मानव जीवन बड़ा अनबूझ है। यह इतना अनबुझा है कि कभी-कभी सारी आयु निकल जाती है और हम इसके रहस्यों को जान नहीं पाते। जितने भी विचारक आए, उन्होंने अपनी ही तरह से जीवन को परिभाषित करने का प्रयत्न किया।
हर व्यक्ति ने कहा, जीवन है बड़ा अनमोल, इसे जो मनुष्य समझ ले उसका जीवन धन्य हो गया अन्यथा सब कुछ बेकार हो जाता है। शुकदेव मुनि ने अपने पिता महर्षि व्यास से पूछा-
‘‘पिताश्री आपने 18 पुराण रच दिए, लाखों श्लोकों की रचना कर डाली, आने वाले समय में किसे इतना समय होगा कि इन्हें पढ़ें। कृपया समस्त पुराणों का सार बता दें।’’
महर्षि व्यास ने कहा 18 पुराणों में व्यास के केवल दो ही वचन हैं। परोपकार ही पुण्य है आैर किसी की भावनाओं को आहत करना ही पाप है। कालांतर में गोस्वामी तुलसी दास जी ने भी महर्षि व्यास के वचनों की पुष्टि ही यह कहकर की-
‘‘परिहत सरस धर्म नहिं भाई
परपीरा सम नहिं अधमाई।’’
परोपकार में जितने उदाहरण हमारे शास्त्रों से मिलते हैं, उतने शायद कहीं नहीं मिलते। कुछ कथाएं तो ऐसी हैं कि सहसा विश्वास ही नहीं होता कि ऐसे लोग भी इस धरती पर कभी हुए होंगे।
संकट की घड़ी में राष्ट्रीय नेतृत्व तो अहम भूमिका निभाता ही रहा है, साथ ही भारत ने भी हमेशा युद्ध हो या प्राकृतिक आपदा, अकाल हो या अतिवृष्टि, हमेशा एकजुटता का प्रदर्शन किया है। गुजरात और उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदाओं में समूचे राष्ट्र ने प्रभावित लोगों की हर सम्भव सहायता की थी। देश में महाकोरोना संकट के चलते उद्योग परेशानी में है। उन पर लॉकडाउन के चलते वेतन देने का दबाव बढ़ रहा हैं। महामारी के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ घोषणाएं की हैं, उससे कारोबारियों, बैंक उपभोक्ताओं को कुछ राहत तो मिलेगी। वित्त वर्ष 31 मार्च को समाप्त हो रहा है और कम्पनियों को अपने कर समय पर चुकाने होते हैं। लॉकडाउन के चलते सारा कामकाज ठप्प पड़ा है। अब कारोबारी जीएसटी रिटर्न, आयकर रिटर्न 30 जून तक भर सकेंगे। जिन कम्पनियों का कारोबार 5 करोड़ तक का है उन्हें रिटर्न दाखिल करने में देरी पर कोई जुर्माना और ब्याज भी नहीं देना पड़ेगा। जिन कम्पनियों का कारोबार 5 करोड़ से ज्यादा है उन्हें विलम्ब होने पर ब्याज दरों में छूट दी गई है। बैंक खाताधारकों के लिए न्यूनतम राशि की अनिवार्यता और एटीएस शुल्क भी फिलहाल खत्म कर दिया है। महामारी के बीच सबसे बड़ा संकट दिहाड़ीदार मजदूरों के सामने खड़ा हो गया है। उनकी मदद करने में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अच्छी पहल की है।
योगी सरकार ने भरण-पोषण योजना के तहत निर्माण क्षेत्र से जुड़े 5.97 लाख मजदूरों के बैंक खातों में एक-एक हजार रुपए की धनराशि आरटीजीएस के माध्यम से भेज दी है। शहरों में ठेले, खोमचे आदि लगाने वालों को भी एक हजार की राशि दी जाएगी। रोजाना कमा कर खाने वाले मजदूरों को 20 किलो गेहूं और 15 किलो खाद्यान्न उपलब्ध कराने का काम भी शुरू कर दिया गया। योगी आदित्यनाथ राजनीतिक धर्म के साथ-साथ मानव धर्म भी निभा रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि केन्द्र और राज्य सरकारें और कार्पोरेट सैक्टर कोरोना से लड़ने के लिए अपना दायित्व निभा रहा है, ऐसी स्थिति में देशवासियों का सबसे बड़ा धर्म मानव जीवन की रक्षा के लिए खुद को लॉकडाउन की पाबंदियों में बांधना ही होगा और घरों में बंद रहना होगा। खुद का बचाव करके आप अपने जीवन की रक्षा तो करेंगे ही बल्कि मानव जीवन को बचाएंगे। मानव जीवन की रक्षा करना ही राष्ट्र धर्म और राष्ट्र सेवा है। मनुष्य के स्वभाव को भी हम प्रकृति ही कहते हैं।
मनुष्य जब अपनी-अपनी प्रकृति से विमुख हो जाता है तो परमात्मा की प्रवृति को पराप्रकृति कहते हैं, वह भी रूष्ठ हो जाती है। कोरोना महामारी की विषम बेला में मनुष्य अपने व्यवहार का स्वयं निरीक्षण करे और अपनी प्रकृति को पराप्रकृति के अनुरूप बनाना होगा।
आज कुछ लोग जमाखोरी कर रहे हैं, रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें बढ़ चुकी हैं। आपा-धापी का माहौल है। मनुष्य अपने स्वभाव के मुताबिक दूसरे को लूट लेना चाहता है। इस संकट की घड़ी में मनुष्य, मनुष्य बन जाए तो शायद कोई कोरोना हमारा कुछ न बिगाड़ पाए। याद रखें जीवन अगर चलेगा तो जीवन मूल्य के साथ चलेगा, वर्ना जीवन का चलना मुश्किल होगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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