चंद्रयान-3′ की सफलता के बाद इसरो ने सूर्य के पास पहुंचने का अगला लक्ष्य बनाया है। बता दें इतिहास बनाने के लिए ISRO ने आदित्य-एल1(Aditya L1) को लॉन्च कर दिया है । (Aditya L1) को 2 सितंबर को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C57) के जरिये आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च कर दिया गया है। इन सबके बीच सब ये जानना चाहते है कि L1 क्या है और इसरो नें सिर्फ इसी प्वाईंट को क्यों चुना।
एल-1 पर ही आदित्य को क्यों भेजा गया
दरअसल जिस जगह पर आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान जाएगा उसे एल-1 यानी लैग्रेंज प्वाइंट वन(1) कहते हैं. ये दूरी पृथ्वी और सूर्य की दूरी का महज 1 प्रतिशत है। इस मिशन को सूर्य की तरफ लगभग 15 लाख किलोमीटर भेजा तक जाएगा।
15 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय करेगा आदित्य
धरती और सूर्य के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। इस दूरी के बीच में कई ऐसे बिंदु हैं जहां से सूर्य को स्पष्ट देखा जाता है। धरती और सूर्य के बीच लैग्रेंज प्वाइंट ही वो जगह है जहां से सूर्य को बिना किसी ग्रहण या अवरोध देखा जा सकता है।
एल 1 पर है अंतरिक्ष की पार्किंग
धरती और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंज प्वाइंट है। इस पर किसी अंतरिक्ष यान का गुरुत्वाकर्षण सेंट्रिपेटल फोर्स के बराबर हो जाता है। जिसकी वजह से यहां कोई भी यान लंबे समय तक रुक कर शोध कर सकता है। इस जगह को ‘अंतरिक्ष का पार्किंग’ भी कहा जाता है, क्योंकि बेहद कम ईंधन के साथ इस जगह पर अंतरिक्ष यान को स्थिर किया जा सकता है। इसलिए इसरो ने आदित्य तो एल 1 पर उतारने का फैसला किया था।
एल 1 की तरह है कई प्वाइंट है
एल 1, एल 2 और एल 3 प्वाइंट स्थिर नहीं है। इसकी स्थिति बदलती रहती है। जबकि एल 4 और एल 5 स्थिर है और अपनी स्थिति नहीं बदलते हैं। एल 3 प्वाइंट सूर्य के पीछे के हिस्से में है। जबकि एल 1 और एल 2 प्वाइंट सूर्य के सामने हैं। एल 2 प्वाइंट पृथ्वी के पीछे के हिस्से में हैं, मतलब एल 2 प्वाइंट के सामने पृथ्वी और सूर्य दोनों आते हैं।
कैसे स्टडी करेगा आदित्य एल 1
एल 1 पर ही आदित्य को इसलिए भेजा गया क्योंकी इसरो उन सौर गतिविधियों की स्टडी करना चाहता है जो उसकी सतह (कोई सॉलिड सतह नहीं है) से बाहर निकल कर अंतरिक्ष में फैल जाते हैं।और कई बार धरती की तरफ भी आ जाते हैं, जैसे कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर फ्लेयर्स, सौर तूफान , इसलिए लैग्रेंज प्वाइंट1 (एल-1) इस लिहाज से खास जगह है, क्योंकि सूर्य से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान इसी रास्ते से होकर धरती की ओर जाते हैं।
अब सूर्ययान इस जगह पर पहुंचेगा और वो आसपास की सभी गतिविधियों की स्टडी करेगा। इसलिए इसरो ने आदित्य को भेजने के लिए इस जगह का चुनाव किया। इसरो का आदित्य अपने मिशन पर निकल चुका है।
एल-1 पर ही आदित्य को क्यों भेजा गया
दरअसल जिस जगह पर आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान जाएगा उसे एल-1 यानी लैग्रेंज प्वाइंट वन(1) कहते हैं. ये दूरी पृथ्वी और सूर्य की दूरी का महज 1 प्रतिशत है। इस मिशन को सूर्य की तरफ लगभग 15 लाख किलोमीटर भेजा तक जाएगा।
15 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय करेगा आदित्य
धरती और सूर्य के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। इस दूरी के बीच में कई ऐसे बिंदु हैं जहां से सूर्य को स्पष्ट देखा जाता है। धरती और सूर्य के बीच लैग्रेंज प्वाइंट ही वो जगह है जहां से सूर्य को बिना किसी ग्रहण या अवरोध देखा जा सकता है।
एल 1 पर है अंतरिक्ष की पार्किंग
धरती और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंज प्वाइंट है। इस पर किसी अंतरिक्ष यान का गुरुत्वाकर्षण सेंट्रिपेटल फोर्स के बराबर हो जाता है। जिसकी वजह से यहां कोई भी यान लंबे समय तक रुक कर शोध कर सकता है। इस जगह को ‘अंतरिक्ष का पार्किंग’ भी कहा जाता है, क्योंकि बेहद कम ईंधन के साथ इस जगह पर अंतरिक्ष यान को स्थिर किया जा सकता है। इसलिए इसरो ने आदित्य तो एल 1 पर उतारने का फैसला किया था।
एल 1 की तरह है कई प्वाइंट है
एल 1, एल 2 और एल 3 प्वाइंट स्थिर नहीं है। इसकी स्थिति बदलती रहती है। जबकि एल 4 और एल 5 स्थिर है और अपनी स्थिति नहीं बदलते हैं। एल 3 प्वाइंट सूर्य के पीछे के हिस्से में है। जबकि एल 1 और एल 2 प्वाइंट सूर्य के सामने हैं। एल 2 प्वाइंट पृथ्वी के पीछे के हिस्से में हैं, मतलब एल 2 प्वाइंट के सामने पृथ्वी और सूर्य दोनों आते हैं।
कैसे स्टडी करेगा आदित्य एल 1
एल 1 पर ही आदित्य को इसलिए भेजा गया क्योंकी इसरो उन सौर गतिविधियों की स्टडी करना चाहता है जो उसकी सतह (कोई सॉलिड सतह नहीं है) से बाहर निकल कर अंतरिक्ष में फैल जाते हैं।और कई बार धरती की तरफ भी आ जाते हैं, जैसे कोरोनल मास इजेक्शन, सोलर फ्लेयर्स, सौर तूफान , इसलिए लैग्रेंज प्वाइंट1 (एल-1) इस लिहाज से खास जगह है, क्योंकि सूर्य से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान इसी रास्ते से होकर धरती की ओर जाते हैं।
अब सूर्ययान इस जगह पर पहुंचेगा और वो आसपास की सभी गतिविधियों की स्टडी करेगा। इसलिए इसरो ने आदित्य को भेजने के लिए इस जगह का चुनाव किया। इसरो का आदित्य अपने मिशन पर निकल चुका है।