नेपाल सेना प्रमुख की भारत यात्रा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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नेपाल सेना प्रमुख की भारत यात्रा

नेपाल के सेना प्रमुख जनरल प्रभु शर्मा भारत की चार दिवसीय यात्रा पर हैं। उनकी यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब नेपाल की ​विदेश नीति वैश्विक रणनीतिक माहौल में परिवर्तन के कारण दबाव में है

नेपाल के सेना प्रमुख जनरल प्रभु शर्मा भारत की चार दिवसीय यात्रा पर हैं। उनकी यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब नेपाल की ​विदेश नीति वैश्विक रणनीतिक माहौल में परिवर्तन के कारण दबाव में है। नेपाल भारत-चीन संबंधों में बढ़ती दरारों से पैदा हुई प्रतिकूल परिस्थितियों के खिलाफ संघर्ष कर रहा है जो पारम्परिक रणनीतिक संंबंधों के प्रति मूल्यांकन के लिए रास्ता खोल रहा है। जनरल प्रभु राम शर्मा ने सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे से बैठक के दौरान क्षेत्र में सुरक्षा परिदृश्य की पृष्ठभूमि में​ द्विपक्षीय सैन्य सहयोग का विस्तार करने के तरीकों पर ध्यान केन्द्रित किया। क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य पर विचार-विमर्श के अलावा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करने को लेकर भी बातचीत हुई। जनरल शर्मा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अलंकरण समारोह के दौरान भारतीय सेना के जनरल की उपाधि से सम्मानित भी किया।
हाल ही में ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के जलवायु शिखर सम्मेलन से इत्तर दोनों देशों के प्रधानमंत्री, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा के बीच मुलाकात हुई थी तब देऊबा ने को​िवड-19 महामारी के​ खिलाफ जारी लड़ाई में नेपाल को आवश्यक चिकित्सा सामग्री और टीकों की आपूर्ति में सहायता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया था। दोनों में कई आम मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई थी। भारत बुनियादी ढांचे, रेलवे लिंक, पैट्रो​िलयम पाइप लाइन, पुनर्निर्माण परियोजनाओं सहित नेपाल के सामाजिक, आर्थिक विकास में बहुमूल्य मदद दे रहा है। भारत ने नेपाल को कोविड-19 राेधी टीके की दस लाख खुराक भेंट की थी।
नेपाल इस समय अपने दो विशाल पड़ोसियों के साथ संबंधों को संतुलित करने का प्रयास कर रहा है, जो पूर्वी लद्दाख में 18 महीने से तनावपूर्ण सैन्य गतिरोध में शामिल है। मई 2020 में दिल्ली द्वारा मानसरोवर पर धारचूला से लिप्रलेख तक एक नई सड़क के उद्घाटन के बाद भारत आैर नेपाल संबंध भी डूब गए थे। 
के.पी. शर्मा ओली तब नेपाल के प्रधानमंत्री थे और उनको चीन समर्थक माना जाता था। के.पी. शर्मा ओली ने उत्तराखंड के तीन इलाकों लिप्रलेख, कालापानी और लिपियाधुरा को नेपाल में नक्शे में लाकर इन इलाकों पर अपना दावा जता दिया। बहुत सी अनर्गल बातें भी उन्होंने कहीं, ​िजसमें उनकी जगहंसाई ही हुई। के.पी. ओली को हमेशा ही चीन के​ लिए झुकाव रखने वाला माना गया। ओली ने कहा था कि वह चीन के साथ संबंधों को और गहरा करना चाहते हैं तो वहीं भारत के साथ समझौते का अधिक फायदा लेंगे। पिछले कुछ वर्षों से भारत की आपत्तियों के बावजूद नेपाल ने चीन की कम्पनियों के साथ कई तरह के समझौते किए। नए नक्शे के कारण दोनों देशों के बीच संचार अस्थाई रूप से टूट गया। इसी बीच आेली सरकार लड़खडा गई। चीन ने ओली सरकार को बचाने के लिए हस्तक्षेप करने की कोशिशें भी कीं लेकिन ओली सरकार अंततः गिर गई। नेपाल की संसद को उसके सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बहाल किए जाने के बाद ओली को पद छोड़ना पड़ा। शेर बहादुर देऊबा ने प्रधानमंत्री पद सम्भाला। देऊबा भारत के करीबी नेता हैं। नेपाल की राजशाही के दौरान देऊबा के राजनीति में दबदबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नेपाली कांग्रेस ने उन्हें तीन बार प्रधानमंत्री बनाया था। देऊबा के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के बाद से ही​ उम्मीदें शुरू हो गई थीं कि नेपाल-भारत संबंध पटरी पर आ जाएंगे।
नेपाली सेना प्रमुख की भारत यात्रा को नेपाली सेना अपनी सैन्य कूटनीति की आधारशिला मान रही है। ​ब्रिगेडियर जनरल संतोष बल्लावे पौडियाल ने भी अपने लेख में लिखा है कि इस यात्रा को दोनों देशों के बीच केवल प्रतीकात्मक परम्परा की ​निरंतरता के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे द्विपक्षीय मुद्दों को संबोधित करने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के​ लिए रचनात्मक जुड़ाव का अवसर माना जाए। 
सैन्य कूटनीति के महत्व को पहचानना और इसे सार्वजनिक नीति क्षेत्र में उचित स्थान देना व्यापक राष्ट्रीय हित में होगा। नेपाल के साथ हमारी बहुत लम्बी एवं खुली हुई सीमा है आैर उसके साथ हमारा सदियों पुराना रोटी-बेटी का संबंध रहा है। नेपाल में राजशाही खत्म होने के बाद से ही वहां राजनीतिक अस्थिरता का दौर चलता रहा है आैर भारत की समर्थ कूटनीति अपने आजमाए हुए तरीकों से उसका सामना भी करती आ रही है लेकिन नेपाल में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप के कारण भारत के लिए परिस्थितियां कठिन होती जा रही हैं। भारत आैर नेपाल के ​रिश्ते काफी उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं। भारत को नेपाल से रिश्ते बेहतर करने के लिए दीर्घकालीन नीति पर काम करना होगा। पुरानी नीतिगत गलतियों को छोड़कर काम करना होगा। नेपाल- भारत सांस्कृतिक रूप से जुुड़े हुए हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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