद्ध होने पर धरती का तापमान क्या होगा कहना मुश्किल है। हमलों से इतना धुआं निकलेगा कि वह धरती की सतह पर जम जाएगा। ऐसा होने पर कई जगह सूर्य की रोशनी भी नहीं पहुंचेगी। धरती का पूरा सिस्टम बिगड़ जाएगा और फसलें तबाह हो जाएंगी जिससे अकाल पड़ेगा। दुनिया को तबाही से बचाने के लिए युद्ध राेकना बहुत जरूरी है। अमेरिका और नाटो देशों को संयम से काम लेकर युद्ध रोकने के प्रयास करने चाहिए। निश्चित रूप से भारत, चीन और यूरोप युद्ध रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि रूस और यूक्रेन शांति के लिए आगे बढ़ें।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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