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आरएसएस प्रमुख भागवत ने पाकिस्तान विभाजन को बताया कुत्रीम, कहा कि पाकिस्तान के लोग भी मानते हैं गलती हो गई

भोपाल ( मनीष शर्मा) भेल दशहरा मैदान में भारतीय सिंधु सभा के बैनर तले आज अमर बलिदानी हेमू कालानी का जन्म शताब्दी समापन समारोह आयोजित हुआ इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि सिंधी समाज का योगदान बराबरी का रहा, पर उल्लेख कम होता है। अपने स्व को बचाने के लिए ये बलिदान हुए। जब सिंधु से हटने की बारी आई तो आपने भारत को नहीं छोड़ा। आप पराक्रमी हैं।

भोपाल ( मनीष शर्मा) भेल दशहरा मैदान में भारतीय सिंधु सभा के बैनर तले आज अमर बलिदानी हेमू कालानी का जन्म शताब्दी समापन समारोह आयोजित हुआ इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि सिंधी समाज का योगदान बराबरी का रहा, पर उल्लेख कम होता है। अपने स्व को बचाने के लिए ये बलिदान हुए। जब सिंधु से हटने की बारी आई तो आपने भारत को नहीं छोड़ा। आप पराक्रमी हैं। 1947 से पहले वह भारत था। सिंधु संस्कृति थी। कोई कहेगा तो बताना पड़ेगा। भारत खंडित हो गया, उसे बसाना पड़ेगा। हम आ गए, पर मन से नहीं छोड़ा। भारत कहें तो हम सिंधु नदी को नहीं भूल सकते। ये नाता नहीं तोड़ सकते। हम कुछ नहीं भूलेंगे। क्योंकि यह कृत्रिम विभाजन है। पाकिस्तान के लोग कह रहे हैं कि यह गलती हो गई। जो अपनी हटधर्मिता के कारण भारत से अलग हुए, वह दुख में हैं। जो भारत के साथ यहां आए, वह फिर से खड़े हो गए।
संघ प्रमुख ने कहा कि उस समय गलती हुई, उसका सुधार यही है। आप तैयार रहिए, हम आक्रमणकारी नहीं है, पाकिस्तान पर आक्रमण नहीं करेंगे, पर ऐसा खुद ही होगा। आप दोनों तरफ का भारत जानते हो, वहां भारत को बसा सकते हो। छोटे स्वार्थ को छोड़कर एकजुट हों। अपने घर में अपना भजन, पूजन चले, इसका प्रयास करते रहना होगा। यहां जन्म लेने वालों का लगाव वहां के प्रति बढ़ाना होगा। सनातन परंपरा सब के लिए है। हमें लड़ाने वालों से बचाना, ऐसा हो तो संभालना। तब कुटिल षड्यंत्र असफल होतै हैं। हम सिंधु हैं, मतलब हिंदू हैं।
डा. भागवत ने कहा कि आज सारी दुनिया को यह विचार चाहिए। 1919 में हेडगेवार ने कांग्रेस की बैठक में संपूर्ण भूमि का प्रस्ताव दिया था। आदिकाल से सिंधु और सिंध का सहभाग रहा, आज भी है। मांग पूरी करने का सिलसिला चलता रहेगा। ये चले न चले, भारत चलता रहना चाहिए। उतार-चढाव चलते रहेंगे, पर मिटेंगे नहीं। नई पीढी का प्रवोधन करें। वह छोटे स्वार्थ में लक्ष्य न भूलें। आपकी ताकत के साथ संघ खड़ा रहेगा। इससे ज्यादा कहने की जरुरत नहीं, इशारा समझिए।
हमें अपनी जड़ों को छोड़ना पड़े तो दर्द रहता है – सीएम शिवराज
कार्यक्रम में सीएम शिवराज ने अपने संबोधन की शुरुआत सिंधी भाषा में अभिभादन के साथ की। उन्‍होंने उन्‍होंने सिंध प्रांत की विशेषता बताई और बंटवारे के दौर को याद करते हुए कहा कि सिंधी समुदाय के लोगों ने अपनी संस्‍कृति, अपने धर्म की रक्षा के लिए अपनी भूमि छोड़ दी। उन्होंने अपना जीवन शून्य से शुरू किया और खुद को स्थापित किया। हमें अपनी जड़ों को छोड़ना पड़ेे तो इसका दर्द रहता है। युवाओं से आग्रह है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहें। संस्कृति, परंपरा, वेशभूषा, भाषा, खानपान, महापुरुष न भूलें। सिंधियों को नागरिकता देने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। आपने सिंध छोड़ा, लेकिन अब पूरा हिंद आपका है।
 इस सम्‍मेलन में देश-विदेश से बड़ी संख्‍या में लोग पहुंचे। आयोजकों ने इस समागम में 01 लाख से ज्‍यादा लोगों के जुटने का दावा किया है। यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में सिंधी समाज के लोग एक जगह एकत्रित हुए। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत भी शामिल हुए। भागवत दोपहर करीब दो बजे सम्‍मेलन में पहुंचे। यहां पहुंचकर संघ प्रमुख ने सिंधी समाज के संत-महात्‍माओं से मुलाकात की। विशिष्‍ट अतिथि के तौर पर सीएम शिवराज सिंह चौहान भी इस सम्‍मेलन में शामिल हुए। उनके साथ प्रदेश के चिकित्‍सा मंत्री विश्‍वास सारंग और इंदौर से लोकसभा सदस्‍य शंकर लालवानी भी कार्यक्रम में पहुंचे। ख्याति प्राप्त संतजन भी समारोह में विशेष रूप से पधारे।

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