शेयर बाजार में सुनामी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

शेयर बाजार में सुनामी

शेयर बाजार बहुत संवेदनशील होता है, हर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं का इस पर तुरन्त प्रभाव पड़ता है। निवेशक तुरन्त प्रतिक्रिया देते हैं और बाजार में उतार-चढ़ाव को प्रभावित करते हैं।

शेयर बाजार बहुत संवेदनशील होता है, हर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं का इस पर तुरन्त प्रभाव पड़ता है। निवेशक तुरन्त प्रतिक्रिया देते हैं और बाजार में उतार-चढ़ाव को प्रभावित करते हैं। जब भी शेयर बाजार लगातर ऊपर चढ़ता है तो उसके साथ ही इसके किसी बुलबुले की तरह बैठने की आशंकाएं भी जन्म ले लेती हैं। कोरोना महामारी के दौरान भी शेयर बाजार काे हमने लगातार चढ़ते देखा। सब हैरान थे कि जब महामारी से सभी बड़े देशों से लेकर छोटे देशों की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई, बाजार भी ठप्प रहे लेकिन शेयर बाजार कैसे चढ़ रहा था। पिछले वर्ष भारतीय शेयर बाजार की हैसियत काफी बढ़ी। 
2021 में बाजार पूंजीकरण के मामले में भारतीय शेयर बाजार ब्रिटेन से ज्यादा पीछे नहीं रहा। मार्किट कैप में 37 फीसदी बढ़ौतरी देखी गई। महामारी की शुरूआत में भारतीय शेयर बाजार में भी ​िगरावट आई थी लेकिन जल्द ही इसने रफ्तार पकड़ ली। पिछले वर्ष भारत ने फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए मार्किट कैप के मामले में छठा स्थान हासिल कर लिया था। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बार-बार यह कहते हुए लोगों को आगाह कर रहे थे कि वास्तविक अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र में कोई तालमेल ​दिखाई नहीं दे रहा। फिर भी आम निवेशकों के लिए शेयर बाजार काफी आकर्षक बना रहा। अब पिछले लगातार 6 दिन से शेयर बाजार में सुनामी आई हुई है और निवेशकों को करोड़ों का घाटा हो चुका है। नामी-गिरामी कम्पनियों के शेयर गिरने से कम्पनियों का वित्तीय गणित भी गड़बड़ाया हुआ है। भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट के कारण घरेलू नहीं हैं। सोमवार को आई भारी गिरावट के बाद मंगलवार की सुबह भी शेयर डूबने शुरू हुए लेकिन कुछ देर बाद बाजार सम्भल गया। गिरावट के तीन मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। पहला तो यह है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने के संकेत दिए हैं और दूसरा यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस में टकराव के चलते पैदा हुए युद्ध जैसे हालात के चलते भी विदेशी निवेशकों ने धड़ाधड़ भारतीय बाजार में बिकवाली की। अमेरिका के सैंट्रल बैंक फैडरल रिजर्व बैंक की बैठक में ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला ​लिया जा सकता है। 
शेयर बाजार में गिरावट का एक और कारण कच्चे तेल के भावों में तेजी भी है। कच्चे तेलों का वायदा भाव 88.76 डालर प्रति बैरल पहुंच चुका है। 30 अक्तूबर, 2014 के बाद यानि 7 साल में यह सबसे ऊंचा स्तर है। चौथा बड़ा कारण कोरोना महामारी से जूझ रही विश्व अर्थव्यवस्था में महंगाई से हर कोई परेशान है। तेल की बढ़ती कीमतों ने उथल-पुथल मचा रखी है। लगातार बढ़ रही महंगाई बचत को प्रभावित करती है। शेयर बाजार सम्भावनाओं का खेल होता है। जब निवेशकों को लगता है कि उनका पैसा डूब रहा है या उन्हें कुछ ज्यादा लाभ नहीं हो रहा तो वह अपना धन निकालने लगते हैं। पिछले 6 दिनाें में भारत से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक बाजार से 12 हजार करोड़  रुपए निकाल चुके हैं। अन्य एशियाई बाजारों में हांगकांग, सियोल, शिंघाई और टोकियो में भी शेयर बाजार नुक्सान में रहा है। रूस अमेरिका में टकराव पर बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितता का असर और देखने को मिल सकता है।
भारतीय बाजाराें की चाल वैश्विक संकेतों से ही तय होती है लेकिन इसके बाद केन्द्रीय बजट बाजार की दिशा तय करेगा। बाजार में बड़े खिलाड़ी तो प्रभावित होंगे ही लेकिन खुदरा निवेशकों के लिए यह एक अच्छा मौका भी हो सकता है। बाजार ​िवशेषज्ञों का कहना है कि खुदरा निवेशकों को कम कीमत पर मिल रहे शेयरों में निवेश करते रहना चाहिए। इससे उन्हें फायदा होगा। आम निवेशकों की नजर पेश किए जाने वाले आम बजट पर भी है। अगर बजट में आम आदमी को बड़ी राहत मिलती है तो भी वह बाजार की तरफ आकर्षित होंगे। किसी भी देश का शेयर बाजार इस बात पर निर्भर करता है कि उस देश की अर्थव्यवस्था से लोगों को कितनी उम्मीदें हैं। अगर आम लोगों का भरोसा बढ़ता है तो ही शेयर बाजार की सूचीबद्ध कम्पनियों में निवेश बढ़ेगा। भारत में लगभग सूचीबद्ध कम्पनियों की संख्या 6000 के लगभग है और इनमें से 2000 के लगभग कम्पनियों पर ही लोग विश्वास करते हैं। एक अनुमान के अनुसार सूचीबद्ध कम्पनियों में मुश्किल से 15-20 लाख लोग मालिकाना हक रखते होंगे। इसका मतलब यह है कि 1.35 अरब की विशाल आबादी वाले देश में शेयर बाजार पर 0.1 फीसदी लोगों की ही हिस्सेदारी है। छोटे निवेशकों को कभी ज्यादा फायदा नहीं मिलता। निवेशकों को 1992 का हर्षद मेहता घोटाला तो याद होगा जिसमें छोटे निवेशकों की पूरी की पूरी पूंजी डूब गई थी और अनेक लोग दिवालिया हो गए थे। इसलिए निवेशकों को बहुत सम्भल कर चलना होगा। बाजार के उतार-चढ़ावों के जोखिम को झेलने के लिए भी धन की आवश्यकता होती है। अब देखना होगा कि आने वाला बजट अर्थव्यवस्था के प्रति कितनी उम्मीदें पैदा करता है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 + 13 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।