उत्तरकाशी : चुनावी इतिहास में पहली बार पोलिंग बूथ के तौर पर चुना गया गंगोत्री धाम, इस बार प्रदेश के सबसे ऊंचाई पर स्थित पोलिंग बूथों में शुमार है। गंगोत्री धाम में बुनियादी संसाधनों का अभाव तो है ही साथ ही पल-पल बिगड़ते मौसम के कारण भी कई दिक्कतें खड़ी हो रही हैं। ऐसे में जिला प्रशासन के लिए 11 अप्रैल को यहां मतदान कराना चुनौतीपूर्ण है। चुनाव आयोग ने पहली बार गंगोत्री धाम स्थित सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस में मतदान केंद्र बनाया है।
जहां 133 पुरुषों व 8 महिलाओं सहित कुल 141 साधु संत अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।बीते चुनावों में गंगोत्री धाम में निवास करने वाले साधु-संत एवं अन्य लोगों को वोट डालने के लिए करीब तीस किमी दूर मुखबा, धराली व हर्षिल आना पड़ता था। वर्तमान हालात में समुद्र तल से 3415 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री धाम में इस वक्त भारी बर्फ जमा है। जबकि धराली से आगे गंगोत्री हाईवे पर जगह-जगह बर्फ और पाला जमा होने के कारण यातायात भी जोखिम भरा है।
यहां आजकल भी रोजाना बर्फबारी होने से हालात और भी विकट हो गए हैं। कपाट बंद होने के बाद से ही धाम में विद्युत, दूरसंचार व पेयजल जैसे बुनियादी संसाधन भी ठप पड़े हुए हैं। ऐसे में मतदान कर्मचारियों के लिए इस स्थान तक पहुंचकर मतदान कराना चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है। गंगोत्री धाम में निवास कर रहे स्वामी राजाराम दास ने बताया कि चुनाव आयोग ने धाम में पोलिंग बूथ बनाकर सराहनीय कदम उठाया है। इससे साधु संतों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने में सहूलियत मिलेगी, हालांकि धाम के मौजूदा हालातों को देखते हुए मतदान अधिकारियों को कुछ दिक्कतें हो सकती हैं।
सबसे अधिक परेशानी दूरसंचार व विद्युत आपूर्ति नहीं होने के कारण होगी। उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ, केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में आज तक कोई मतदान केंद्र नहीं बनाया गया। इसके अलावा बद्रीनाथ धाम में भी कोई स्थायी रूप से नहीं रहता। इन दिनों बद्रीनाथ में रहने वाले साधु-संतों के नाम भी किसी दूसरी जगह हो सकते हैं। इसलिए बद्रीनाथ धाम या माणा गांव में कोई मतदान केंद्र नहीं बनाया गया है।