उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने आज कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की अगुवाई में झारखंड वर्ष 2020 तक पूर्ण साक्षर राज्य बन जाएगा। श्री नायडू ने यहां अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर प्रभात तारा मैदान में आयोजित कार्यक्रम में कहा,’मैं दक्षिण भारत का रहनेवाला हूं, मुझे हिंदी नहीं आती थी लेकिन मैंने सीखने की ललक कभी नहीं छोड़। आज मैं हिंदी बोल और समझ सकता हूं। यही लालसा हम सब में होनी चाहिये और निरक्षरता रूपी अंधेरे को साक्षरता रूपी उजाले में तब्दील करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
उन्होंने राज्य के विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुये कहा कि उन्हें विश्वास है कि श्री दास की अगुवाई में झारखंड वर्ष 2020 तक पूर्ण साक्षर राज्य बन जाएगा। उप राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा आत्मनिर्भरता, सशक्तिकरण, शोषण, भ्रष्टाचार और अत्याचार से मुक्ति के लिए जरूरी है। शिक्षा के बगैर स्वयं एवं देश, राज्य और समाज का विकास संभव नहीं है। यदि हमें गरीबी, सामाजिक बुराइयों को दूर करना है तो हमें साक्षर होना होगा। यह कार्य सिर्फ सरकार के भरोसे संभव नहीं है इसके लिये आम लोगों को आगे आकर अपने दायित्वों का निर्वहन कर शिक्षा का अलख जगाना होगा।
श्री नायडू ने कहा कि देश की 20 प्रतिशत आबादी अनपढ़ है, जो बड़ चुनौती है। पहले भारत में विदेश से लोग ज्ञान अर्जन करने आते थे, भारत को विश्वगुरू माना जाता था। अब भारत के विश्वगुरू होने के गौरव को वापस लाना है और देश को पूर्ण साक्षर बनाना है। उप राष्ट्रपति ने कहा कि झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा 32 लाख लोगों को साक्षर बनाया गया। 500 प्रखंड पूर्ण साक्षर बने यह महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार ने केंद, सरकार के संकल्प को पूरा करने के लिए संकल्पित है और वर्ष 2020 तक राज्य को पूर्ण साक्षर बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि यदि यह कार्य पूरा हुआ तो अछ्वुत होगा।
राज्य के मुख्यमंत्री ने साक्षरता अभियान को गति देने वालों को सम्मानित किया है। यह पवित्र कार्य है।यह अभिमान स्वाभिमान और सम्पूर्ण विकास के लिए है। ऐसे सम्मान समारोह से अन्य लोग प्रेरित होते है और देश हित में कार्य करते है। श्री नायडू ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए मैंने झारखंड आने की इच्छा जाहिर की थी। जिसे राज्य सरकार ने पूर्ण किया। जिन 32 लाख लोगों को विगत तीन वर्षों में साक्षर बनाया गया, उसमें 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। यह महिला सशक्तिकरण का बड़ उदाहरण है। महिलाओं को सम्मान देना देश की परंपरा रही है जिसका निर्वहन हो रहा है।
उन्होंने कहा कि नवसाक्षर भाई-बहन अपने आस पास रहने वालों को शिक्षा के लिए प्रेरित करें तभी उनका साक्षर होना सार्थक होगा और नये भारत और नये झारखंड का निर्माण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल इस राज्य में जब तक सभी साक्षर नही होंगे विकास की परिकल्पना सार्थक नही होगी। झारखंड़ इस अवसर पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ज्ञान आधारित इस युग में शिक्षा जीवन के लिए अनिवार्य हो गई है। इसकी अहमियत को ध्यान में रखते हुए सरकार कई योजनायें चला रही है। अधिक-से-अधिक लोग प्राथमिक स्तर पर वर्णमाला ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षा भी ग्रहण करें, केन्द्र एवं राज्य सरकार की यही कोशिश है। उन्होंने कहा कि साक्षरता का अर्थ सिर्फ पढ़ना-लिखना ही नहीं बल्कि यह सम्मान, अवसर और विकास से भी जुड़ विषय है।
दुनिया में शिक्षा और ज्ञान बेहतर जीवन जीने के लिए जरूरी माध्यम है। उन्होंने कहा, ‘बालिका शिक्षा एवं महिला शिक्षा के सन्दर्भ में मैं यहां कहना चाहूंगी कि एक व्यक्ति का शिक्षित होना उसके स्वयं का विकास है जबकि एक बालिका शिक्षित होकर पूरे घर को संवार सकती है। श्रीमती मुर्मू ने कहा कि साक्षरता दिवस का मुख्य उद्देश्य जहां नवसाक्षरों को उत्साहित करना है वहीं दूसरी ओर जो लोग साक्षर नहीं है उन्हें साक्षर होने के लिए प्रेरित करना भी है। देश में पुरुषों की अपेक्षा महिला साक्षरता दर कम है।
सर्वविदित है कि आज महिलायें विभिन्न क्षेत्रों में अवसर प्राप्त होने पर कई कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। ऐसे में सभी को यह संकल्प लेना होगा कि हर व्यक्ति साक्षर बनें, चाहे वह पुरुष हो या महिला, निरक्षर कोई न रहे। राज्यपाल ने कहा कि बदलते परिवेश में अब शत-प्रतिशत साक्षर भारत तक ही सीमित नहीं रहना है बल्कि पूर्ण शिक्षित भारत की दिशा में एक वेग के साथ आगे बढ़ना है। ऐसा हो सकता है, मुखियागण, पंचायत प्रतिनिधि सभी इस दिशा में समर्पित भाव से कार्य करें। साथ ही नौजवान विद्यार्थी भी एक बेहतर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति, अल्पसंख्यक और अन्य वंचित एवं पिछड़ वर्ग की महिलाओं का साक्षर न होना हमारे समक्ष बहुत बड़ चुनौती है। यदि तेजी से विकास करना है तो देश के हर नागरिक को पूरी तरह से साक्षर होना होगा, बल्कि शिक्षित भी होना होगा।