भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकिंग आईटी सेवाओं की आउटसोर्सिंग पर दिशानिर्देश बनाए हैं। इसका मतलब यह है कि बैंक अपनी कुछ आईटी सेवाओं को दूसरी कंपनियों को आउटसोर्स कर सकते हैं, अगर उन्हें लगता है कि यह उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों एवं अन्य विनियमित वित्तीय इकाइयों में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाओं की आउटसोर्सिंग के लिए सोमवार को विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए। आरबीआई ने अपने दिशानिर्देश में कहा कि इन वित्तीय इकाइयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आईटी सेवाओं के परिचालन का जिम्मा किसी बाहरी एजेंसी को दिए जाने से उनके दायित्वों एवं ग्राहकों के प्रति जिम्मेदारियों में कोई कमी न आने पाए।
प्रति दायित्व प्रभावित न हो
रिजर्व बैंक ने कहा, विनियमित इकाइयां अपने कारोबारी मॉडल और उत्पादों एवं सेवाओं को समर्थन देने के लिए आईटी एवं आईटी-समर्थित सेवाओं को बड़े पैमाने पर अपना रही हैं। इस बारे में व्यापक दिशानिर्देश जारी करने के पीछे यह सोच है कि आउटसोर्सिंग से इन इकाइयों का ग्राहकों के प्रति दायित्व प्रभावित न हो और न ही उन पर केंद्रीय बैंक की प्रभावी निगरानी में कोई कमी आए।
मानक का पालन करे जिस पर वह खुद चलता
इसके लिए केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बैंक यह सुनिश्चित करें कि आउटसोर्सिंग पर काम कर रही कंपनी भी सेवाओं के संबंध में उसी ऊंचे मानक का पालन करे जिस पर वह खुद चलता। इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि सेवा प्रदाता फर्म देश के भीतर है या बाहर।
अनुपालन के लिए पर्याप्त समय देते हुए कहा
हालांकि आरबीआई ने बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को इन निर्देशों के अनुपालन के लिए पर्याप्त समय देते हुए कहा है कि ये मानक एक अक्टूबर, 2023 से लागू होंगे। इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों से आईटी सेवाओं को आउटसोर्स किए जाने की जरूरत का भी समीक्षा कर आकलन करने को कहा है।