अक्सर सुनने में यही आता है कि सुनार (ज्वैलर्स) और वकील अपनी मां के भी सगे नहीं होते। इनको अपना पेशा अपने रिश्तों और नैतिक मूल्य से अधिक प्रिय होता है, परन्तु मेरे सामने ऐसी 2 बड़ी मिसाल हैं, एक अरुण जेतली जी और दूसरा भारत मां का वकील हरीश साल्वे जी जो आज सारी दुनिया देख रही है। कुछ साल पहले हमारे एक फैमिली केस में (जो आज घर-घर की कहानी खास करके है, बड़े घरानों में) अरुण जेतली जी को पेश होना था या अपने साथी वकील को भेजना था तो अश्विनी जी ने उन्हें किसी के द्वारा चैक भेजा, उन्होंने देखा और वापस भेज दिया। फिर उन्होंने बड़े प्यार से अश्विनी जी को हंसकर बोला ‘मिन्ना (अश्विनी का प्यार का नाम) जो तुमने किया वो तुम्हारा फर्ज था और जो मैंने किया मेरा फर्ज (यानी मैं किरण का भाई तुमसे कैसे फीस ले सकता हूं) मतलब पेशे के सामने उनके लिए रिश्ता ज्यादा मायने रखता है। हम अन्दर ही अन्दर से उनके प्रति और भावुक और नजदीक हो गए।
दूसरा हरीश साल्वे जी का है, जिनके पिता एन.के.पी. साल्वे जो कांग्रेस के बड़े नेता, क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन रहे, वह अश्विनी जी को तब से प्यार करते थे, जब अश्विनी जी रणजी, ईरानी और रेस्ट ऑफ इंडिया की टीम में खेलते थे। जब हम दिल्ली आए वह अक्सर हमें अपने घर बुलाते, हमारे यहां आते, हमें बच्चों की तरह स्नेह देते थे और जब उनके घर जाते तो इतने खुश होते थे कि उन्हें बिठाने के लिए जगह नहीं मिलती थी, कभी कुछ खिलाने के लिए मंगाते और लास्ट टाइम जब मैं उनसे मिली तो उन्होंने गले में कॉलर पहन रखा था, उन्हें सरवाइकल था।
एनडीए शासन में सॉलिसिटर जनरल बनने के वक्त उनकी उम्र महज 43 साल थी और उन्होंने ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार से लेकर अंबानी, महिन्द्रा, टाटा, भोपाल गैस त्रासदी और नीरा राडिया तथा हिट एंड रन केस में बालीवुड स्टार सलमान खान की पैरवी भी की थी। एक पेशेवर तरीका हमेशा सफलता दिलाता है। देश की मिट्टी को समझना और जमीन पर रहना यह अंदाज पैसे वाले लोग नहीं रखते लेकिन हरीश साल्वे बहुत रिजर्व रहते हैं। बातचीत में वह अक्सर कहते हैं कि वकालत मेरा पेशा है परंतु सच बात यह है कि मैं वकील नहीं इंजीनियर बनना चाहता था। वह बहुत कम बोलते हैं लेकिन अपनी दलील बहुत सुंदर तरीके से बनाते हैं, जिसे पढ़कर जज पर असर पड़ता है। फिर भी हम तो यही कहेंगे कि वह इंजीनियर या वकील से भी बढ़कर एक सच्चे भारतीय और भारत मां के ऐसे बेटे हैं कि जिन पर पूरे देश को नाज होगा।
इसमें कोई शक नहीं कि हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान ढीठता के मामले में बहुत ही निकृष्ठ किस्म का आचरण रखता है और अगर कोई इसके बारे में जाने और समझे तो सचमुच शर्मसारी भी आंसू बहाने लगे। एक भारतीय नागरिक और नौसेना के पूर्व कर्मचारी कुलभूषण जाधव को अपने यहां गिरफ्तार करके उसने उसे जासूस घोषित करते हुए अपनी फौज के कोर्ट मार्शल के तहत उन्हें फांसी दिलवा दी। आईसीजे अर्थात इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत ने इस फांसी के खिलाफ अपील की और आईसीजे ने पाकिस्तान को आदेश दिया है कि अंतिम फैसला आने तक वह कुलभूषण जाधव को फांसी न दे। सारा देश और सारी दुनिया इस फैसले से खुश है और पाकिस्तान एक बार फिर अपनी पाप भरी फितरत को लेकर बेनकाब हो गया है, लेकिन इस स्थिति को जश्न तक ले जाने में देश के एक ऐसे हीरो को सिर-आंखों पर बैठाना चाहिए, जिन्होंने अपनी शानदार दलीलों के दम पर यह केस भारत को जिताने में मदद की। भारत माता के इस सपूत श्री हरीश साल्वे को कोटि-कोटि नमन है, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण केस में केवल एक रुपया फीस लेकर यह केस लड़ा और आईसीजे में भारत को इतनी बड़ी सफलता कूटनीतिक तौर पर दिलाई।
पेशे से पिछले 40 साल से वकालत कर रहे श्री हरीश साल्वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ही केस लड़ते हैं और इतने पारंगत और सशक्त हैं कि अपनी हर दलील तौल-तौल कर रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अलावा एनएसए अजीत डोभाल से बराबर इस केस में फीडबैक लेने के बाद साल्वे जब आगे बढ़े तो आईसीजे की जूरी में शामिल तमाम 16 जजों ने उनके तर्कों को स्वीकार किया और पाकिस्तान का एक-एक दावा और उसका एक-एक झूठ धराशायी होता चला गया। आज की वकालत मौजूदा भारत में और दुनिया में बहुत अहमियत रखती है तो हम नई पीढ़ी को यह संदेश देना चाहते हैं कि जीवन में हर काम और हर तर्क उचित तरीके से दिया जाना चाहिए।
सामाजिक तौर पर आज नेता लोग जिस तरह से जीवन में भ्रष्टाचाऌर को लेकर बेनकाब हो रहे हैं, जबकि यह राजनीति भी एक ऐसा पेशा है जिसे आप ईमानदारी से निभा सकते हैं। करनाल से सांसद मेरे पति अश्विनी कुमार इसी आदर्श पर चल रहे हैं और भ्रष्टाचारी लोग उन्हें अन्दर-अन्दर पसंद नहीं करते। मोदी जी कहते हैं वो सेवक हैं। अश्विनी जी भी सेवक बनकर काम कर रहे हैं। आज वो दिखा रहे हैं। ईमानदारी और नैतिकता के दम पर देश का नाम रोशन भी किया जा सकता है। आज समय सीखने और देश की शान बढ़ाने का है। केवल तलवार या बंदूक लेकर राष्ट्र सेवा नहीं की जा सकती, बल्कि अच्छे कार्यों के दम पर आप जब अधर्म और पाप के खिलाफ खड़े होते हैं तो फिर दुनिया झुकती है। पाकिस्तान ने जो अधर्म और पाप किया उसके खिलाफ हरीश साल्वे के धर्म और पुण्य पर आधारित राष्ट्रभक्ति, ईमानदारी, नैतिकता और सच्चाई ने जीत पाई, यह अपने आप में एक उदाहरण है। आइए, इस उदाहरण को अपने जीवन में उतारें लेकिन यह देश भाई हरीश साल्वे को एक बार फिर से सैल्यूट करना चाहता है।