सुहागिन महिलाएं जहां अपने पति की दीर्घायु और संतान की प्राप्ति के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। वहीं कुंवारी लड़कियां सुयोग्य वर पाने के लिए ये व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं।
सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को श्रावणी या हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है।इस दिन महिलाएं अपने पति के लम्बी आयु की कामना से व्रत रखकर शिव पार्वती की पूजा करती है।
हरियाली तीज पर शिव पार्वती की पूजा होती है और हरा रंग भगवान शिव को बेहद प्रिय है।यही वजह है कि इस दिन महिलाओं को पूजा के दौरान हरे रंग का उपयोग जरूर करना चाहिए।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,सावन के महीने में या हरियाली तीज के दिन हरे रंग के कपड़े,चूड़ियां और अन्य समानों के प्रयोग से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।सके अलावा घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि भी आती हैं।
सावन के महीने में प्रकृति में चारो ओर हरियाली छाई होती है।इसलिए इन महीने में हरे रंग के प्रयोग से सुख,शांति,वैभव,समृद्धि की प्राप्ति होती है।इसके अलावा हरा रंग मनुष्य के स्वास्थ्य और भी अच्छा असर डालता है और इसके इस्तेमाल से लोग सेहतमंद होतें है।
इस व्रत के दिन व्रती निर्जला उपवास करती हैं। आइए, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-
हरियाली तीज 2023 कब है ?
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 18 अगस्त को रात 08 बजकर 01 मिनट से हो रही है। अगले दिन 19 अगस्त को रात 10 बजकर 19 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार 19 अगस्त को हरियाली तीज मनाई जाएगी।
हरियाली तीज पूजा विधि
चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर मां पार्वती और शिव जी की तस्वीर स्थापित करें।
कच्चा सूता,बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, सुपारी, कलश, अक्षत या चावल, दूर्वा घास, घी,चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, पंचामृत पूजा में रखें।माता पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करें, जैसे साड़ी, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेंहदी आदि।इस दिन कथा जरुर करें या सुनें और अंत में आरती करें।
तीज का महत्व
सनातन धर्म शास्त्र शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हरियाली तीज के दिन हुआ था। सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शिव ने माता पार्वती को अर्धांगिनी रूप में स्वीकार्य किया था। अतः सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस व्रत को करने से विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।