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जानें आजाद भारत के तिरंगे झंडे का इतिहास, 22 जुलाई को क्यों मनाया जाता है भारतीय ध्वज दिवस

तिरंगा दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह हमें हमारे देश के इतिहास और संस्कृति की याद दिलाता है। यह हमें एकता और देशभक्ति की भावना को मजबूत करता है. यह हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी एक ही देश के नागरिक हैं और हमें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।

तिरंगा हर भारतीय के लिए उसकी शान होता है। तिरंगे को लहराते हुए देखकर ही एक अलग ही गर्व का अहसास होता है। मगर क्या आप जानते है कि हर साल 22 जुलाई को भारतीय ध्वज दिवस मनाया जाता है। अपने देश के प्रतीक तिरंगे झंडे को सम्मान देने के लिए इस खास दिन का मनाया जाता है। ये दिन हर भारतीय के लिए खास और गर्वभरा दिन है। इस खास दिन पर हम खासतौर पर तिरंगे झंडे की महत्ता को याद करते हैं।
भारतीय ध्वज दिवस 
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भारतीय ध्वज दिवस एकता और देशभक्ति को बढ़ावा देता है। इस दिन जगह-जगह ध्वजारोहण करते हैं और अलग-अलग कार्यक्रम किए जाते हैं। 22 जुलाई 1947 में वर्तमान तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया गया था। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के कांस्टिट्यूशनल हॉल में राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर तिरंगे को अपनाने का प्रस्ताव रखा था। शुरुआत में राष्ट्रीय ध्वज कई बदलावों से होकर गुजरा था।
भारतीय तिरंगे का इतिहास
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आजादी मिलने से एक महीने पहले तक हर ऑफिशियल काम के लिए ब्रिटिश फ्लैग का ही इस्तेमाल हो रहा था। ऐसे में आजादी मिलने से पहले से बहुत ज्यादा जरूरी हो गया था कि भारत अपने राष्ट्रीय ध्वज का चयन कर उसे इस्तेमाल में लाए। 15 अगस्त 1947 के दिन को भारत की आजादी दिन पर तय कर लिया गया था। ऐसे में आजादी के 23 दिन पहले भारतीय ध्वज का चयन कर लिया गया था। भारतीय तिरंगे को 22 जुलाई 1947 को आधिकारिक तौर पर अपनाया गया था।
पहली बार तिरंगा कब लहराया गया
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भारत में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज को 16 अगस्त, 1947 को प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा फहराया गया था। 22 जुलाई को अपनाया गया तिरंगा 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के डोमिनियन और उसके बाद भारत गणराज्य के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में काम किया। कहा जाता है कि पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त,1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर में लहराया गया था। मगर वो झंडा लाल,पीले और हरे रंग की पट्टियों से बना था।
कौन थे पिंगली वेंकय्या
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भारत के राष्ट्रीय ध्वज को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिंगली वेंकय्या ने डिजाइन किया है। हालांकि इंडियन फ्लैग कोड में बदलाव करने से पहले भारत के नागरिकों को राष्ट्रीय पर्व के अलावा किसी भी दिन अपने घर और दुकानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की छूट नहीं थी। 26 जनवरी, 2002 में किए गए बदलाव के बाद हर भारतीय नागरिक को किसी भी दिन अपने घर, दुकान, फैक्टरी और ऑफिस में तिरंगा फहराने की इजाजत मिली।
तिरंगे झंडे में रंगों का महत्व
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तिरंगा भारत का राष्ट्रीय ध्वज है और हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक है। ये तीन रंगों से बना है: केसरिया, सफेद और हरा। केसरिया रंग बलिदान और वीरता का प्रतीक है, सफेद रंग शांति और सत्य का प्रतीक है, और हरा रंग समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक है। तिरंगे के बीच में नीले रंग का अशोक चक्र है, जिसमें 24 तीलियां होती हैं, ये चक्र शांति और समृद्धि का प्रतीक है।

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