आज के समय में किसे कब कौनसी बीमारी लग जाये ये कह पाना लगभग मुश्किल ही हैं। आज के समय में इंसान मोटा हैं तो भी तकलीफ हैं और पतला हैं तो भी तकलीफ ही हैं। इसके लिए आपने अक्सर एक बात तो सुनी होगी की जितना हो सके पानी पीजिये पानी शरीर में पल रही कई बीमारियों को खत्म करता हैं। यूरिन की पोजीशन में निकलने से हम कई बीमारियों से निजात पा सकते हैं।
पानी शरीर के लिए बेहद जरूरी है पदार्थ हैं क्योंकि इसके बिना जिंदगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसी के साथ आपको बता दे कि हमारी बॉडी में 50 फीसदी से ज्यादा जल है। हर कोशिका पानी से भरी हुई है साथ ही कोशिकाओं के जिंदा रहने के लिए जल ही एक जरूरी चीज़ है कि हम पानी पीते रहें और खुद को डेटॉक्स करते रहे। डॉक्टर रोजाना कम से कम 2-3 लीटर पानी पीने की सलाह देते हैं और इसे पूरा करने के लिए कहते है।
खासतौर पर इस समय जो गर्मियों का मौसम चल रहा हैं उसमे तो ये और भी ज़्यादा आवश्यक हैं कि हम ज़्यादा से ज़्यादा पानी पीकर खुद को डेटॉक्स रखे। लेकिन ज़रा सोचिए अगर कोई शख्स रोज 10 लीटर पानी पीने लगे तो क्या होगा? आप कहेंगे कि अच्छा है शरीर के लिए तो ये कि वह इतना पानी पी रहा हैं! लेकिन आपको बता दे कि यह सही नहीं हैं। ज्यादा पानी पीने का मतलब आप किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हैं। आमतौर पर शुगर के मरीजों को प्यास ज्यादा लगती है। ब्रिटेन के रहने वाले जोनाथन प्लमर को भी यही दिक्कत थी। वह रोज 10 लीटर पानी गटक जाते थे और सबको लगता था कि ये तो सही ही हैं। लेकिन फिर डॉक्टरों को लगा कि उन्हें डायबिटीज होगा, लेकिन हकीकत सामने आई तो सब दंग ही रह गए, क्योंकि उन्हें डायबिटीज थी ही नहीं…?
ब्रिटेन के रहने वाले जोनाथन प्लमर ने डेली मेल के साथ अपनी कहानी शेयर की है. उन्होंने बताया, “मुझे लगातार प्यास लगती थी. कितना भी पानी पी लूं, प्यास बुझती ही नहीं थी. हर पल मैं पानी ही पीता रहता था. आमतौर पर पानी शरीर को साफ करता है और आप एनर्जेटिक महसूस करते हैं, लेकिन मुझे थकान होने लगी. मैं हमेशा एक्टिव रहने वाला इंसान था. नियमित रूप से रग्बी और क्रिकेट खेलता रहता था. लेकिन इसकी वजह से मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा था. एक दिन मैं डॉक्टर के पास गया. देखते ही उन्होंने कहा कि आपको डायबिटीज होगी. क्योंकि इतनी प्यास तभी लगती है. लेकिन डॉक्टरों ने जांच कराया तो चकित रह गए. शुगर जांच की रिपोर्ट नेगेटिव थी. यानी कि मैं डायबिटीज से पीड़ित नहीं था. मामला वहीं खत्म हो गया.”
तब डॉक्टरों ने पकड़ी आँख में मौजूद गाँठ
अपनी बात को पूरा करते हुए जोनाथन ने बताया कि, “एक दिन मैं आंखों की नियमित जांच के लिए डॉक्टर के पास गया. तब डॉक्टरों ने आंखों में गांठ देखी और एमआरआई स्कैन के लिए भेजा. इससे पता चला कि मेरी पिट्यूटरी ग्रंथि के पास एक ब्रेन ट्यूमर है. दरअसल, मस्तिष्क में मटर के आकार का एक हिस्सा होता है जो हमारी प्यास की भावना को नियंत्रित करने में मदद करता है. यही हमें बताता है कि शरीर में पानी खत्म हो रहा है और हमें पानी पीना चाहिए. लेकिन मेरे शरीर में ब्रेन ट्यूमर की वजह से इसका सिस्टम गड़बड़ा गया था और वह रोजाना पांच गुना ज्यादा पानी पीने का निर्देश दिए जा रहा था. इसी की वजह से प्यास ज्यादा लग रही थी।”
पूरे 30 बार की गई रेडियोथेरेपी से रोग आया पकड़ में
प्लमर ने कहा, “जैसे ही डॉक्टरों ने यह बात बताई मैं सदमे में चला गया. खैर 30 बार रेडियोथेरेपी की गई. लंबा इलाज चला और आज मैं ट्यूमर से मुक्त हूं. पहले मैं भाग नहीं सकता था लेकिन व्यायाम शुरू किया. योगा करने लगा. नियमित रूप से दौड़ना और तैरना शुरू किया. इसके बाद वजन पर नियंत्रण हासिल कर लिया. आज मुझे कोई समस्या नहीं. प्लमर अब एक प्रायोजित स्काइडाइव के माध्यम से चैरिटी ब्रेन ट्यूमर रिसर्च के लिए धन जुटाने के मिशन पर हैं ताकि अन्य लोगों को इससे इलाज मिल सके. जोनाथन ने कहा कि अधिक प्यास लगना और पेशाब आना आमतौर पर मधुमेह के सामान्य लक्षण हैं, एक ऐसी स्थिति जिसके कारण व्यक्ति का रक्त शर्करा स्तर बहुत अधिक हो जाता है. मगर जर्म सेल ट्यूमर शरीर की जर्म कोशिकाओं में विकसित होते हैं, जो आमतौर पर अंडाशय या अंडकोष में स्थित होते हैं. हालांकि, रोगाणु कोशिकाएं कभी-कभी शरीर के अन्य भागों, जैसे मस्तिष्क में भी पाई जा सकती हैं. यह आम तौर पर उस व्यक्ति के जन्म से पहले ही जब शरीर गर्भ में विकसित होता है, रोगाणु कोशिकाओं के गलती से पीछे छूट जाने का परिणाम होता है.”