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संतों के आय स्रोत की हो जांच

शिवानंद सरस्वती ने कहा कि साधु का उद्देश्य धर्म की रक्षा करना होता है, लेकिन यहां अखाड़ों की संपत्ति पर अवैध रूप से बहुमंजिला इमारतें बनाई गई हैं।

हरिद्वार : हरिद्वार स्थित मातृ सदन के परम अध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि साधु का उद्देश्य धर्म की रक्षा करना होता है, लेकिन यहां अखाड़ों की संपत्ति पर अवैध रूप से बहुमंजिला इमारतें बनाई गई हैं। उन्होंने संतों की निजी संपत्ति की जांच कराने और कमाई के स्रोतों की जांच कराने की मांग की। विज्ञापन स्वामी शिवानंद सरस्वती सोमवार को मातृ सदन में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हरिद्वार के संत सरकार से कुंभ के लिए भूमि की मांग कर रहे हैं, लेकिन जो भूमि अखाड़ों के पास पहले थी।

उनमें अवैध रूप से निर्माण कर लिया गया है। बहुमंजिला भवनों को बनाकर बेच दिया गया है। यदि अब भी उन्हें भूमि दी जाती है तो उस पर भी वे कब्जा कर लेंगे। उन्होंने कहा कि धर्म की लड़ाई धर्म से लड़ी जाती है अधर्म से नहीं। पैसों की जरूरत संस्थाओं को होती है साधु-संतों को नहीं। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में अखाड़ों के साधु संतों की निजी संपत्ति की जांच कराई जानी चाहिए। यदि किसी संत के नाम पर संपत्ति या धन है तो उसके आय के स्रोत की जांच करानी चाहिए।

यदि आयकर के दायरे में आते हैं तो उनसे टैक्स भी वसूला जाना चाहिए। क्योंकि देश का हर नागरिक एक समान है। स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि जिलाधिकारी को कई बार एनएमसीजी ने खनन और स्टोन क्रशर पर रोक लगाने का आदेश दिया था, लेकिन बार बार कहने पर भी उन्होंने आदेशों का अनुपालन नहीं किया। 19 अप्रैल को मातृ सदन में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। उसकी कॉपी एनएमसीजी को भी भेजी थी।

26 अप्रैल को एनएमसीजी ने एक और आदेश जारी कर जिलाधिकारी को 1 अप्रैल तक आदेशों का सख्ती से अनुपालन कराते हुए खनन और स्टोन क्रशर पर रोक लगाने के लिए कहा है। एनएमसीजी ने यह भी कहा है कि यदि 1 अप्रैल तक स्टोन क्रशर और खनन पर रोक नहीं लगाई जाती है तो जिला अधिकारी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का अनशन 187 दिन भी जारी रहा।

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