असल ज़िन्दगी में देखा जाए तो किसी व्यक्ति को सज़ा तब मिलती हैं जब उसने कोई अपराध किया हो। क़ानूनी करवाई के बाद सज़ा ऐसी दी जाती हैं जो सविंधान के हिसाब से सही हो। आमतौर पर, सज़ा में हानिकारक कार्य मतलब की ऐसे काम भी शामिल होते हैं जिसमें आपको कष्ट होता हो। हालाँकि दुनिया भर में कई लोगों ने ऐसी अजीब सज़ाएँ सहन की हैं, जिसे आपने आज तक शायद सुना भी न हो। आज हम आपको बताएंगे ऐसी ही कुछ सज़ाओं के बारे में जिन्हे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे, और सवाल करेंगे कि क्या ऐसा भी हो सकता हैं?
2008 में एंड्रयू वेक्टर नाम का एक इंसान अपनी कार में जोर-जोर से रैप संगीत बजा रहा था। मामला अदालत में जाने के बाद उसे 20 घंटे तक बीथोवेन, बाख और शोपेन जैसे शास्त्रीय गाने को सुनने की सज़ा मिली और उसे वह सब सुनना पड़ा। जजों का पैनल चाहता था कि वेक्टर यह समझे कि बिना इच्छा वाले किसी संगीत को सुनना और उसका सामना करना कैसा होता है। लेकिन वह एक बार में केवल 15 मिनट तक ही उस गाने को सुन पाया।
संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसौरी के निवासी डेविड बेरी को कई हिरणों की हत्या का दोषी पाया गया था। लंबी बहस के बाद अदालत ने उन्हें एक साल की जेल की सजा सुनाई और उन्हें महीने में कम से कम एक बार डिज्नी कार्टून बांबी देखने को कहा जो कि उस शख्स की सज़ा थी।
शिकागो की एक अदालत ने 2003 में जेसिका लॉन्ग और ब्रायन पैट्रिक को गधे को खींचते हुए अपने गृहनगर में मार्च करने का आदेश दिया। इन दोनों ने इसे अंजाम दिया और इस आदेश का पालन किया। गधे के साथ मार्च करते समय, उन्हें एक पोस्टर ले जाना पड़ा जिस पर लिखा था, “बेवकूफीभरे अपराध के लिए खेद है।” क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, उन पर चर्च से बाल यीशु की मूर्ति को लूटने का आरोप लगाया गया था।
संयुक्त राज्य अमेरिका के ओक्लाहोमा में हाई स्कूल के छात्र टाइलर एलरेड को एक दोस्त की हत्या का दोषी ठहराया गया था। शराब पीने के बाद, टाइलर एक गाडी चला रहा था जब उसका दोस्त गाडी की चपेट में आया और उसकी जान चली गई। अदालत के आदेश के अनुसार, उसे सालाना तौर पर दवा, शराब और निकोटीन परीक्षण के लिए पेश होना होगा। इतना ही नहीं इसी के साथ उन्होंने दस साल तक टाइलर को चर्च में भेजने का फैसला किया।
इससे भी जोरदार और सबक सिखाने वाला फैसला स्पेन की एक अदालत ने सुनाया। 25 साल का यह लड़का अपने माता-पिता से हर महीने पॉकेट मनी के लिए 355 पाउंड मांग रहा था। जब उसके माता-पिता ने उसकी मदद करने के लिए मना कर दिया तो वह अदालत गया। कोर्ट ने माता पिता की जगह सिर्फ उस युवक को सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि आपको 30 दिनों के भीतर स्वतंत्र रूप से रहना सीखना होगा और आपको अपने माता-पिता के घर से बाहर जाना होगा। साथ ही ऐसा करने के लिए आपको नौकरी की भी तलाश शुरू करनी होगी।