रायपुर : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर अंचल में फिर बीहड़ों में माओवादियों की सक्रियता बढ़ रही है। वहीं नक्सलियों का काडर कमजोर होने के बाद अब वे अपने संगठन को मजबूत करने फिर ग्रामीण आदिवासियों पर दबाव डाल रहे हैं। खुफिया सूत्रों की मानें तो माओवादियों ने अंदरूनी और बीहड़ों से लगे गांवों में आदिवासी परिवारों के बच्चों पर डोरे डालना शुरू कर दिया है। वहीं नए सिरे से ग्रामीणों के हर घरों से एक युवा सदस्य को संगठनों में भेजने की मांग हो रही है। इससे भी आदिवासी परिवारों में दहशत पसरा हुआ है। बीते कुछ माह में बीहड़ों में फोर्स के दबाव के बाद से ही सक्रियता कमजोर हुई थी।
इसे फोर्स और सरकार की सफलता से जोड़ा जा रहा था। अब खुफिया सूत्रों के हवाले से माओवादियों की नई रणनीति से हलचल मची हुई है। राज्य में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। माओवादियों की कोशिशें है कि इससे पहले तक संगठन का काडर मजबूत कर लिया जाए। आम तौर पर चुनाव के दौरान नक्सलियों की ओर से वारदातों का ग्राaफ बढ़ता रहा है। चुनाव के समय लगातार घटनाओं को अंजाम देकर नक्सली दहशत फैलाने की कोशिशें करते रहे हैं। मौजूदा रणनीति को बारिश से पहले की तैयारी माना जा रहा है।
सूत्रों का दावा है कि बारिश के दोरान नक्सलियों की ओर से अधिक गतिविधियां नहीं होती वहीं वे सुरक्षित ठिकानों में चले जाते हैं। इस दौरान संगठन के सदस्यों को युद्ध की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद उन्हें फोर्स की घेरेबंदी कर हमले के लिए उतारा जाता है। हालांकि बीते कुछ वर्षों में नक्सलियों की योजना आदिवासियों के बीच सामने आ गई है। नक्सली लगातार वारदातों में स्थानीय आदिवासियों को ही आगे करते रहे हैं। वहीं दूसरे राज्यों से आए नक्सली नेता एवं अन्य नक्सली खुद को पीछे सुरक्षित रखते रहे हैं। इसलिए मुठभेड़ का शिकार भी स्थानीय नक्सली ही होते रहे हैं।
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