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भारत में कोर्ट के प्रकार और उनके काम, जानें सभी जानकारी जो आपके लिए महत्वपूर्ण

दुनिया के सबसे बड़े लिखित संविधान भारतीय संविधान की रक्षा करना भी न्यायालय का काम होता है। पर क्या आपको पता है भारत में कितने प्रकार के न्यायालय हैं? अगर नहीं तो आप हमारे इस खबर क पढ़े।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है और लोकतांत्रिक देश में हर नागरिक को भारतीय संविधान के तहत कई अधिकार मिले होते हैं। इन अधिकारों की रक्षा करना और किसी भी देश की कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने का काम न्यायालय यानी कोर्ट का है। दुनिया के सबसे बड़े लिखित संविधान भारतीय संविधान की रक्षा करना भी न्यायालय का काम होता है। पर क्या आपको पता है भारत में कितने प्रकार के न्यायालय हैं? अगर नहीं तो आप हमारे इस खबर क पढ़े। इसमें हम आपको भारत के न्यायालय के बारे में बताने वाले हैं।
भारत में कोर्ट के प्रकार
  • सुप्रीम कोर्ट उच्चतम न्यायालय
  • उच्च न्यायालय हाई कोर्ट
  • जिला कोर्ट या अधीनस्थ न्यायालय
  • ट्रिब्यूनल न्यायालय
  • फास्टट्रक कोर्ट 
  • लोक अदालत पब्लिक कोर्ट
उच्चतम न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट
जैसा कि नाम से जाहिर होता है उच्चतम यानी कि यह भारत का सबसे ऊंचा न्यायालय है। इस कोर्ट से जारी किया गया आदेश या फैसला सभी के लिए सर्वमान्य होता है। इसकी स्थापना जनवरी 1950 को हुई थी। आपको बता दें इस कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वर्तमान में डॉ धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ है और उनके साथ कुल 34 न्यायाधीश है। इस कोर्ट के पास अधिकार होता है कि यह किसी भी मामले पर खुद संज्ञान लेकर किसी भी सरकार को आदेश दे सकती है। यह कोर्ट भारत में किसी भी न्यायालय के कार्य में हस्तक्षेप कर सकती है और जानकारी मांग सकती है। इस कोर्ट के फैसले को बदलना लगभग नामुमकिन होता है।
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उच्च न्यायालय या हाई कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के बाद दूसरे स्थान पर आता है उच्च न्यायालय वर्तमान में पूरे भारत में 25 उच्च न्यायालय हैं जो कि अपनी सेवा प्रदान करते हैं। यह केवल राज्य तक सीमित होते हैं और राज्य के अंदरूनी मामलों को और विवादों को निपटाने हैं। इस देश का सबसे पुराना हाई कोर्ट कोलकाता न्यायालय को बताया जाता है।
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जिला या अधीनस्थ न्यायालय
देश में सुप्रीम और हाईकोर्ट के बाद तीसरे स्थान पर आता है जिला या अधीनस्थ न्यायालय इस प्रकार के न्यायालय का काम जिला तक ही सीमित रहता है और जिला के अंदरूनी मामले और विवादों को निपटना इनके लिए सर्वोपरि रहता है।  इससे न्यायालय में न्यायाधीश सभी प्रकार के सिविल मामले फैमिली मैटर और आपराधिक मामलों की सुनवाई करते हैं जिला न्यायालय पर हाईकोर्ट का नियंत्रण होता है और जिला न्यायालय के आदेश फैसले को हाईकोर्ट में पलटा जा सकता है। 
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ट्रिब्यूनल कोर्ट 
यह एक ऐसा कोर्ट होता है जिसमें एक व्यक्ति या संस्था जिसके पास न्याय काम करने का अधिकार हो वो काम करता है। इस प्रकार के कोर्ट का निर्माण कुछ खास विषय और मामलों के लिए बनाया गया है। इनको टो में सुनवाई आम कोटो से तेज होती है और सुनवाई भी काफी तेज की जाती है भारत केस सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक देश में वर्तमान में कुल 18 ट्रिब्यूनल कोर्ट है जो कि लोगों को अपनी सेवा प्रदान करते हैं।
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फास्टट्रक कोर्ट 
त्रिवेणी कोर्ट के बाद आता है फास्ट ट्रेक कोर्ट। जैसा कि नाम से प्रतीत हो रहा है फास्ट ट्रैक कोर्ट यानी कि कोर्ट में जितने भी मामले आते हैं उन सभी की सुनवाई काफी तेज की जाती है और यह सेशन कोर्ट की तरह ही होती है। साल 2000 में इस कोर्ट की स्थापना की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बच्चों पर किए गए अत्याचार के मामलों में जल्द से जल्द सुनवाई करना। देश में घट रहे अपराधिक रेप और गैंगरेप के मामले की भी सुनवाई इन्हीं कोर्ट में खासकर की जाती है।
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पब्लिक कोर्ट 
सबसे आखरी और निचले स्थान पर आता है पब्लिक कोर्ट में जाता है कि इस न्यायालय में आपको किसी वकील की भी जरूरत नहीं पड़ती है। इस प्रकार के न्यायालयों में मोटर दुर्घटना मुआवजा वैवाहिक और पारिवारिक मामले और भूमि अधिग्रहण मामले जैसे सुने जाते हैं। भारत के न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार आप अपने अधिकार या फिर अपने ऊपर हुए अत्याचार के मामले को कोर्ट में उठा सकते है। 

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